बांदा, फतेहगंज के जंगल में बिखरी खजुराहो शेली की धरोहरें

बांदा केेेे पर्वत श्रंखलाओं की गोद में बसे बिल्हरिया नाथ मठ की ऐतिहासिक धरोहर हूबहू खजुराहो की तर्ज पर बनी है लेकिन देखरेख के अभाव में चंदेलकालीन मंदिर उपेक्षा का दंश झेल रहा है। यही नहीं शिला खंड जंगलों के बीच फैले पड़े हैं।


बिल्हरिया नाथ मठ फतेहगंज के गोबरी गोड़रामपुर गांव के पास पर्वत श्रेणियों की ढाल पर आबाद है। चारों तरफ जंगल की हरियाली प्राकृतिक छटा बिखेर रही है। गांव के ही नजदीक मुलाव नाम से प्रचलित स्थल में जहां प्राचीन चट्टानें हैं। इसी के समीप एक चंदेलकालीन मंदिर बना है। जिसे बिल्हरिया नाथ मठ के नाम से जाना जाता है। मंदिर करीब 22 मीटर ऊंचा है। जिसमें चंदेलकालीन वास्तु शिल्प मूर्ति कला विद्यमान है। इतिहासकार राधाकृष्ण बुंदेली के अनुसार इसका निर्माण कालिंजर के भरवंशीय राजाओं द्वारा कराया गया था। बुंदेलखंड गजेटियर के मुताबिक भरवंशीय राजाओं के बाद चंदेल राजाओं ने मठ का पुनरू निर्माण कराया। चंदेल युग के पश्चात उस समय यह बघेलों के राज्य में रहा फिर यह बुंदेलों के अधिकार में आ गया। तब फतेहगंज व गोबरी गोड़रामपुर को एक परगना के रूप में विकसित किया गया। बिल्हरिया मंदिर वास्तु शिल्प व मूर्ति शिल्प की दृष्टि से उच्च कोटि की कला को आज भी अपने में समेटे हुए है। जिसकी शैली खजुराहो के मंदिरों से मिलती जुलती है।


बिल्हरिया नाथ मठ के मंदिर व ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने का जिम्मा पुरातत्व विभाग के पास है लेकिन जिस तरह से शिला खंड जंगल में बिखरे पड़े हैं उससे यही लगता है कि इन ऐतिहासिक धरोहरों की उपेक्षा हो रही है। फतेहगंज निवासी वेदप्रकाश उर्फ राजा पांडेय व ओमप्रकाश गुप्त बताते हैं कि बिल्हरिया नाथ मठ में खजुराहो शैली की चित्रकारी देखने को मिलती है लेकिन यहां के ऐतिहासिक धरोहरों की उपेक्षा हो रही है। जबकि घने जंगलों के बीच स्थित इस स्थल की प्राकृतिक सौंदर्यता देखते ही बनती है।


सीढि़यों के निर्माण में नौ लाख खर्च


फतेहगंज रू बिल्हरिया नाथ मठ के संरक्षण के लिए वर्ष 2008 में पुरातत्व विभाग ने ले लिया। इसके बाद वर्ष 2009-10 में सीढि़यों का निर्माण कराया गया। बताते हैं कि सीढि़यों के निर्माण में करीब नौ लाख से अधिक की धनराशि खर्च हो गई फिर भी लोगों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पा रही। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि सीढि़यों के निर्माण में भी मानकों की अनदेखी हुई है।


 
 
 
 


 
 
 


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