शिशुओं के लिए स्तनपान उनका मौलिक अधिकार ईएमएस अधिनियम 2003 के तहत मिलता है यह अधिकार एक अगस्त से शुरू हुआ विश्व स्तनपान सप्ताह 7 तक चलेगा

लखनऊः 03.08.2019
डॉक्टर वेद प्रकाश महाप्रबंधक, बाल स्वास्थ्य, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश ने आज अपने कार्यालय में विश्व स्तनपान सप्ताह की जानकारी देते हुए कहा कि माताएं अपने शिशुओं को सुविधापूर्वक स्तनपान करा सकें इसके लिए प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक स्थलों पर भी स्तनपान कार्नर बनाने चाहिए। इसके लिए सामाजिक एवं स्वयंसेवी संस्थाओं को भी आगे आकर सामजिक जागरूकता लानी होगी। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि सभी विभागों की मदद से पहले इन स्थलों को चिन्हित किया जाए। फिर इसको स्तनपान कार्नर के रूप में विकसित किया जाए।
उन्होंने कहा कि शिशुओं के लिए स्तनपान उनका मौलिक अधिकार है। यह अधिकार उनको शिशु दुग्ध अनुकल्प, पोषण बोतल और शिशु खाद्य अधिनियम, 2003 के तहत मिलता है। डॉक्टर वेद प्रकाश ने जानकारी दी कि ईएमएस अधिनियम में उल्लंघन करने पर 5000 रुपये जुर्माना और 2 साल जेल भेजने का भी प्रावधान है। उन्होने बताया कि  ईएमएस अधिनियम, 2003 के बारे में भी समाज को जानकारी दी जा रही है ताकि इसके बारे में जागरूकता बढ़े और प्रदेश में स्तनपान को हर प्रकार से बढ़ावा मिले।
डॉक्टर वेद प्रकाश  ने अधिनियम की जानकारी के साथ-साथ ये भी बताया कि
माँ की मृत्यु हो जाने पर माँ को एचआईवीध्एड्स हो जाने पर अथवा मान द्वारा स्तनपान करवाने कि असमर्थता की स्थिति हो तो  इन परस्थितियों में ऊपरी दूध दिया चाहिए इसके अतिरिक्त परित्यक्त शिशु और गॉड लिए गए शिशु को भी मां के दूध की अनिवार्यता नहीं है।
    उन्होंने बताया कि शिशुओं के स्वास्थ्य को दृष्टिगत रखकर  स्तनपान कराने को बढ़ावा देने के लिए इस अधिनियम के अंतर्गत दो  वर्ष  से कम आयु के बच्चों को तैयार किये गए डिब्बा बंद अन्न पदार्थ का विज्ञापन या प्रोत्साहन देने पर रोक है, किसी भी प्रसार माध्यम से मां के दूध का पर्याय समझाकर डिब्बाबंद पाउडर का प्रचार वर्जित है। अधिनियम में प्रसव पूर्व देखभाल और शिशु आहार के सम्बन्ध में शैक्षणिक सामग्री विज्ञापन हेतु दिशा-निर्देश जारी हैं तथा माँ और स्वास्थ्य सेवक को भेंट, वस्तु या अन्न पदार्थ के मुफ्त नमूने देना वर्जित किया गया है। इसमें शैक्षणिक साहित्य और बाल आहार के डिब्बे को सैंपल या डोनेशन के रूप में देने पर पाबंदी है।
अधिनियम में बताया गया है कि बाल आहार के डिब्बों पर बच्चों या मां के चित्रों का प्रयोग नहीं करना  चाहिए। स्वास्थ्य संस्था को किसी भी प्रकार का डोनेशन देने के लिए कंपनियों पर पाबंदी है। इस प्रकार की सामग्री की बिक्री के लिए कर्मचारियों को कोई भी प्रोत्साहन रुपी रकम पर पाबन्दी लगायी गयी है। बच्चों के लिए सभी बोतलों पर अंग्रेजी तथा स्थानीय भाषा में लिखा होना चाहिए कि 'स्तनपान सर्वोत्तम है'। लेबल्स पर किसी भी महिला, शिशु व ऐसे किसी भी वाक्य का प्रयोग नहीं करना जो कि इस प्रकार के उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देते हों। पोस्टर्स के द्वारा विज्ञापन पर भी  मनाही है।
डॉक्टर वेद प्रकाश ने बताया एक अगस्त से शुरू हुआ विश्व स्तनपान सप्ताह सात अगस्त तक चलेगा  इस दौरान माता-पिता में स्तनपान को लेकर जागरूकता पैदा करना, माता-पिता को स्तनपान को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना, जैम के पहले घंटे में स्तनपान की शुरुआत और इसके  स्तनपान के महत्व को लेकर जागरुकता पैदा करना पर्याप्त एवं उचित पूरक आहार,स्तनपान के महत्व से संबंधित सामग्री उपलब्ध कराने का कार्य किया जायेगा।
इस वर्ष  'स्तनपान  के लिए सक्षम करने हेतु माता पिता का सशक्तिकरण' की थीम पर ये सप्ताह मनाया जा रहा है। यहां ये उल्लेखनीय है कि स्तनपान  मां और बच्चे दोनों के बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है.यह प्रारंभिक अवस्था में दस्त और तीव्र श्वसन संक्रमण जैसे संक्रमणों को रोकता है और इससे शिशु मृत्यु दर में कमी आती है। यह मां में स्तन कैंसर, अंडाशय के कैंसर, टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग विकसित होने के खतरे को कम करता है। यह नवजात को मोटापे से संबंधित रोगों, डायबिटीज से बचाता है और आईक्यू बढ़ाता है। जन्म के बाद पहले छह महीने तक शिशु को स्तनपान ही कराएं, अन्य प्रकार के दूध, आहार, पेय अथवा पानी न दें।
महाप्रबंधक, बाल स्वास्थ्य डॉक्टर वेद प्रकाश ने कहा कि प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक स्थलों पर अब स्तनपान कार्नर बनाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस क्रम में हमारी कोशिश होगी है कि सभी विभागों की मदद से पहले इन स्थलों को चिन्हित किया जाए। फिर इसको स्तनपान कार्नर के रूप में विकसित किया जाए। गौरतलब है कि गुरुवार को मुरादाबाद की सीएमओ विनीता अग्निहोत्री और शुक्रवार को लखनऊ के जिलाधिकारी कौशल राज इस मुद्दे आवश्यक निर्देश दे चुके हैं।


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