अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस







 

 


 

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस प्रतिवर्ष 11 अक्टूबर को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 दिसंबर वर्ष 2011 को प्रस्ताव पारित करके 11 अक्तूबर को अंतराष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। इस दिवस का उद्देश्य बालिकाओं के अधिकारों का संरक्षण और उनके समक्ष आने वाली चुनोतियों की पहचान करना है। 

 

निम्नलिखित उद्देश्य के साथ अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है-


  • लड़कियों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों को पहचानना एवं उनकी आश्यकताओं को उजागर करना। 

  • लड़कियों के सशक्तिकरण को बढ़ावा देना।

  • उनके मानवाधिकारों को पूरा करने में सहायता करना। 


अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस वर्ष 2017 का विषय ‘कन्या सशक्तिकरण: संकट से पहले, संकट के समय और संकट के बाद’ है। यह दिवस संकट के बाद, संकट के दौरान एवं संकट के पहले लड़कियों के चुनौतियों एवं अवसरों का सामने करने के प्रति वैश्विक ध्यान एवं कार्रवाई की शुरुआत का प्रतीक है। सशस्त्र संघर्ष या प्राकृतिक आपदा के कारण मानवतावादी संकट महिलाओं और लड़कियों को हमेशा सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता हैं। उनका संघर्ष के दौरान और शरणार्थी शिविरों में शोषण और यौन शोषण भी होता हैं।

 

किशोरावस्था में लड़कियों को सुरक्षित, शिक्षित, और स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार है, यह न केवल महत्वपूर्ण प्रारंभिक वर्षों के दौरान बल्कि महिलाओं के परिपक्व होने पर भी आवश्यक है। यदि किशोरावस्था के दौरान लड़कियों को सहयोग किया जाएं, तो उनमें विश्व को बदलने का सामर्थ्य है, वर्तमान लड़की सशक्ति होगी एवं भविष्य में कार्यकर्त्ताओं, माताओं, उद्यमियों, सलाहकारों, घरेलू प्रमुखों और राजनीतिक नेताओं के रूप में होगी।

 

पिछले पंद्रह वर्षों में पिछली पीढ़ियों की तुलना में लड़कियों के जीवन में सुधार लाने के लिए प्रारंभिक बचपन के दौरान टीकाकरण के क्षेत्र को विस्तारित किया गया है, लेकिन अब प्राथमिक शिक्षा, पोषण संबंधी देखभाल एवं स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने वाली महत्वपूर्ण गतिविधियां का आयोजन किया जा रहा है। हालांकि, जब वे अपने जीवन की  किशोरावस्था (दूसरे दशक) में प्रवेश करती हैं, तब लड़कियों को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता, उन्हें पहचाना नहीं गया है। इसमें गुणवत्तायुक्त माध्यमिक और उच्च शिक्षा प्राप्त करना, बाल विवाह से बचना, यौवन और प्रजनन स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी और सेवाएं प्राप्त करना और अवांछित गर्भधारण, यौन संचारित बीमारी और लिंग आधारित हिंसा से स्वयं को बचाना शामिल है।

 

यह दिवस किशोर लड़कियों की वर्तमान और आगामी पीढ़ी को समर्थन देने के लिए युवा लड़कियों और प्रेरणा का समर्थन करने वाली उपलब्धियों को पहचानने का बेहत्तर समय है, ताकि वे सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में प्रमुख व्यक्तियों के रूप में अपनी क्षमताओं का योगदान कर सकें।

 

ज्ञान, मूल्यों और कौशल के साथ लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए विभिन्न पहलें भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित की गयी है ताकि आज एवं कल परिवारों एवं समुदायों के लिए सकारात्मक लाभ अर्जित हो सकें।

 

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं: भारत सरकार ने राष्ट्रीय अभियान के माध्यम से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं की शुरूआत की है। यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल है।

 

इस पहल के उद्देश्य इस प्रकार से हैं:


  • लैंगिक आधार पर लिंग परीक्षण की रोकथाम।

  • बालिकाओं का संरक्षण एवं उत्तरजीविता सुनिश्चित करना। 

  • लड़कियों की शिक्षा और भागीदारी सुनिश्चित करना।


किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम को एमओएचएफडब्ल्यू, भारत सरकार की सहायता से लागू किया गया है, यह किशोर प्रजनन और यौन स्वास्थ्य कार्यक्रम (एआरएसएच) के माध्यम से किशोरियों को सेवाएं प्रदान करता है, जिसमें साप्ताहिक आयरन और फोलिक एसिड अनुपूरक कार्यक्रम एवं मासिक धर्म स्वच्छता के संवर्धन के लिए योजना है।

 

"राष्ट्र की खुशहाली हमारी बेटियों की गरिमा में निहित है"।


 

 



 



 















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