दृश्य भारती की अजीमुश्शान पेशकश नाटक बेगम हजरत महल

अवध पर अपना अधिपत्य जमाने की गरज से अंग्रेजों द्वारा पूरी मक्कारी अख्तियार करते हुए लोकप्रिय शासन "नवाब वाजिद अलीशाह'' को गिरफ्तार कर लिया जाता है। नवाब की गिरफ्तारी के वक्त हालांकि भारी जनक्रकोश था....लेकिन दमनकारी अंग्रेजों से मुकाबिले के लिए एकमुश्त कोशिशों की जरूरत महसूस की जा रही थी....ऐसे में बेगम हजरत महल वतन के प्रति अपना फर्ज निभाने आगे आती हैं उनकी सरपस्ती में उनके बेटे ब्रिजिशकद्र को लखनऊ के तख्त पर बैठने के बाद अपने बहादुर सिपहसालारों की मदद से बेगम अंग्रेजों के खिलाफ ऐलाने जंग कर देती है। बेगमहजरमहल का साथ देने के लिए उनके सिपहसालार, राजा जियालाल, राजा बालकिशन, महमूद अली खाँ बहादुर, कंधे से कंधा मिला कर खड़े होते हैं....लेकिन सिर्फ अवध की सेनाएँ अंग्रेजों से मुकाबिला करने के लिए नाकाफी थी...इसलिए बेगम फैजाबाद के मौलवी अहमद उल्लाहशाह और कानपुर के नाना साहेब को आजादी की इस जंग में शामिल कर लेती है...बेगम की सरपस्ती में आजादी के दीवाने अंग्रेजें एसे भिड़ जाते है....ससे अंग्रेजों की फौज रेजिडेन्ट हेनरीलारेन्सा सहित रेजीडेन्सी में कैद होकर रह गये अवध पर बेगम हजरत महल का शासन कायम हो जाता है.....लेकिन इसीबीच चन्द गद्दारों द्वारा क्रांतिकारियों को गुमराह कर दिया जाता है....जिससे कानपुर के रास्ते जनरल आउटरम भारी लाव लश्कर के साथ अवध परा धावा बोल देता है....लखनऊ के कोने-कोने में अंग्रेजों और क्रांन्तिकारियों के बीच भयानक मारकाट मच जाती है....सड़के लाशों और खून से पट जाती है, लेकिन क्रान्तिकारी पीछे हटने को तैयार ना थे। आखिर अपने सैनिकों की हौसला आफजाई के लिए बेगम खुद मैदानए जंग में कूद पड़ती है। अंग्रेजों के पास भारी फौज और हथियार थे...जबकि क्रान्तिकारियों के पास सिर्फ वतनपरस्ती का जज्बा..आखिर अंग्रेज फतेहयाब होने लगते हैं....नाउम्मीदी के वक्त में अपने सिपहसालारों की सलाह पर बेगम नेपाल का रूख करती है अवध पर अंग्रेजों का दोबारा कब्जा हो जाता है। हालांकि इस पहली जंगे आजादी में उनकी शिकस्त हुई लेकिन वतनपरस्ती का जज्बा जीत गया। जिसकी मिसाल मुश्किल है। "आजादी-ए-वतन का जहां जिक्रे आम हैलिख्खा हुआ लहु से हमारा भी नाम है।"



लेखक : अमजद अली खाँ परिकल्पना एवं निर्देशन : नवाब मसूद अब्दुल्लाह


सह निर्देशक : रवि शर्मा, ऋषभ शुक्ला


पात्र नवाब वाजिद अली शाह एवं : नवाब मसूद अब्दुल्लाह जनरल जेम्स अउटरन बेगम हजरत महल : चन्द्रानी मुकर्जी मौलवी अहमद उल्ला शाह विनय श्रीवास्तव सर हेनरी लॉरेंस नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह राजा जय लाल सिंह गुरू दत्त पाण्डेय महाराजा बाल किशन अमित सिन्हा कुर्बान अली : रवी शर्मा महमूद अली खां बहादुर : ऋषभ शुक्ला शहजादा ब्रिजीस कुद्र : मोहम्मद रिजवान जनरल हैवलक : राहुल दूबे मेजर बैंक्स आसिफ अली खाँ हुस्नआरा रािखी चौबे जियालाल का पुत्र : मो0 फराज खाँ


कत्थक नर्तकी अपर्णा मिश्रा ढिंढोरची एवं अंग्रेजी सिपाही - 1 |: आदित्य पटेल अंग्रेज सिपाही - 2 : समीर जमाल । दरबान -1 :बाबर अली खाँ दरबान - 2 : मो0 मुशताक दरबान - 3 : राजेश चौबे


 


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