सरकारी घोषणायें व दावे अधिकांश कागजी -मायावती
लखनऊ, 15 अगस्त, 2019: 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लाल किले से किए गए सम्बोधन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने कहा कि देश भर में छाई खासकर व्यापक गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी व अशिक्षा के साथ-साथ हिंसा, तनाव व जातिवादी द्वेष आदि के सम्बन्ध में पी.एम. का हमेशा की तरह मौन रहना व ठोस उपाय नहीं करना यह साबित करता है कि देश की आम जनता के जीवन में बेहतर बदलाव की आशा बहुत कम ही दिखती है।
इसके अलावा सरकारी घोषणायें व दावे अधिकांश कागजी ही ज्यादा नजर आती हैं, जमीन पर अमल होता हुआ यह कहीं नजर नहीं आता है, जिससे देश का भला कैसे हो सकता है? देश की अधिकांश जनता रोटी-रोजी के लिए परेशान है। इसके अलावा पी.एम. देश में भयमुक्त वातावरण बनाने के सम्बन्ध में अगर कुछ बोलते तो यह अच्छी बात होती। साथ ही, दबे, कुचले समाज के लोगों के हित व कल्याण पर देश को आश्वस्त किया जाता तो यह बेहतर होता।
जहाँ तक जम्मू-कश्मीर की बात है, तो वहाँ के लोगों को इस बात का अहसास होना चाहिए कि सरकार उनके हित व भलाई के लिए काम कर रही है, जैसा कि दावा किया जा रहा है।
दूसरी तरफ देश की आर्थिक स्थिति को लेकर हर तरफ चिन्ता की लहर है। मन्दी के आसार मण्डरा रहे है। ऐसे में सरकार को काफी ठोस उपायों पर काम करने की सख्त जरूरत है। हालाँकि यह भी एक कड़वा सत्य है कि देश ने जो प्रगति के दावे अब तक किए हैं, उससे देश के गरीबों, मजदूरों व अन्य तमाम् मेहनतकश लोगों का जीवन स्तर सुधर नहीं पाया है, जो अति दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण है।
''एक देश, एक चुनाव'' के मामले में भी केन्द्र सरकार को विश्वसनीय व ठोस मजबूत उपाय का विकल्प लेकर देश की जनता के सामने आना चाहिए। नया विकल्प हमेशा बेहतर व जनहिताय का होना चाहिए।