राज्य संग्रहालय द्वारा ‘‘कला अभिरूचि पाठ्यक्रम’’ का आयोजन आगामी 16 फरवरी तक विशिष्ट विद्वानों द्वारा व्याख्यान दिये जायेंगे
लखनऊ: दिनांक: 30 जनवरी, 2019
राज्य संग्रहालय, लखनऊ की शैक्षिक प्रसार योजना के अन्तर्गत कला अभिरूचि पाठ्यक्रम का शुभारम्भ आज संग्रहालय सभागार में किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कला के विविध आयामों के प्रति जनमानस में अभिरूचि उत्पन्न करना एवं अपनी सांस्कृतिक धरोहर एवं विरासत को समझना है। पाठ्यक्रम की अवधि 30 जनवरी, 2019 से 16 फरवरी, 2019 तक है। पाठ्यक्रम के अन्तर्गत कला के विविध पक्षों पर विशिष्ट विद्वानों द्वारा व्याख्यान दिये जायेंगें।
कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रमुख सचिव संस्कृति श्री जितेन्द्र कुमार द्वारा किया गया। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि 15 दिवसीय कार्यक्रम में नई-नई जानकारियां मिलेंगी। उन्होंने एक संस्कृति का दूसरी संस्कृति एवं कला पर पड़ने वाले प्रभाव, साम्राज्यवाद एवं उपनिवेशवाद का सांस्कृतिक एवं आर्थिक प्रभाव, विदेशी विद्वानों जैसे जेम्स फरग्र्यूसन, कनिघंम, फ्यूहर, हिकूची आदि द्वारा भारतीय कला को विदेशी प्रभाव से युक्त बताने की चेष्टा पर प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता प्रो0 रमानाथ मिश्रा द्वारा डाॅ0 आनन्द कुमार स्वामी के भारतीय कला में योगदान पर विस्तृत प्रकाश डाला गया।
पाठ्यक्रम में विभिन्न काॅलेज/विश्वविद्यालय के छात्र/छात्राओं व अन्य आयु वर्ग के लोगों द्वारा भाग लिया गया। पाठ्यक्रम में लगभग 120 जनमानस एवं छात्र-छात्राओं द्वारा भाग लिया जा रहा है। इस पाठ्यक्रम में संबंधित विधा के विषय विशेषज्ञों द्वारा आवश्यकतानुसार पावर प्वाइंट के माध्यम से व्याख्यान दिया जायेगा।
कार्यकम का संचालन श्रीमती रेनू द्विवेदी, सहायक निदेशक, पुरातत्व (शैक्षिक कार्यक्रम प्रभारी) ने किया। कार्यकम के अन्त में डाॅ0 आनन्द कुमार सिंह, निदेशक उ0प्र0 संग्रहालय निदेशालय ने बताया कि कला ही काल का निर्धारण और मार्गदर्शन करती है। संग्रहालय एक औपचारिक शिक्षा के केन्द्र के रूप में मान्यता प्राप्त है। यहां समाज में हर आयु वर्ग या दर्शक आते हैं, जिन्हें रोचक ढंग से अपनी विरासत से परिचित कराया जाता हैै। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए संग्रहालय द्वारा समय-समय पर विभिन्न प्रतियोगताओं तथा प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जाता है। इसी क्रम में कला अभिरूचि पाठ्यक्रम का आयोजन किया गया है।