उत्तर प्रदेश में दूर होगी पानी की समस्या


जल का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। जल का उपयोग सिर्फ हमारे दैनिक कार्यों के लिए ही नहीं, बल्कि इसका सीधा संबंध हमारे स्वास्थ्य से भी है। अविवेकपूर्ण जल दोहन तथा उपयोग के कारण पानी की समस्या दिनोदिन गम्भीर होती जा रही है। 

पिछले कुछ दशकों से हर वर्ष लगातार वर्षा की कमी से भी देश के कई हिस्से भयंकर सूखे का सामना कर रहे हैं। कुछ क्षेत्रों में प्राकृतिक जल स्रोतों के सूखने तथा भूमिगत जल स्तर नीचे जाने से भी पेयजल की समस्या गहराती जा रही है। गर्मी के दिनों में पेयजल संकट कुछ क्षेत्रों में विकराल रूप ले लेता है। उ0प्र0 सरकार पेयजल की समस्या के स्थायी समाधान के लिए तमाम उपाय कर रही है।

भारत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की समस्या के समाधान के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम शुरू किया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य हर व्यक्ति को पीने, भोजन बनाने तथा अन्य घरेलू जरूरतों के लिए शुद्ध पेयजल निरन्तर उपलब्ध कराया जाना है। ग्रामीण पेयजल आपूर्ति क्षेत्र में पेयजल स्रोतों तथा विभिन्न प्रणालियों को क्रियाशील बनाये रखना जरूरी है और एक बड़ी चुनौती भी है। 

उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड जैसे जटिल भौगोलिक स्थिति वाले तथा इसके समकक्ष अन्य जनपदों में पेयजल समस्या के निवारण के लिए राज्य सरकार ने विभिन्न कार्यक्रम शुरू किये हैं। प्रदेश के कुछ जनपदों में फ्लोराइड तथा आर्सेनिक जैसे प्राकृतिक प्रदूषकों एवं मानव निर्मित रासायनिक प्रदूषकों जैसे कीटनाशकों का स्तर कई क्षेत्रों में अत्यंत अधिक होने के कारण पेयजल स्रोतों के लिए गम्भीर समस्या उत्पन्न कर रहा है।

इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल स्रोतों के आसपास खुले में शौच एवं गंदगी के कारण जैविकीय प्रदूषण बढ़ता जा रहा था, किन्तु प्रदेश सरकार कीगांवों में मूल स्वच्छता कार्यक्रम के क्रियान्वयन के कारण पानी से पैदा होने वाली बीमारियों में कमी आयी है। खासतौर से स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत बड़े पैमाने पर शौचालयों के निर्माण से ग्रामीण जीवन को जल जनित बीमारियों से राहत मिली है। खासतौर से उ0प्र0 के पूर्वी क्षेत्रों में प्रदूषित जल से होने वाली जेई/एईएस जैसी गम्भीर बीमारी का प्रकोप कम हुआ है।

जनसंख्या की दृष्टि से उ0प्र0 बड़ा राज्य है। प्रदेश की जनता को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम, विश्व बैंक सहायतित 14 जनपदों में-नीर-निर्मल परियोजना, चिन्हित 8 जनपदों में स्वजल परियोजना, राज्य ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम, बुन्देलखण्ड व विन्ध्य क्षेत्र तथा पेयजल संकट से जूझ रहे अन्य क्षेत्रों में पाइप पेयजल योजना तथा बुन्देलखण्ड पैकेज के तहत विभिन्न कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं।

उ0प्र0 की 260018 ग्रामीण बस्तियों में से 5279 ग्रामीण पाइप पेयजल योजनाओं से 28598 बस्तियों को कवर करते हुए लगभग 26.178 लाख जन संख्या को लाभान्वित किया गया है। शेष ग्रामीण बस्तियों को लाभान्वित किये जाने की कार्यवाही की जा रही है। बुन्देलखण्ड व विन्ध्य क्षेत्र में कुल 441 भूमिगत व सतही स्रोतों पर आधारित योजनाएं बनायी जानी हैं, जिससे लगभग 76 लाख आबादी लाभान्वित होगी। इस पर कुल 15722.89 करोड़ रुपये व्यय होने का अनुमान है।

प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मी के मौसम में पेयजल की समस्या के तत्काल समाधान के लिए जनपद स्तरीय संबंधित प्रशासनिक मशीनरी को 24 घंटे एलर्ट पर रखते हुए पेयजल समस्या की सूचना ग्रामीण जनता से प्राप्त करने एवं उसके आधार पर पेयजल समस्या के तत्काल समाधान के लिए कन्ट्रोल रूप स्थापित किये गये है। प्रदेश सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि प्रदेश के किसी भी व्यक्ति पीने के पानी की कमी से जूझना न पड़े।

विगत 21 जून 2019 को दिल्ली के विज्ञान भवन में केन्द्रीय ''जल शक्ति'' मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई जल संरक्षण और ग्रामीण पेयजल पर आधारित बैठक में उ0प्र0 के ग्राम्य विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा0 महेन्द्र सिंह ने भाग लेकर प्रदेश में पेयजल की समस्या के समाधान के लिए 35 हजार करोड़ रुपये की धनराशि की मांग की। इस प्रकार उ0प्र0 सरकार नल से जल सभी तक पहुँचाने के लिए कटिबद्ध है और इस दिशा में गम्भीर प्रयास किये जा रहे हैं।


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