मेलों से संरक्षित होतीं हैं देश की लोक संस्कृतियाॅं - पदमश्री कैलाश मड़बैया


हटा, 16 फरवरी, मध्यदेशीय प्रतिष्ठित पाॅंच दिवसीय बुन्देली मेले का भव्य समारोह में ज्योति प्रज्वलन एवं बुन्देली ध्वज फहरा कर उद्घाटन करते हुये , वरिष्ठ साहित्यकार पदमश्री कैलाश मड़बैया ने कहा कि ऐसे लोक मेलों से देष की लेाक संस्कृतियाॅं सुरक्षित एवं संरक्षित होतीं हैं , राष्ट्ीय एकता केा बल मिलता है और नई पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ती है। उल्लेखनीय है कि हटा में बुन्देली लोक मेला हर वर्ष गौरी शंकर प्रांगण में वृहद स्तर पर भव्य स्वरुप में नगर पालिका द्वारा संयोजित किया जाता है जिसमें हजारों की संख्या में ग्रामवासी और नगर वासी अपने बुन्देली करतबों, खेलों, नृत्यांे और बालायें-महिलायें अपने लोक ब्यजंनों के स्टाल,बिना किसी सरकारी मदद के सजा कर प्रदर्षित करते हैं।मेला अध्यक्ष पुष्पेन्द्र हजारी ने मुख्य अतिथि कवि मड़बैया का बुन्देली साफा और अमृत महोत्सव पर मान पत्र भंेट किया। इस अवसर पर प्रकाषित पत्रिका ‘बंुदेली दर्षन’ के सम्पादक डाॅ.एम.एम. पाण्डेे ने कवि मड़बैया के अमृत महोत्सव पर बंुदेली मेले की ओर से मंगलकामनायें ज्ञापित की तो विषिष्ट अतिथि विष्णु पाठक सागर ने कवि मड़बैया रचित बुन्देलखण्ड के राज गीत ‘हमारी माटी बुन्देली ’ का शानदार संागीतिक आर्केष्ट्ा पेष कराया। श्रीमती अरुणा अध्यक्ष नगर पलिका और श्रीमती ज्योति ठाकुर तहसीलदार द्वारा अतिथियों का पुष्प् एवं श्रीफल से स्वागत किया गया।  कैलाष मड़बैया राई नृत्य एवं सैरा नृत्य की प्रस्तुतियों के बाद लोक गीत एवं युवाओं द्वारा बुन्देल खेलों का आष्चर्यचकित प्रदर्षन किया गया जिन्हें पुरस्कृत भी किया गया। 


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