अलका अस्थाना  की पुस्तक सपनों सी ये धूप का लोकार्पण



जी.डी. फाउंडेशन के संयोजन में लखनऊ के 17वें पुस्तक मेला में कवयित्री अलका अस्थाना के काव्य संग्रह सपनों सी ये
धूप के विमोचन के अवसर पर इतिहासकार श्री योगेश प्रवीण,अध्यक्ष, मुख्य अतिथि श्रीमती विद्या बिन्दु जी, विशिष्ट
अतिथि श्री ओम निश्छल, अतिविशिष्ट अतिथि एवं मुख्य वक्ता आचार्य ओम नीरव जी तथा अलका सक्सेना जी के कुशल
संचालन में कार्यक्रम का प्रारम्भ मा सरस्वती जी की वाणी वन्दना से प्रारम्भ हुआ। इसके बाद अतिथियों के द्वारा
विषयांकित कृति का लोकार्पण हुआ। अलका अस्थाना ने एक कवयित्री के रूप में अपने विचारों में कृति के मूल मन्त्रों को
साझा करते हुए इसे अपने माता-पिता को समर्पित किया। इसके बाद मुख्य वक्ता आचार्य ओम नीरव जी ने इस लोकार्पित
संग्रह के विषय में बताया कि कवियत्री के मृदु और सरल व्यवहार होने का प्रभाव भी इस कृति पर पड़ी है। आपने अपने
भावों को सीधे और सरल शब्दों में प्रसाद गुणों का समावेश करके रचनाओं को सृजित किया है। पुस्तक बेहद पठनीय है।
पाठकों को इसे अवश्य पढ़ना चाहिए। इसके बाद डॉ अमिता दुबे सहित कई श्रेष्ठ साहित्यकारों व समाज सेवियों का सम्मान
भी हुआ। कवियत्री अलका अस्थाना के माता-पिता का सम्मान किया जाना बहुत ही भावुक पल लगा। पूरा पंडाल हर्ष से
बीच तालियों से गड़गड़ा उठा। वास्तव में मानव को आज ऐसे ही अवसरों को खोज अथवा रचकर समाज में लाना ही
चाहिए, जब वह अपने माता-पिता को सार्वजनिक रूप से उनके द्वारा किये गए निःस्वार्थ सेवाओं के लिए सम्मानित करे।
सच्चे अर्थ में यही कार्य माता-पिता के प्रति सच्चा प्यार, श्रद्धा और तर्पण का औचित्यपूर्ण व सार्थक मूल्यांकन ही है। अंत में
इतिहासविद  योगेश प्रवीण ने कहा कि अलका अस्थाना की कृति और रचनाकर्म दोनों ही प्रणम्य है। मैं इन्हें आशीर्वाद व
साधुवाद देता हूँ।।


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