चुंबन की चमक से चहकता बालीवुड

 


 


 


 


 



चुबंनों की परंपरा भारतीय सिनेमा में बहुत पुरानी है। भारतीय सिनेमा का नाम गिनीज बुक में 1934 में ही आना चाहिए था, जब एक फिल्म में 13 मिनट लंबा चंुबन फिल्माया गया था। संभवता अंग्रेजों को फिल्म ‘लगान’ की तरह चुंबन में भी भारतीय अदाकारों ने मात बर्दाष्त नही था इसीलिए बात दबा दी गई।
हकीकत में तो यह कि भारतीय फिल्मों में सैक्स व चुंबन की प्रथा सात दषक पुरानी है। प्रारंभ से ही हिन्दी सिनेमा प्रणय की अभिव्यक्ति में चुंबन का प्रयोग हुआ है। किन्तु उसमें सांकेतिक भाषा का इस्तेमाल किया जाता था प्रणय दृष्यों में कबूतर-कबूतरी चोंच मिलाते दिखाना, फूल से फूल का स्पश्र्ष करते दिखाना, घोड़ी को देखकर घोड़े का हिनहिनाना आदि दृष्य बांधे जाते थे। इसके मायने यह कदापित नहीं है कि भारतीय सिनेमा सीधे चुंबन से अथवा नग्नता से बचता रहा। अपितु 1934 से ही ऐसे सैक्सी दृष्य मूक व सवाक् फिल्मों में दिखाए जाते रहे है।
पुराने बुजुर्ग फिल्म दर्षकों को आज भी अतीत की याद है कि फिल्म शरत की बेटी में फिल्म के लिए 1934 में 13 मिनट लंबा चुंबन फिल्माया गया था। इसमें भी एक रोचक प्रसंग जुड़ा है। निर्देषक पी0एटनी की इस फिल्म में जब हरि षिवदसानी व यासमीन पर चुंबन का स्टार्ट का निर्देषक ने इषारा किया तो, निर्देषक इसके बाद कट कहना भूल गये। कैमरा मैन सीन कैमरे में बंद नही कर पाया। बाद में सेंसर ने कट किया। विष्व का यह लंबी अवधि का चुंबन कहा जाता हे। इसके दो साल बाद 1936 में प्रदर्षित ष्षोख दिलरूबा फिल्म में नजीर-यास्मीन पर 150 चुंबन दृष्यों का रिकार्ड बताया जाता है। जानकर ताज्जुब होगा कि निर्देशक इजरामीर ने उस जमाने में एक फिल्म बनाई थी जरीना इसमें जुबैदा व जाल मर्चेट पर 40 दृष्य चुंबन के कैमरे में कैद किए गए थे। यह वह जमाना था जब भारतीय दर्षक इस तरह के सैक्स दृष्यों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते थे। इस फिल्म से कुपित दर्षकों ने तब लाहौर में सिनेमाघर को आग लगाने की धमकी दी थी। उस जमाने में ऐसी फिल्मों को भारतीय दर्षक पसंद नही करते थे, इसलिए आम फिल्मों में प्रेम, रोमांस की अभिव्यक्ति आंखों-आंखों से होती थी। यही वजह थी कि उस दौर की फिल्म कर्म में हिमांषू राय व देविका रानी का चुंबन और अनारकली में सुलोचना (रूबी मेयर्स व ही विलिमोरिया) के चुंबन इतने उत्तेजक माने गए थे कि हिंसा की आषंका से फिल्मों पर प्रतिबंध लगाना पड़ा था उस दौर की चर्चा है जब सैंसर को भारतीय जनता व नैतिक मूल्यों से कोई सकरोकार नही था। अंग्रेजी को तो सिर्फ यही चिंता रहती थी कि फिल्मों में अंग्रेजी हुकूमत के विरूद्ध भड़काने वाला कोई मसाला न हो हालांकि कुछ गीतों में इषारे से अंग्रेजों पर तब भी प्रहार होते थे। देष की आजादी के बाद दबाव पड़ने पर सैंसर बोर्ड ने कड़ा रूख अपनाया और चुंबन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। फिर लंबे समय तक चुंबन दुष्यों से फिल्मकार बचते रहे। इस पर भी मरहूम आईएस जौहर ने कए रिस्क लेकर अपनी फिल्म जौहर महमूद इन गोवा में सोनिया साहनी के साथ चुंबन का दृष्य फिल्माया था। सैंसर के एतराज करने पर स्वयं जौहर ने एक दलील दी थी कि भारतीय संस्कृति में भले ही चुंबन अवैध हो परन्तु पुर्तकाली सभ्यता में इसे स्वीकृति मिली हुई है, क्योकि फिल्म में सोनिया ने एक पुर्तगाली लड़की की भूमिका निभाई है। इसलिए चुंबन फिल्म की कहानी के अनुकूल है यहां संेसर की झुकना पड़ा था। इस घटना के बाद सैंसर की कैंची की धार पैनी न रह सकी। फिल्म अनजाना सफर में विष्वजीत व रेखा पर फिल्माया गया चुंबन दृश्ष्य और प्रेमनाथ व नदिरा के मध्य फिल्म राजा काका में दर्षाए गए चुंबन के तीन काफी समय तक चर्चा में रहे। राजकपूर भी पीछे रहने वालों में से नही थे। फिल्म मेरा नाम जोकर में रूसी नायिका का चुंबन लेकर राजकपूर ने यह शुरूआत की। बाबी में ऋषि कपूर और डिम्पल, राम तेरी गंगा मैली, में राजीव कपूर व मंदाकिनी पर चुंबन के दृष्य फिल्माए गए। सत्यम षिवम सुन्दरम में भी जीनत अमान व ष्षषि कपूर ने चुम्मा चिपटी की थी।
इसके बाद दर्षकों में भी चुम्मा-चुम्मा के प्रति आकर्षण बढ़ता गया। फिल्म सागर में डिपंल व ऋषि कपूर का चुंबन दृष्य दर्षकों ने चाव से देखा। आदित्य पंचोली ने फिल्म वीरूदादा में फरहा के साथ किस के दृश्ष्य फिल्माए थे। फिल्म षिवराम व तहलका में आदित्य पंचोली ने एकता के लंबों को तसल्ली से स्पर्ष किया था, जबकि फिल्म लालपरी में जाहनवी के होठों की परख भी की थी। वैसे इस मामले में ममता कुलकर्णी ने कुछ कंजूसी नही की। फिल्म राज हिन्दुस्तानी मंे कपूर ने गर्मागर्म चुंबन दृष्य देकर अपने दर्षकों का कलेजा हिला दिया था फिल्म तराजू में सोनाली बेंद्रे का चुंबन तसल्ली से लिया था गूंज में जुही चावला और विंजु अली ने गरमा गरम चुम्बन दृष्य दिया था । फिल्म छोटे सरकार में गोविंदा ने शिल्पा शेट्टी का किस लेकर दर्षकों का मनोरंजन किया था। भारतीय सिनेमा में अब चंुबन सामान्य होता जा रहा है। गीतों में चुंबन के लेन देन पर बहुत कुछ कहा जाता है। आने वाले दिनों में जवां दिलों में घड़कन पैदा करा देने वाले दृश्ष्यों से सराबोर फिल्मों में बूम जानंश्षी, फुटपाथ, मार्केट, दुकान, बेचैनी, आलिगंन, कुंछ कहा आपने फ्रेष लाइम आदि फिल्में आने को है। चुम्बन की चमक से लेकर देह की दमक से चहकने बाली फिल्में बालीवुड को हालीवुड की राह पर अग्रसर कर रहा है। फिल्म ख्वाहिष में 17 उत्तेजक चुंबन दृष्य देकर सफलता की सीढ़ी चढ़ने वाली अभिनेत्री मलिका ष्षेरावत भले ही अपने चुंबनों की चर्चा से युवा पीढ़ी के दिलों पर राज करने में कामयाब हो गयी

‘देव’ फिल्म में करीना कपूर और फरदीन खान के चूम्बन दृष्य की सिने प्रेमियों में खासी चर्चा है। संभवतः करीना ने प्रथम बार किसी फिल्म में चुंबन दिया। इन दिनों बाॅलीवुड की सेक्स सिंबल बनी मल्लिका शेरावत ने अपनी पहली फिल्म ख्वाहिष मे सत्रह चुंबन दृष्य दिए, जिससे लोगों ने उनको चंुबन गर्ल ही कहना शुरू कर दिया। हालांकि इसको लेकर उनको जरा भी खेद नही है। बल्कि वह इसे अपनी कावलियत माननी है। मल्लिका के विपरीत षिल्पा ष्षेट्टी की ष्षमिता ष्षेट्टी को फिल्म मोहब्बतें में उदय चोपड़ा के साथ लंबा चुंबन दृष्य माधुरी दीक्षित कैरियर के ष्षुरुआती दौर में दो फिल्मों-दयावान में विनोद खन्ना तथा वर्दी में जैकी श्राफ के साथ चुंबन दृष्य दिया था, सलाम बाम्बे फिल्म में भी नाना पाटेकर तथ हम लोग की लाजो जी के बीच लंबा चुंबन दृष्य फिल्माया गया था।
गौरतलब है कि हिन्दी फिल्मों के शैशव काल में चुंबन दृष्य पर सेंसर के कोई आपत्ति नहीं थी। चालीस के दषक में बनी कुछ फिल्मों में देखे तो रानी तथा हिमांषु राय ने चुंबन दृष्य दिए थे। 50 के दषक तक आते-आते भारतीय सेंसर बोर्ड ने फिल्मों में चुंबन दृष्य को प्रतिबंधित कर दिया। सत्तर के दषक में ग्रेंट शो मैन राजकपूर की फिल्म सत्यम् श्षिवम् सुंदरम् आई। इस फिल्म में जीतन-अमान और ष्षषि कपूर पर लंबा चुंबन दृष्य फिल्माया गया। सेंसर ने इस दृष्य पर आपत्ति की। राजकपूर अदालत चले गए। इस फिल्म के बाद ही सेंसर बोर्ड ने फिल्मों में चुंबन दृष्य पर लगे प्रतिबंध को वापस ले लिया। चुम्बनों का बढ़ता चलन
‘देव’ फिल्म में करीना कपूर और फरदीन खान के चुम्बन दृष्य की सिने प्रेमियों में खासी चर्चा है। संभवतः करीना ने प्रथम बार किसी फिल्म में चुंबन दिया।
इन दिनों बाॅलीवुड की सेक्स सिंबल बनी मल्लिका ष्षेरावत ने अपनी पहली फिल्म ख्वाहिष में सत्रह चुंबन दृष्य दिए, जिससे लोगों ने उनको चंुबन गर्ल ही कहना ष्षुरू कर दिया। हालांकि इसको लेकर उनको जरा भी खेद नही है। बल्कि वह इसे अपनी कावलियत माननी है।
ष्षमिता ष्षेट्टी केा फिल्म ‘मोहब्बते’ में उदय चोपड़ा के साथ लंबा चुंबन दृष्य है। माधुरी दीक्षित कैरियर के ष्षुरूआती दौर में दो फिल्मों ‘दयावान’ में विनोद खन्ना तथा ‘वदी’ में जैकी श्राफ के साथ चंुबन दृष्य दिया था, ‘सलाम बाम्बे’ फिल्म में भी नाना पाटेकर तथा हम लोगांे की लाजो जी के बीच लंबा चुंबन दृष्य फिल्माया गया था। गौरतलब है कि हिन्दी फिल्मों के ष्षैषव काल में चुंबन दृष्य पर सेंसर के कोई आपत्ति नहीं थी। चालीस के दषक में बनी कुछ फिल्मों में देखे तो रानी तथा हिमांषू राय ने चुंबन दृष्य दिए थे। 50 के दषक तक आते-आते भारतीय सेंसर बोर्ड ने फिल्मांे में चुंबन दृष्य को प्रतिबंधित कर दिया।
सत्तर के दषक में ‘ग्रेट ष्षो मैन’ राजकपूर की फिल्म ‘सत्यम् षिवम् संुदरम्’ आई। इस फिल्म में जीनत-अमान और ष्षषि कपूर पर लंबा चुंबन दृष्य फिल्माया गया । सेंसर ने इस दृष्य पर आपित्त की। राजकपूर अदालत चले गए। इस फिल्म के बाद ही सेंसर बोर्ड ने फिल्मों मंे चुंबन दृष्य पर लगे प्रतिबंध को वापस ले लिया।
रेखा पहली फिल्म
अनजाना सफर की ष्षूटिंग का पहला ष्षेड्यूल बांद्रा के महबूब स्टूडियों मंे चल रहा था। निर्माता कुलजीत पाल ने फैसला किया कि फिल्म में एक जोरदार किसिंग सीन रखा जाए। तब किसी फिल्म में ऐसा दृष्य धमाकेदार बात कहलाता था। कुलजीत और फिल्म के निर्देषक राज नवाथे ने हीरो विष्वजीत के साथ मिलकर योजना बनाई कि रेखा को बताए बगैर अचानक सीन फिल्मा लिया जाए। कैमरा यूनिट को खास दृष्य को कैद करने के लिए तैयार रहने का आदेष दिया गया।
ष्षाॅट ष्षुरू हुआ और विश्वजीत रेखा की ओर बढ़े। एकाएक विष्वजीत ने अपने होंठ रेखा के होठों पर रख दिए। रेखा अचानक पैदा हुई इस स्थिति से घबरा गई और ठंडी पड़ गई। फिल्म मंे यह सीन तीस सेंकेड के लिए रखा जाना था, लेकिन नवाथे ने ऐसा दृष्य कभी फिल्माया नहीं था और इसे देखकर वे सन्न रह गए। यहां तक कि उनके मुंह से कट तक नही निकला! कैमरा चलता रहा और रील में तीन सौ सेंकंेड तक यह चंुबन कैद होता रहा। विष्वजीत और रेखा तब अलग हुए जब यूनिट के सदस्यों ने जोरदार तालियां बजाई।
रेखा को इतनी पब्लिसिटी मिली कि अंतरराष्ट्रीय पत्रिका लाइफ ने अपने एषियाई संस्करण में उनके चंुबन के चित्र प्रकाषित किए! उन दिनों लाइफ में छपना स्टेटस सिंबल होता था।
खैर, रेखा की साइन की हुई यह पहली फिल्म संेसर में अटक गई और कभी नही आई।
-सुरेन्द्र अग्निहोत्री
ए-305, ओ.सी.आर.
बिधान सभा मार्ग;लखनऊ



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