*कपि के ममता पूँछ पर सबहि कहउँ समुझाइ ! तेल बोरि पट बाँधि पुनि पावक देहु लगाई ! जरइ नगर भा लोग बिहाला ! झपट लपट बहु कोटि कराला!*


श्रीनगर (महोबा)*

दूत को मारना उचित नहीं है और बंदरों को अपनी पूछ बहुत प्यारी होती है अतः इसकी पूंछ पर आग लगाकर इसे छोड़ दिया जाए रावण के फैसले पर जैसे ही आग लगाई गई हनुमान जी ने पूरी लंका को जलाकर राख कर दिया

श्री नवयुवक रामलीला मंडल श्रीनगर के तत्वाधान में सप्तम दिवस की लीला में लंका दहन की लीला खेली गई जिसमें श्री राम और लक्ष्मण सीता की खोज में पशु पक्षियों इत्यादि और से पूछना और विरह की लीला बहुत ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया शबरी द्वारा किसकंधा पर्वत जाकर सुग्रीव से मित्रता करने की बात कहने पर वहां पर राम हनुमान मिलन होता है इसके बाद श्री राम सुग्रीव और बाली युद्ध में बालि को मार देते हैं इसके बाद हनुमान जी जामवंत अंगद सहित सीता की खोज में निकलते हैं और हनुमान जी द्वारा सोयोजन समुद्र लांघ कर लंका पहुंचते हैं और अशोक वाटिका में श्रीराम द्वारा दी गई मुद्रिका को देकर  औ उनकी व्यथा सुनकर भगवान राम का संदेश सुनाते हैं तदोपरांत वह अशोक वाटिका को तहस-नहस कर देते हैं फलस्वरूप इंद्रजीत ब्रह्मास्त्र में बांधकर उन्हें रावण के दरबार में ले जाता है जहां पर सर्व निर्णय से उनकी पूछ में आग लगा दी जाती है जिससे वह चक्कर पूरी लंका को आग की लपटों में जॉब देते हैं और पल भर में सोने की लंका जलकर रात हो जाती है हनुमान जी द्वारा आसमान में उड़ कर दिखाई जाने वाली लीला को यहां देख कर सभी ने रामलीला मंडल श्रीनगर को बधाई दी और आभार व्यक्त किया इस अवसर पर भारी संख्या में जन समुदाय उपस्थित रहा

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