अवैध खनन का सिलसिला


उत्तर प्रदेश में सत्ता शासन की बागडोर बदल जाने के बाद भी अवैध खनन का सिलसिला रूकने का नाम नही ले रहा है। 
गे्रनाईट, राकफास्पेट, डायस्पोर जैसे कीमती खनिज तथा सैन्डस्टोन बालू, सिलिका सेन्ट बालू सिलिकासेन्ट आदि पर कब्जा जमाये माफियाओं के आगे कानून चाँदी के चमकते सिक्कों के आगे बौना नजर आता है। खनिज सम्पदा के मामले में धनी बुन्देलखण्ड में खनिज माफियाओं और सरकारी तंत्र ने गरीब और मध्यम वर्ग का जीवना मोहाल कर दिया है। जिसके कारण लालसेना और माओवादियों का खतरा मड़राने लगा है। शंकरगढ़ और भारतकूप में दस्तक दे चुके माओवादी आदिवासियों को संगठित करने में लगे है। सपा सरकार ने भले ही खनन माफिया की तरफ नजरें टेढ़ी की हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अधिकारियों केा खनन माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए। कहा कि प्रदेश में अवैध खनन हर हाल में रोका जाए। सौनभद्र के खनिज अधिकारी को निलम्बित कर दिया गया है तथा खदानो की नीलामी ई प्रणाली से करने के उपाय अपनाने के निर्देश दिये है। गौरतलब है कि पिछली सरकार पर खनन माफिया को संरक्षण देने और अवैध खनन के जरिये करोड़ो रुपये की काली कमाई करने की तोहमत लगी थी। लेकिन सूबे के मुखिया अखिलेश यादव के गृह जनपद इटावा में पूववर्ती यमुना नदी में सफेद बालू के अवैध खनन का काला कारोबार निरंतर जारी है। पुलिस और खनन अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा अवैध खनन का काला कारोबार  रुकने का नाम नहीं ले रहा, यमुना नदी में बालू के खनन पर रोक लगी है, फिर भी शहर के अन्दर भी अवैध खनन माफिया करोड़ों रुपए के बालू का ट्रैक्टरों से अवैध खनन कर लाखों रुपए राजस्व का सरकार को चूना लगाने में लगे हैं। सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टरों से बालू का अवैध खनन कर बेचने को ले जाते हुए खुलेआम देखा जा सकता है, अगर इन पर रोक नहीं लगा तो एमपी जैसा घटना यहां भी घटित हो सकता है। जालौन जनपद के कालपी थाना क्षेत्र में एनएच 25 पर ज्ञान भारती पुलिस चैकी के सामने चेकिंग में लगी परिवहन विभाग के अफसर की जीप को गिट्टी से भरे ट्रक के चालक ने जानबूझकर टक्कर मार दी। जीप उछलकर खाई में गिरी। उसमें बैठे यात्री कर अधिकारी यानी पीटीओ, तीन सिपाही और चालक गंभीर रूप से घायल हुए हैं। सभी को उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। खनिज माफियाओं का गठजोड़ ने जनता को खूब लूटा है। 
मायावती सरकार की सच्चाईयों से परत दर परत अवरण का मखमली चोला उतरने लगा है। जिसके कारण पूरे बुन्देलखंड में खनिज व्यापारी और क्रेशर मालिकों के साथ-साथ ठेकेदार जीटी यानि गुण्डा टेक्स के कारण हड़ताल करने को विवश हो गये थे। यह सारा खेल कभी बसपा मुखिया के आॅखों के तारे रहे पोट्टी चडढा गैंग के कारण था। यह गैंग माया सरकार की आॅखेां का तारा बन गयी थी। बुंदेलखंड में खनिज के  सौ करोड़ के ठेके में बुंदेलखंड को गुंडो के हवाले किये 


जाने के खिलाफ बांदा, चित्रकूट, महोबा और झांसी में तकरीबन साढ़े पांच सौ क्रशर प्लांटों में  उत्पादन पूरी तरह ठप हो गया था। हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए है। क्रशर मालिकों का कहना है कि उनसे जबरन गुंडा टैक्स वसूला जा रहा है।  क्रशर मालिकों के मुताबिक गिट्टी मंे सरकारी रायल्टी 68 रूपए प्रति घन मीटर और 15 प्रतिशत बिक्री कर चुकाना पड़ता है। दस टायर ट्रकों में 10 घन मीटर और छह टायर ट्रक में छह घनमीटर गिट्टी भरी जाती है। इस तरह से एक दस टायर ट्रक मंे तकरीबन 800 रूपए का सरकारी टैक्स चुकाना पड़ता है। लेकिन गुंडा टैक्स ठीक इसके दोगुना यानी डेढ़ हजार रूपए देना पड़ता हे। जब तक ओवरलोडिंग होती रही तब तक ज्यादा घाटा नही लगता था और 20 टायरा ट्रकों में 28 घन मीटर तक माल भरा जाता था। सरकारी टैक्स और गुंडा टैक्स चुकाने कें बावजूद काफी कुछ बच जाता था। ओवरलोडिंग बंद कर दिए जाने से माल कम जाने लगा और गुंडा टैक्स बढ़ा गया । यह गुंडा टैक्स एमएम-11 की बुक जारी कराते समय ही खनिज विभाग के बाहर तैनात गुंडे बुक के हिसाब से वसूल लेते है। 50 पन्नों की एक बुक 50 ट्रकों के लिए जारी की जाती है। इस तरह से रायल्टी शुलक 34 हजार, सेलटैक्स 6 हजार कुल 40 हजार के आसपास सरकारी राजस्व बुक जारी कराते समय ही चुका दिया जाता है। खनिज कार्यालय के बाहर गुंडा टैक्स वसूली के लिए आदमी तैनात रहते थे। इन्हें भी बुक के पन्नों के हिसाब से यानी एक पन्ना मतलब एक ट्रक। 50 ट्रकों का प्रति ट्रक डेढ़ हजार यानी 75 हजार रूपए तत्काल देना पड़ता है। बांदा के  सदर विधायक विवेक कुमार सिंह का कहना है  खनिज विभाग में गुंडा टैक्स की वसूली का विरोध किया था। अधिकारियों को निर्देश देकर गुंडा टैक्स की वसूली कराई जा रही है। प्रति ट्रक दो से ढाई हजार की वसूली की जा रही थी। क्रशर मालिकांे से गुंडा टैक्स वसूली बर्दाश्त नही की जाएगी। सरकारी संरक्षण में नदियों से अनाधिकृत ढंग से बालू का अंधाधुंध खनन कराया जा रहा है। जिससे पर्यावरण को नुकसान होने के साथ असामाजिक तत्वों को भी बढ़ावा मिल रहा है। बसपा नेताओं द्वारा बालू, मिट्टी व गौरंग की गाड़ियों से प्रति दिन लाखों रुपये गुंडा टैक्स वसूल कर षीर्श स्तर तक पहुंचाया जा रहा है। यह घोटाला कर्नाटक के रेड्डी बंधुओं द्वारा किए घोटाले से बड़ा सिद्ध होगा। सीबीआइ जांच हो तो सरकार के बड़े मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों का इसमें सीधे शामिल होना साबित हो जायेगा। जिस किसी ने इस अवैध वसूली का विरोध जताया, उसका येनकेन ढंग से मुंह बन्द करने में भी चड्डा कंपनी ने देर नही लगाई। पोन्डी के ठिकानों पर आयकर के छापो के साथ ही जी.टी. टेक्स वसूलने वाले भाग गये है। 



  बुन्देलखंड मंे खनिज प्रपत्र एमएम 11 के प्रति पन्ने में पाँच सौ रूपये की गुंडा टैक्स वसूली चड्ढा कंपनी के मनजीत सिंह व अशोक चाणक्य के गंुडों ने एक वर्ष में अकेले चित्रकूट से तकरीबन 65 करोड़ रूपये की अवैध वसूली सियासी सरपरस्ती में की है। 
सोनभद्र में 27 फरवरी 2012 को गैर-कानूनी ढंग से चल रही खदानों में कम-से-कम 12 खनन मजदूरों की मृत्यु हो गयी। 


विजय विनीत ने बताया कि इस अवैध खनन के खेल को पूरी तौर पर पूरी तौर पर राजनीतिक संरक्षण प्रात है सोनभद्र में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह कांग्रेस के पूर्व मंत्री बच्चा पाठक बसपा के प्रेदेष अध्यक्ष स्वामी प्रासाद मौर्या समेत सपा के कई महत्व पूर्ण पदाधिरियों व उनके सगे सम्बन्धियों द्वारा वैध लीज के नाम पर अवैध खनन कराया जा रहा है. इस खेल में पूर्व खनन मंत्री बाबूसिंह कुशवाहा, आरपी जायसवाल बसपा विधायक उमाशंकर  सिंह समेंत बाहूबली एमएलसी विनीत सिंह व सांसद धनंजय सिंह जैसे लोग खुला संरक्षण दे रहे हैं. सपा के पूर्व के कार्यकाल में जो परमिट चार सौ रु का मिलना चाहिये उसे वीआईपी शुल्क के नाम पर बढा कर सात सौ से ग्यारह सौ रु तक वसूला गया. बसपा की सरकार बनते ही चार सौ रु के स्थान पर बाईस सौ पचास रु लिया जाने लगा,  इसके चलते पत्थर एवम बालू के अवैध खनन में सारी सीमायें पार कर गयीं। सोनभद्र के घोरावल वन क्षेत्र के देवगढ़ बीट में छापेमारी कर वन कर्मियों ने दो अवैध खनन कर्ताओं को दबोच लिया। वन कर्मियों को मुखबिर से सूचना मिली कि कुछ लोग वन क्षेत्र में पत्थर तोड़कर ट्रैक्टर पर लोड कर रहे हैं। आगे बढ़ने पर वन कर्मी अवैध खनन देख हैरत में पड़ गए। दो ट्रैक्टर ट्राली पर कुछ लोग सोलिंग लाद रहे थे। वन कर्मियों ने एक साथ धावा बोला। वनकर्मियों को आते देख चालक ट्रैक्टर लेकर भागने लगे। हिनौती गांव की ओर गए ट्रैक्टरों के पीछे वन कर्मी भी लग गए और घेरेबंदी कर ट्रैक्टर को रोक लिया गया। हिनौती गांव निवासी ट्रैक्टर चालक रामलाल व विजय को गिरफ्तार कर लिया गया। वन कर्मियों ने रामलाल व विजय समेत नौ लोगों के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 5ध्26 तथा वन्य जीव अधिनियम 1972 की धारा 27, 29, 39, 50 व 51(1) में मामला दर्ज कर फरार आरोपियों की तलाश में जुट गई है। सूबे के सहारनपुर जनपद में तैनात एसएसपी दीपक रतन ने अपने ही पुलिस विभाग के दो एसओ को खनन माफियाओं पर अंकुश न लगाने के आरोप में निलंबित भले ही कर दिया हो। गौरतलब है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सहारनपुर उपजिलाधिकारी ने 20 जनवरी 2012 को ही स्पष्ट निर्देश दिए थे कि प्रतिबंधित क्षेत्र में आने वाले सभी स्टोन क्रशर व स्क्रीनिंग प्लांट्स के स्वामियों को आदेशित किया जाता है कि वे अपने स्टोर क्रशर व स्क्रीनिंग प्लांट्स 24 घंटे के भीतर स्वयं डिसमेंटल कर लें अथवा उनको बलपूर्वक डिसमेंटल कर दिया जाएगा लेकिन बावजूद इसके चोरी छिपे तरीके से खनन माफिया अपने कार्य को अंजाम दे रहे थे। बता दें कि सरकार ने सभी जिलाधिकारियों के लिए यह अनिवार्य किया था कि वे अवैध खनन न होने का प्रमाण पत्र शासन को महीने में दो बार भेजेंगे। प्रदेश सरकार ने तय कर रखा है कि अवैध खनन रोकने की पूरी जिम्मेदारी डीएम की है। इसके लिए उनसे कहा गया है कि उन्हें हर माह पहली व 16 वीं तारीख को इस बात का प्रमाण पत्र देना होगा कि कि प्रतिबंधित क्षेत्र में खनन नहीं हो रहा है। एडीएम मथुरा द्वारा बरसाना की पहाड़ियों में चल रहे अवैध खनन की जांच के आदेशों के बावजूद कुछ अफसरों द्वारा रिपोर्ट देने में की जा रही हीलाहवाली से एडीएम खफा हैं। उन्होंने एक बार फिर एसडीएम छाता समेत अन्य अफसरों को कड़ा पत्र लिखकर अवैध खनन पर अंकुश लगाने और खनन की रिपोर्ट प्रेषित करने के निर्देश दिए हैं। 
तीन साल के भीतर करीब 22 दुर्घटनायें हो चुकी हैं, लेकिन पुलिस, पत्रकार और माफिया गठजोड़ के कारण किसी मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई है। इस इलाके में अवैध खदानों से हर माह लोगो की मौत होती है। स्थानीय पुलिस, राजस्व विभाग व खनन विभाग के मिली भगत से यह सारा खेल वर्षों से हो रहा है। सोनभद्र का बेल्लारी कहे जाने वाले ओबरा थाने के बिल्ली मारकुण्डी क्षेत्र में सैकड़ों पत्थर की वैध और अवैध खदाने लंबे समय से संचालित हो रहीं हैं। बिल्ली मारकुण्डी का ग्राम प्रधान राजाराम यादव काफी समय से अवैध खनन करा रहा था। 27 फरवरी को भी धड़ल्ले से दर्जनों मजदूर अवैध तरीके से विस्फोट के जरिए तोड़े गए पत्थरों को ट्रेक्टरों पर लादने का काम कर रहे थे। मजदूर जहां काम कर रहे थे वह स्थान काफी गहरा था, उसके अगल बगल लगभग 40 से 50 फुट उची पहाड़ी टिले की शक्ल में खड़ी थी। वहीं बगल मे हाईटेंशन पावर के विद्युत लाईन का पोल भी लगा था। अचानक शाम छः बजे के करीब एक तरफ की पहाड़ी भरभरा कर ढह गई। इससे उसमें काम कर रहे सभी मजदूर चट्टानों के नीचे दब गए। वहां चीख-पुकार मच गई। सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन के लोग मौके पर पहुंच गए। जेसीबी मशीनों द्वारा चट्टानों को हटाना शुरू किया गया। काफी चट्टानों को हटाने के बाद पांच लाशें बरामद हुई, जबकि दो लोग काफी गंभीर थे। गंभीर हालत में उन्हें  वाराणसी के लिए भेज दिया गया। क्षेत्रीय लोगों के मुताबिक कुछ माह पूर्व ओबरा से सेवानिवृत्त हुआ एक पुलिस अधिकारी समूचे खनन क्षेत्र में अवैध वसूली कर रहा है। पुलिस सूत्रों ने बताया 16 अवैध खननकर्ताओं को चिन्हित किया गया है। उनके खिलाफ भी कार्यवाही की जाएगी। इसके ठीक विपरीत एक व्यक्ति ने दावा किया कि एक ऐसा नम्बर है जिसमें लगभग 200 लोग अवैध खनन करा रहे हैं। जनपद आगरा में अवैध बालू खनन को लेकर पूर्व बसपा सरकार में चर्चित चिकारा ग्रुप का साम्राज्य कायम था। सूबे में सरकारी बदली तो एक पूर्व मंत्री भी अखाड़े में कूद पड़े। स्थानीय होने का फायदा उठाते हुए पूर्व मंत्री ने ज्यादातर घाटों पर खुद के संरक्षण में अवैध खनन शंुरु करा दिया। पूर्व मंत्री से संरक्षण में इन दिनों सैकड़ों टैªक्टर-ट्राॅली अवैध बालू का खनन हो रहा है। बालू खनन के इस कालेग कारोबार में वर्चस्व की जंग छिड़ गई है। 
सूत्र का यह भी कहना है कि खेरागढ़ में जनपद की सीमा में खदान पर हो रहा अवैध खनन भी पुलिस के संरक्षण में होता है। यहां खनन माफिया जनपद सीमा में स्थित पहाड़ पर गिट्टी का खनन करते है और पुलिस की मदद से उसे राजस्थान सीमा पार कराकर वैध घोषित करा देते है। 
गांव की सीमा समाप्त होते ही कच्चे रास्ते के दोनों तरफ खनन माफिया के बंकर बने हुए है यहां से माफिया के गुर्गे यमुना की तलहटी और आसपास के हालातों पर नजर रखते है इसके साथ ही बालू को खाली करके आने वाले ट्रैक्टर-ट्राॅली भी यहीं खड़े किए जाते हैं। यमुना की तलहटी से लेकर मागरौल मार्ग पर माफिया के गुर्गो का जाल बिछा है।एडीएम फाइनेंस रामआसरे ने बताया कि मागरौल एवं जनपद के अन्य स्थानों पर अवैध खनन की शिकायत मिली है। मामले की जांच एसडीएम स्तर पर कराई जाएगी। यमुना के घाटों को खानन माफिया के चंगुल से मुक्त कराया जाएगा।
जनपद मुख्यालय से 25 किमी दूरी पर बसे गांव मागरौला तीन मजरों में बंटा है। नेशनल हाइवे से रुनकता गांव के लिए गई सड़क से एक शाखा मागरौल को जात है। हाइवे से दस किमी दूरी पर बसे इस गांव को जाने वाली सड़क जो वन विभाग की जमीन से होकर गुजरती है,  खनन माफिया ने इस गांव की तस्वीर को और गांवों से अलग कर दिया है। यमुना की छाती को छलनी कर रहे माफिया का खौफ यहां रहने वाले ग्रामीणों के चहरों पर साफ झलकता है। 
मथुरा। जिल में माफियाओं ने यमुना के खादर से लेकर बरसाना की ऐतिहासिक प्राचीन पहाड़ियेां तक को खोद डाला है। कान्हा की नगरी में काफी कृषि योग्य भूमि है, लेकिन खनन से हजारों हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि की भी शक्ल-सूरत बिगड़ चुकी है। इस वर्ष जनवरी में गांव अगनपुरा एसडीएम सदर अमर पाल सिंह पर भी माफियाओं ने जेसीबी चढ़ाने का प्रयास किया था। राजस्व निरीक्षक चंद्रपाल वाष्र्णेय ने थाना रिफाइनरी में इस मामले में भी मुकदमा भी दर्ज कराया। पुलिस ने दो ट्रैक्टर और एक जेसीबी को जब्त भी किया। इससे पहले नंदगांव में भी एक खनन अधिकारी के साथ मारपीट हुई थी। 
छह महीने पहले की वह वारदात लोग अभी भूले न होगे जब अवैध खनन के लिए कुख्यात चिकारा ग्रुप ने खेरागढ़ के एक युवा ग्रामीण को ठीक मुरैना में आईपीएस नरेंद्र कुमार की हत्या की तर्ज पर कार से कुचलकर मार डाला था। युवक का गुनाह सिर्फ इतना था कि उसने अवैध खनन का विरोध करते हुए जिला मुख्यालय को सूचना दे दी थी। खनन माफिया की पहुंच का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि युवक की हत्या को एक्सीडेंट बताकर पुलिस ने छुट्टी पा ली थी। 
अभी अवैध खनन के खिलाफ अभियान ने गति भी न पकड़ पाई थी कि 'नेता' ने उसकी कमर तोड़ दी। जनपद में एक भी अवैध खनन कर रहे वाहन को नही पकड़ा जा  सका। प्रशासनिक अधिकारियों से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने स्वीकारा कि आज तो पूरा दिन सिफारिशों को 'अटेन्ड' करने में चला गया। विडंबना है कि प्राकृतिक धरोहर की तबाही में सरकारी विभागों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों का पूरा हाथ है। 
कमिश्नर और डीएम अजय चैहान के निर्देशन में तहसीलवार टास्क टीमों का गठन किया गया। छापामार टीमों ने तीन दिन के अभियान में 100 से अधिक अवैध खनन कर रहे वाहनों को सीज किया। इनमें टैªक्टर-ट्राली और डंपर शामिल है। जिला प्रशासन की ओर से अवैध खनन की पैनाल्टी कम से कम 25 हजार रूपये है। बड़े स्तर पर प्रशासनिक कार्रवाई ने खनन माफिया में हड़कंप मच गया और उन्होंने आकाओं का दरवाजा खटखटाया है।


 


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यह स्टोरी 2012 में कई पत्र और पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी,दस्तावेज-2012 के तहत तत्कालीन समय के राजनैतिक माहौल को समझाने के उद्देश्य  से पुनः प्रकाशित कर रहे है।


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यह आलेख कापीराइट के कारण किसी भी अंश का पुर्न प्रकाशन लेखक की अनुमति आवाश्यक है।


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लेखक का पता


सुरेन्द्र अग्निहोत्री
ए-305, ओ.सी.आर.
बिधान सभा मार्ग,लखनऊ
मो0ः 9415508695,8787093085


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