भाजपा जनता को बहकाने वाली योजनाएं बनाने और उन्हें प्रचारित करने में बेमिसाल है-अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि सत्ता में पहली बार आते ही भाजपा सरकार में स्वच्छ भारत अभियान शुरू हुआ था। इसके होहल्ले में कई नामी गिरामी लोग झाड़ू लगाते दिखे और कई तो इसके एम्बेस्डर भी बन गए थे। कुछ दिन जोरदार विज्ञापन छपे फिर यह अभियान स्मार्टसिटी बनाओं, और घर-घर (शौचालय) 'इज्जतघर' बनाओं के नारों में सिमट गया। स्मार्ट सिटी की लिस्ट सामने नहीं आई। षौचालयों में पानी न होने से वे बेकार हो गए।
          अब वाराणसी में पौधारोपण करते हुए प्रदूषण से मुक्ति, पर्यावरण संरक्षण और घर-घर में नल से जल की नई योजनाओं का एलान किया हैं। इन योजनाओं का हश्र भी पुरानी योजनाओं जैसा होना है। भाजपा सरकार के राज में भारत प्रदूषण की श्रेणी में उच्चतम स्तर पर है। आंकड़ो के नया भारत में स्वच्छता के कहीं दर्शन नहीं हो रहे है। नालों और सीवर की गंदगी बहती रहती है। गंगा-गोमती-यमुना सब गंदे नालों से प्रदूषित हैं, उनका जल पीने योग्य नहीं। उनको स्वच्छ बनाने का अभियान अभियान ही रह गया।
          स्वच्छता के अभाव में प्रदूषण के वातावरण में रहते हुए देश-प्रदेश में बीमारियों का प्रकोप है। उत्तर प्रदेश में जापानी बुखार में हजारों बच्चों की जानें गईं, बिहार में चमकी बुखार से सैकड़ों बच्चों की अकाल मृत्यु हो गई। देश के कई अन्य भागों में भी बीमारियों से मौतों का सिलसिला जारी हैं। भारत में तमाम रोगों के रोगी पाए जाते हैं। भारत वास्तव में बीमारियों का घर बन गया है। 
        सच्चाई यह है कि देश-प्रदेश में वन क्षेत्र लगातार घटता जा रहा है। वृक्षारोपण वार्षिक उत्सव से ज्यादा कुछ नहीं रह गया है। चंद जगहों पर पौधारोपण का सचित्र वर्णन हो जाना ही काफी समझा जाता है। समाजवादी सरकार ने एक दिन में ही करोड़ों पौधे लगाकर एक रिकार्ड बनाया था, वैसा सामूहिक प्रयास फिर नहीं हुआ। बुंदेलखण्ड में तालाबों का पुनरूद्धार तभी समाजवादी सरकार में ही हुआ था। आज बुंदेलखण्ड भाजपा सरकार में पानी के भारी संकट में फंसा है।   
        यह बात तो अब जगजाहिर है कि जल के दुरूपयोग और जल स्रोतों के लगातार दोहन से जल संकट गहराता जा रहा है। भूगर्भ जलस्तर में गिरावट आती जा रही है। जलाशय सूख रहे हैं। अगले कुछ वर्षों में जल संकट गंभीर रूप ले लेगा। जल का भीषण दुरूपयोग रोका नहीं जा सका है। ऐसे में घर-घर को नल से जल कहां मिलेगा जबकि आज की स्थिति में जल और सीवर की लाईनें भी साथ-साथ चलती दिखती हैं। हैण्डपम्पों का पानी भी दूषित मिल रहा है। राजधानी लखनऊ में ही लोग नलों से गंदा और बदबूदार पानी पीने को बाध्य हैं।
         भाजपा जनता को बहकाने वाली योजनाएं बनाने और उन्हें प्रचारित करने में बेमिसाल है। जमीनी हकीकत में भले ही वे सफल न हों, किन्तु कागजी आंकड़ों और बयानों में उनका जवाब नहीं। सच्चाई यही है कि भाजपा की तमाम योजनाएं सिर्फ कुछ दिनों के प्रचार के बाद ही दम तोड़ देती है। उनका स्वच्छता अभियान नारों-भाषणों और विज्ञापनों तक ही सीमित है। प्रदूषण के मामले में भारत का रिकार्ड उल्लेखनीय है। किसी लक्ष्य की प्राप्ति अच्छी नीयत और ईमानदार प्रयास से ही होती है। वर्तमान सत्ताधारी जनता के प्रति निष्ठावान नहीं हैं। वे जनसेवा के लिए नहीं, सत्ताभोग की राजनीति कर रहे हैं।
                                            


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