47वीं अखिल भारतीय पुलिस साइंस कांग्रेस का समापन



47वीं अखिल भारतीय पुलिस साइंस कांग्रेस का समापन कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। जिसके मुख्य अतिथि मा0 श्री अमित शाह, गृह मंत्री, भारत सरकार, विशिष्ट अतिथि  श्री योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री उ0प्र0, मा0 श्री केशव प्रसाद मौर्य, उपमुख्यमंत्री, उ0प्र0, मा0 श्री दिनेश शर्मा, उपमुख्यमंत्री, उ0प्र0 सहित वरिष्ठ पुलिस/प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे।
श्री ओ0पी0 सिंह, पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 द्वारा मुख्य अतिथि  श्री अमित शाह जी एवं विशिष्ट अतिथि  श्री योगी आदित्यनाथ जी का स्वागत करते हुए उन्हें प्रतीक चिन्ह भेंट किया गया। पुलिस महानिदेशक द्वारा सभागार में उपस्थित सभी पुलिस/प्रशासनिक अधिकारियों तथा देश के अन्य प्रदेशों एवं केन्द्रीय पुलिस इकाईयों से प्रतिभागी विद्वत्जनों को सम्बोधित करते हुए पुलिस कार्य योजना में विकास हेतु विभिन्न सत्रों में प्रस्तुत किये गये पेपरों/विचारों के लिये धन्यवाद ज्ञापित किया। वर्तमान में राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा पुलिस रिफार्म के लिये किये जा रहे कार्यों की भी चर्चा की एवं साधुवाद दिया।
समापन समारोह में तजेन्द्र सिंह लूथरा, महानिरीक्षक, बी0पी0आर एण्ड डी द्वारा समस्त 6 सत्रों में 6 विषयों पर पारित प्रस्ताव पढ़े गये। प्रत्येक सत्र में दो प्रस्ताव पास हुए-
47वें अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस लखनऊ में पारित प्रस्ताव
पुलिस को परस्पर विरोधी मांगों से निपटने के लिए कौशल विकसित करने की आवश्यकता है ताकि सभी स्थितियों में कानून का शासन बरकरार रहेए प्रक्रियात्मक न्याय सुनिश्चित होए नागरिकों के साथ सम्मान और संवेदनशीलता के साथ व्यवहार किया जाए।
पुलिस को डेटा विश्लेषणए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अपराध भविष्यवाणी उपकरणों जैसे वर्तमान और उभरते तकनीकी नवाचारों का लाभ उठाने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित और प्रशिक्षित होना चाहिएए जिसका पुलिस सुधारों के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपयोग हो सके।
विशेष राष्ट्रीय मिशन के माध्यम से अत्याधुनिक स्तर पर फॉरेंसिक रिस्पांस क्षमताओं के प्रति राष्ट्रीय पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने और आवश्यक वित्तीय सहायता और तकनीकी संसाधनों को जुटाने और विभिन्न मानकों को विकसित करने की आवश्यकता है।
विभिन्न पुलिस और फोरेंसिक क्षेत्रों के लिए उपकरण और कौशल को नए सिरे से परिभाषित और टिकाऊ बनाने की आवश्यकता है।
हाई स्कूल स्तर के लड़कों को संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए पुलिस को एक व्यापक संवेदीकरण कार्यक्रम शुरू करना चाहिए।
लैंगिक हिंसा के लोगों का पुनरू उत्पीड़न को रोकने के लिए और उनके प्रति सहानुभूति रखने के लिए सभी स्तरों पर पुलिस अधिकारियों के लिए व्यवहारिक और विशेष प्रशिक्षण चलाने की आवश्यकता है।
सोशल मीडिया के द्वारा त्ंकपबंसप्रंजपवद की चुनौती से निपटने के लिए पुलिस बालों की क्षमता निर्माण करने के लिए राष्टीय नीति और सक्षम ैवच् ;मानक संचालन प्रक्रिया द्ध का मसौदा तैयार करने की आवश्यकता है।
सोशल मीडिया के द्वारा त्ंकपबंसप्रंजपवद को फ़ैलाने से रोकने के लिए सोशल मीडिया सर्विस प्रोवाइडर्स और लॉ एनफोर्समेंट एजेंसीज के बीच बेहतर तालमेल के लिए केंद्रीय स्तर पर रेगुलेशन बनाने की आवश्यकता है।
योजनाबद्ध ढंग से दृष्टिकोण एवं मनोवृति को विकसित करने के लिए प्रशिक्षण में परिवर्तन करना तथा मनोवृति परिवर्तन के सम्बन्ध में आम जागरूकता को बढ़ावा देना।
पुलिस में व्यव्हार पहचानए माप एवं सुधार को बढ़ावा देने के लिए अधिक शोध किये जाये तथा सभी हितधारकों को साथ लेकर चला जाये।
विभिन्न पुलिस आईटी अनुप्रयोगों का राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन में एकरूपता के लिए मानकीकरण।
देश भर में सुरक्षित और समर्पित पुलिस नेटवर्क के लिए डेटा साझा करने के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों के बीच समझौता ज्ञापन।
मा0 मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा उपस्थित अधिकारियों एवं प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा गया कि जनता के सबसे नजदीक होने के बावजूद भी जब उन्हें दिखायी नहीं देते हैं, तो हमारे ऊपर प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है। इसलिये जरूरी है कि हम जनता के साथ प्रत्येक स्थिति में उनके निकट जायें। हम जनता के पास होने के साथ कम्युनिटी पुलिसिंग के साथ ही निकट होंगे। कम्युनिटी पुलिसिंग को प्रशिक्षण से ही समझा जा सकता है। कम्युनिटी पुलिसिंग का बेहतर जरिया सोशल मीडिया हो सकती है। साइबर क्राइम को हल करने के लिये कम्युनिटी पुलिसिंग आवश्यक है। मा0 विशिष्ट अतिथि द्वारा कुम्भ के सफल आयोजन एवं अयोध्या प्रकरण में उ0प्र0 पुलिस द्वारा कानून व्यवस्था के उत्कृष्ट स्थिति बनाये रखने की प्रशंसा करते हुए लगातार पुलिस कार्य व्यवहार में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। इन सफल आयोजनों के लिये मा0 मुख्यमंत्री जी द्वारा टीम वर्क को प्रभावी माना गया। विभिन्न सरकारी एजेंसियों के साथ समन्वय से बेहतर परिणाम लाये जा सकते हैं। सभी आयोजनों में तकनीकी का ज्ञान भी आवश्यक है जिससे उक्त आयोजन सफल हुए।
मुख्य अतिथि मा0 गृह मंत्री श्री अमित शाह द्वारा 47 अखिल भारतीय विज्ञान कंाग्रेस में आये अतिथियों का स्वागत करते हुए समापन कार्यक्रम में विचारों की उपयोगिता पर बल देते हुए कार्यक्रम के दौरान हुए मंथन के पश्चात् विचारों के क्रियान्वयन आवश्यक बताया। जो समाधान परिचर्चा में आये हैं वे वीट तक लागू हों तभी वास्तविक सफलता है। उनके द्वारा सुझाव दिया गया कि पूर्व में जितने विज्ञान कांग्रेस हुए हैं उनमें जो पेपर रखे गये हैं उनमें अभी तक क्या हुआ है इस बारे में विशेष विज्ञान कांग्रेस आयोजित की जाये। इनके क्रियान्वयन की स्थिति जानने हेतु गहन चिन्तन किया जाये। कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य के साथ केन्द्र के समन्वय से है। आन्तरिक सुरक्षा में नारकोटिक्स, नक्सलवाद, आतंकवाद, घुसपैठ, फेक करेंसी, पशु तस्करी, मानव तस्करी आदि घातक हैं जिसे केन्द्र के समन्वय से निपटा जा सकता है। सभी एजेंसियों के समन्वय से अपराध पर काबू पाया जा सकता है। सीमाओं से वीट तक सुरक्षा का अनुभव नागरिकों को कराना हमारी जिम्मेदारी है। पुलिस शहीद स्मारक पुलिस चेतना का केन्द्र है। हमें जनता के नजरिये में बदलाव लाना है। पुलिस का मजाक उड़ाना आसान है, परन्तु कोई सेवा ऐसी नहीं है जहाॅ 35,000 जवानों ने बलिदान दिया हो। हम देश की जनता को यह बताकर उनके नजरिये में बदलाव ला सकते हैं। जनता के निकट आकर हम उनके नजरिये में बदलाव ला सकते हैं। जब हम त्यौहार मनाते हैं तो पुलिस के जवान कानून व्यवस्था की चिन्ता करते है। विषम परिस्थितियों जवान सीमा पर कार्य करते हैं, उपस्थित अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि जनता का नजरिया बदलने में अपना योगदान दें। एक पुलिस के प्रत्येक जवान के मन में गर्व एवं जनता के मन में पुलिस के प्रति सम्मान पैदा करने की जिम्मेदारी हमारी है। सरकारी वकीलों की जवाबदेही तय करने से प्रकरणों में सजा की वृद्धि होगी। बड़े अपराधों में सजा की माॅनीटरिंग की आवश्यकता मुख्यालय स्तर पर है। राज्यों में जिला मुख्यालय स्तर पर फारेंसिक कालेज एवं राज्य स्तर पर फारेंसिक विश्वविद्यालय एवं पुलिस विश्वविद्यालय बनाये जायें। भविष्य में यहाॅ पढ़ने वाले पुलिस में नौकरी करें जिससे उनकी कार्य दक्षता में परिणामोन्मुखी विकास होगा। इन विश्वविद्यालयों एवं कालेजों से पढ़कर जो निकलेंगे वह पुलिस के लिये बेहतर कार्य करेंगे। जल्दी ही भारतीय दण्ड विधान संहिता में व्यापक बदलाव होगा। यह आज भारत के अनुसार होगा।







 





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