प्रदेश में पेयजल समस्या का त्वरित निस्तारण हेतु जनपद स्तर पर कन्ट्रोल रूम स्थापित करते हुए नोडल अधिकारी नामित -डाॅ. महेन्द्र सिंह मंत्री, ग्राम्य विकास, उ.प्र.

लखनऊ। विज्ञान भवन नई दिल्ली में जल शक्ति मंत्री, भारत सरकार गजेन्द्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता मंे जल संरक्षण और ग्रामीण पेयजल पर आयोजित बैठक में उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ग्राम्य विकास, चिकित्सा एंव स्वास्थ्य (एम.ओ.एस.) द्वारा प्रतिभाग किया गया। इस अवसर पर डाॅ0 महेन्द्र सिंह मंत्री ग्राम्य विकास उ0प्र0 नेे कहा कि अभिनन्दन, स्वागत समारोह के समय बैठक आहूत करना जल की महत्ता एवं आवश्यकता को दर्शाता है। जल का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है एवं बिना जल के धरती पर किसी प्रकार के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। जल का उपयोग सिर्फ हमारे दैनिक कार्यों के लिये ही नहीं, बल्कि इसका सीधा संबंध हमारे स्वास्थ्य से भी है। उन्होंने कहा कि वरूण देवता की स्तुति सम्पूर्ण ऋग्वेद में 30 सूक्तियों में किया गया है और ऋग्वेद का 7वाॅ मंडल वरूण देवता को समर्पित है। इस प्रकार से जल का सीधा संबंध दैनिक उपयोग के साथ-साथ जीवों के स्वास्थ्य पर असर डालता है। जल का उपयोग हम लोगों के द्वारा अनेक कार्यों पेयजल, कृषि सिंचाई कार्य, उद्योग एवं जल परिवहन के तौर पर किया जाता है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश सबसे बडा राज्य है। 2 लाख 40 हजार 928 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ प्रदेश 75 जिलों में विभाजित है, जिसमें 823 ब्लाक एवं 59 हजार 19 पंचायतें हैं। वर्तमान समय में पूरे प्रदेश की जनसंख्या 23 करोड़ है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र की जनसंख्या 17.5 करोड है। उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से 5 प्रकार की समस्यायें हैं। पहली आर्सेनिक और फ्लोराइड से प्रभावित क्षेत्र है। दूसरा क्षेत्र जेई और एईएस से प्रभावित है। तीसरा खारे पानी और चैथा हमारा बुन्देलखण्ड क्षेत्र है और पाॅचवाॅ क्रिटिकल एवं सेमीक्रिटिकल जोन, जिसे हम डार्क जोन में परिवर्तित करते हैं, ऐसे हमारा पूरा प्रदेश आच्छादित हो गया है। डाॅ0 महेन्द्र सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने पानी की समस्या को दूर करने के लिये हर सम्भव कोशिश कर रहे हैंे, जिसका सार्थक परिणाम यह रहा है कि जिस बंुन्देलखण्ड में पानी की ट्रैन भेजी जाती थी, पिछले दो वर्षों से हमने ऐसा नियोजन किया है कि पानी की कोई समस्या नहीं हो पाई है। प्रदेश सरकार के पास जो सीमित संसाधन थे उसी में सफल प्रयास कर के हम ने पानी की समस्या को दूर किया है। प्रधानमंत्री जी ने ''नल से जल'' देने की बात कही है, जिस को दृष्टिगत रखते हुये प्रदेश सरकार ने बुंदेलखण्ड के लिये 9000 करोड रू0 का एक प्रोजेक्ट तैयार किया है, शिलान्यास के उपरान्त शीघ्र ही उस पर कार्य आरम्भ किया जायेगा। पूरे प्रदेश में इसके लिये 1 लाख 20 हजार करोड धनराशि की आवश्यकता है, जिससे हम पूरे प्रदेश के घर-घर में नल का पानी मुहैया करा सकेंगे। उन्होंने बताया कि इस 1 लाख 20 हजार करोड की परियोजना में से 35 हजार करोड़ की परियोजना का डीपीआर तैयार है। जिसमें आर्सेनिक, फ्लोराइड, जेई और एईएस और बुन्देलखंड के क्षेत्रों में पानी की समस्याओं को दूर किया जायेगा। इस अवसर पर इस डीपीआर को मूर्तरूप प्रदान करने के लिये प्रदेश के ग्राम्य विकास मंत्री ने 35 हजार करोड की धनराशि की आर्थिक सहायता राशि की माॅग की। डाॅ0 महेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रदेश में ग्रामीण समुदाय को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने हेतु वर्तमान में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम, विश्व बैंक सहायतित 14 जनपदों में नीर निर्मल परियोजना, चिन्हित 08 जनपदों में स्वजल परियोजना कार्यक्रम, राज्य ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम, बुदेंलखंड व विन्ध्य क्षेत्र तथा प्रभावित ग्रामों में पाईप पेयजल योजना, प्रधानमंत्री जन कल्याण योजना तथा बुदेंलखंड पैकेज के अंतर्गत ग्रामीण समुदाय को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के कार्यक्रम संचालित हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश की 260018 ग्रामीण बस्तियों में से 5279 ग्रामीण पाईप पेयजल योजनाओं से 28598 बस्तियों को आच्छादित करते हुए लगभग 261.78 लाख जनसंख्या को पेयजल से लाभान्वित किया गया है, शेष 231420 ग्रामीण बस्तियों की 1291.39 लाख जनसंख्या को लभान्वित किया जाना है । उन्होंने बताया कि प्रदेश में ग्रामीण आबादी को पेयजल उपलब्ध कराने हेतु कुल 28.50 लाख इंडिया मार्क-2 हैंडपंप अधिष्ठापित करते हुए प्रदेश की समस्त बस्तियों को 40 एल.पी.सी.डी की दर से संतृप्त किया गया है। इसके अतिरिक्त प्रदेश के कुल 823 विकास खंडों में 113 डार्क, 59 क्रिटिकल एवं 45 सेमीक्रिटिकल हंै। प्रदेश में सरफेस वाॅटर की वर्तमान उपलब्धता 139 बिलियन क्यूबिक मीटर एंव ग्रांउड वाॅटर उपलब्धता 70.18 बिलियन क्यूबिक मीटर है। इसके अलावा प्रदेश में आर्सेनिक प्रभावित कुल बस्तियों की संख्या 1559 है, जिसमें 521 बस्तियों को पाईप पेयजल परियोजनाओं से अच्छादित किया जा चुका है, 711 बस्तियोें के आच्छादन का कार्य प्रक्रियाधीन है। अवशेष 327 बस्तियों को आच्छादित किया जाना है। इसके अतिरिक्त प्रदेश में फ्लोराईड प्रभावित कुल बस्तियों की संख्या 2433 है, जिसमें 1493 बस्तियों को पाईप पेयजल योजनाओं से आच्छादित किया जा चुका है, 303 बस्तियों के आच्छादन का कार्य प्रक्रियाधीन है। अवशेष 637 बस्तियों को आच्छादित किया जाना है। प्रदेश में जे.ई./ए.ई.एस प्रभावित कुल बस्तियों की संख्या 3089 है, जिसमें 321 बस्तियों को पाईप पेयजल योजनाओं से आच्छादित किया जा चुका है, 505 बस्तियों को आच्छादन का कार्य प्रक्रियाधीन है। अवशेष 2263 बस्तियों को आच्छादित किया जाना है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा बुन्देलखण्ड व विन्ध्य क्षेत्र तथा गुणता प्रभावित ग्रामों में शुद्ध पेयजल उपलब्घ कराने हेतु पाईप पेयजल योजना प्रारंभ की गयी है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के अन्तर्गत जनपद ललितपुर, झांसी, जालौन, महोबा, हमीरपुर, बांदा एवं चित्रकूट तथा विन्ध्य क्षेत्र के जनपद मिर्जापुर एवं सोनभद्र के कुल 7628 ग्रामों में से 1908 ग्राम पाईप पेयजल योजनाओं से आच्छादित है। शेष 5720 ग्रामों हेतु शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराये जाने के दृष्टिगत प्रथम चरण में बुन्देलखण्ड व विन्ध्य क्षेत्र में कुल 441 भूमिगत व सतही स्रोतों पर अधारित योजनाएं बनाई जानी है, जिससे लगभग 76 लाख आबादी लाभान्वित होगी। उक्त पर कुल रू. 15722.89 करोड़ व्यय होने का अनुमान है। दूसरे चरण में आर्सेनिक फ्लोराईड, जे.ई./ए.ई.एस प्रभावित बस्तियों को पाईप पेयजल योजनाओं से आच्छादित किया जाएगा। डाॅ0 महेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रीष्म ऋतु में पेयजल की समस्या के त्वरित समाधान कराये जाने हेतु जनपद स्तरीय संबंधित प्रशासनिक मशीनरी को 24 घंटे एलर्ट पर रखते हुए पेयजल समस्या की सूचना ग्रामीण जनता से प्राप्त करने एंव प्राप्त सूचना के आधार पर पेयजल समस्या का त्वरित निस्तारण कराने हेतु जनपद स्तर पर कन्ट्रोल रूम स्थापित करते हुए नोडल अधिकारी नामित किये गये हैं। बुन्देलखण्ड एंव बुन्देलखण्ड क्षेत्र जैसे भौगोलिक स्थिति वाले जनपदों के ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रीष्म ऋतु में पेयजल की समस्या के त्वरित समाधान हेतु टैंकर्स के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। उक्त 15 जनपदों से प्रतिदिन सूचना प्राप्त करते हुए पेयजल की समस्या के समाधान की समीक्षा की जा रही है। इसके अतिरिक्त जल संरक्षण एवं संवर्धन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश मंे विगत 03 वर्षों में 210975 तालाब निर्माण के अतिरिक्त चेक डैम, रिचार्ज पिट तथा मेड़बंदी इत्यादि कार्य किए गये हैं तथा इस वर्ष लगभग 15000 तालाबों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। इस संबंध में जनपद स्तरीय अधिकारियों को वाॅटर सेफ्टी एंव वाॅटर सिक्योरिटी प्लान तैयार किये जाने हेतु प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस बार प्रदेश में 22 करोड़ वृक्षारोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।


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