भूख से मरता जहान, कर्ज से तड़पता किसान! अपने प्रदेश के लिऐ बैचेन है बुन्देलीखण्डी -रनवीर यादव


उदारीकरण के इस दौर में सरकारी उपेक्षा के बीच बुन्देलखण्ड के लोग मुक्ति का मार्ग आत्महत्या का मान रहे है। गरीबी का दंश सर्वाधिक महिलाओं पर है। गहरी होती गरीबी की खाई चिंता जनक है। खानाबदोश होते लोगों के बीच बुन्देलखण्ड कांग्रेस के माध्यम से राजनैतिक धारा में लाकर लोगों को दस्यू और दबंगों से मुक्ति के लिऐ मार्ग प्रशास्त कराते गांधी वादी मार्ग से बुन्देलखण्ड कांग्रेस के राष्ट्राीय अध्यक्ष रणवीर सिंह यादव से हुई बातचीत के मुख्य अंश-
प्रः क्या कारण है बुन्देलखण्ड में आत्महत्या थमने का नाम नहीं ले रही है ?
उः बुन्देलखण्ड के किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्या और भूख से हो रही मौतों के कारणों और परिस्थितियों को समझे बिना यह सिलसिला रुकने वाला नही नही है। पैकिज के नाम पर पूरे बुन्देलखण्ड मेें धन की बन्दरबाट हुईहै लेकिन तस्वीर जस की तस है। फिर भी किसान और आम आदमी आत्महत्या कर रहे है क्योंकि नीति बनाने वाले बाहरी लोग सच्चाई को समझे बिना अपने लाभ की नीति पिछले 66 वर्षोसे बनाते रहे है। 
प्रः भूख का समाज शास्त्र क्या है ?
उः भूख का समाजशास्त्री और राजनैतिशास्त्र बहुत ही गूएत्र रहस्यों से भरा हुआ है।संसार में कुछ मुट्ठी भर लोग है जिनको 'भूख' लगती ही नहीं।अगर लगती भी है तो बहुत कम। ये लोग अपनी भूख बढ़ाने के लिए बहुत परेशान रहते है। तरह-तरह का उद्यम करते हैं। इनके पास डाॅक्टर है, ये डाॅक्टरों से सलाह लेते है। डाॅक्टर इन्हें सलाह और दवाएं देता है। इनके पास कोई श्रमसाध्य काम भी नही है, इसलिए जिम जाकर कसरत करते है। 
बुन्देलखण्ड में एक बड़ा वर्ग भी है और उतना ही बड़ा अभागा भी है। इस वर्ग को भूख लगती है, लेकिन उसको खाना नहीं मिलता। शारीरिक श्रम करता है,लेकिन श्रम के अनुपात में मजदूरी नहीं मिलती। अगर भोजन एक समय मिल गया तो दूसरे वक्त की कोई व्यवस्था नहीं,भूखे पेट असमय मौत के मुंह में समाता जा रहा है। लोकतंत्र मंे इस तरह की बातें किसी बड़े अपशकुन की तरह है।
प्रः कितने लोगांे अने अब तक भूख से आत्महत्या की है ?
उः अपनी तंगहाली या कहें कि बदहाली से परेशान जान देने वालो ंका वास्तविक आंकड़ा तो नही है लेकिन एक जिले में सालाना ऐसे मामले 200 से 400 के बीच होते ही है। यह अलग बात है कि जांच एजेंसी अपनी रिपोर्ट में क्या लिखती है पूरे बुन्देलखण्ड में सालाना 4 से 5 हजार बदहाल आत्म हत्या करते है। एक गरीब महिला ने बुन्देली भाषा में बताया - ''घर मंे जुरत नाज न खाबे, कैसें जायें बहू 
खौं ल्वाबे ? गुर-शक्कर की सुर्त करौ न, सूकौ सतुआ नइयाँ खाबे, हाय फसल पै पालो पर गऔ, हम सब खौं कौरन खौं कर गओ, दार उधार मुहल्ला भरकी,अब नों नईं चुकाई। हम कीसें पूँछे, जा मेंनत, सब काँ जात हमाई? महिला  जो बात बुन्देली में कर रही है उसका अर्थ है कि घर में खाने के लिये अनाज नही होने से बहू को भी नही बुला पा रही है। गुड़ तो दूर की बात है सतुआ बिना कुछ डाले खाने को मजबूर है क्योंकि फसल पर पाला पड़ जाने से सबकुछ लुट गया है और जो मुहल्ले से उधार लिया वह भी नही चुका पाये है। हम अपनी मेहनत का जवाब किस से ले? सरकार मौन है अधिक मौन बुन्देलखण्ड मेें नक्सलवाद ला सकता है। 
प्रः राज्य बन जाने से बुन्देलखण्ड का कैसे विकास होगा?
उः बुन्देलखण्ड में पर्यटन विकास की अपार सम्भावना है।खजुराहो, देवगढ़, चाँदपुर -जहाजपुर, नीलकंठ, नरसिंह, समथर का किला, तालबहेट का किला,चन्देरी का किला,गढ़ कुन्डार का किला, झांसी, ओरछा आदि स्थानोें के किलों को विकसित करके विदेशी सैलानियों के लिए सैरगाह बनाया जा  सकता है। इको टूरिज्म के लिए बुन्देलखण्ड के वनों के अलावा पक्षी विहार तथा वन विहारों का विकास के साथ-साथ चन्देलकालीन तालाबों के अलावा आधुनिक जलाशयों में जल क्रीड़ा का आनन्द उठाने देश और विदेश के लोग आ सकते है। 
प्रः उद्योगों के लिए बुन्देलखण्ड में क्या सम्भावनाऐं है देखते? 
उः बुन्देलखण्ड में खनिज सम्पदा के अपार भण्डार है। रेत बालू तथा  ग्रेनाईट को प्रदेश के बड़-बड़े माफियाओं द्वारा लूटा जा रहा है। हमारी खनिज सम्पदा जो हमारे विकास के लिए उपयोग होना चाहिए उसको बहारी लोग ले जा रहे है। यहां का आम आदमी रोता गिड़गिड़ाता शोषण सहने को मजबूर है। ग्रेनाईट, राखफासफेट, सैन्ड स्टोन, हीरा, लाईमस्टोन, अर्भक, निकल, गोरा पत्थर आदि कीमती खनिज पर आधारित उद्योग लगाने की नीति जब बुन्देलखण्डवासियों की अपनी सरकार तय करेगी तो हर हाथ को काम मिलेगा और विकास होगा।
प्रः बुन्देलखण्ड के विकास के लिए कुछ नए संस्थान बन रहे है उन्हें आप किस दृष्टि से देखते है?
उः बुन्देलखण्ड के झांसी के पास परीछा थर्मलपावर प्रोजेक्ट ने यहां के वासिंदों को कैन्सर नामक जान लेवा बीमारी का शिकार बना दिया है। इसी तरह ललितपुर में लग रहे बजाज पावर प्रोजेक्ट ने आये दिन होने वाली दुर्घटनाआंे में मरने वालेे मजदूरों के दर्द को सुनने वाला कोई नही है। छतरपुर में भी इसी तरह पावर प्राजेक्ट लगाकर यहाँ प्रदूषण फैलाने की कोशिश हो रही है। बुन्देलखण्डियों को प्रदूषण मिल रहा है और यहाँ बनने वाली बिजली से लखनऊ और दिल्ली रोशन हो रहा है। यहाँ के घरोे के लिए 8घंटे से अधिक बिजली नहीं मिलती है। जब प्रदेश प्रदेश होगा तो हमारे क्षेत्र में लगे उद्योगो में से इतनी अधिक बिजली बनेगी कि हम इसे दूसरे प्रदेशों को बेच सकेंगे। 
प्रः आप अलग राज्य की मुहिम क्यों चला रहे है?
उः बुन्देलखण्ड के साथ अंग्रेजों ने इस लिए धोखा दिया था कि यहाँ के वीरों ने सबसे पहले 1842 में अंगे्रजों को ललकारा था। 1857 की क्रान्ति में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, मर्दन सिंह, बांदा के नवाब, झलकारी बाई, तत्या टोपे जैसे अनेक वीरों ने जो वीरता दिखायी और आत्म सम्मान के लिए प्राणों की बाजी लगा दी। उससे अंग्रेज नाराज हो गए बाद में चन्द्रशेखर आजाद की शरण स्थली रही बुन्देलखण्ड हमेशा अपनी वीरता के लिए जाना जाता रहा है। मुगलों से लोहा लेने वाला यही स्थल रहा है। अकबर के मंत्री अबुलफजल का सिर काट लेने वाले वीर की बात हो या गामा पहलवान की बुन्देली लोग झुक नही सकते बगावत करने की उनके खून में ताकत है। एक के बाद एक राजनैतिक दलों पर भरोसा करते-करते बुन्देलखण्ड की जनता थकु चुकी है। सबने इन भोले भाले लोगों छला है। अब वह किसी छलावे में आने को तैयार नही है। उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश का पिछवाड़ा बने बुन्देलखण्ड के लोग अपने राज्य के लिए बैचेन है। 
प्रः बुन्देलखण्ड की असली समस्या क्या है?
उः बुन्देलखण्ड लगातार सूखा से पीड़ित रहा तो कभी अत्याधिक वर्षा से जिसके कारण बड़ी संख्या में लोग कर्ज के जाल मंे फंस गये है। साहूकारों के कर्ज ने उन्हें कहीं का नही छोड़ा है। युवाआंे ने पीएमआरवाई के नाम पर अपना रोजगार के लिए ऋण लिया। लेकिन बिजली और पानी के अभाव में लघु उद्योग पूरी तरह बरवाद हो गये। फर्जी ऋण के दुष्चक्र में दबंगों ने लोगों को फंसा दिया। जिसके कारण पूरे क्षेत्र में तबाही का आलम है। 
प्रः बुन्देलखण्ड कांग्रेस किस तरह काम कर रही है?
उः उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के बुन्देलखण्ड में हमने प्रतीक रुप से लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव में भागीदारी की थी अब हम पूरे बुन्देलखण्ड क्षेत्र में संगठन को पुर्नगठन करने का अभियान चला रहे है तथा विशेष आर्थिक पैकेज में हुई लूट का सर्वेक्षण भी कर है। इस सर्वेक्षण में इस बात का भी ध्यान दे रहे है घनघोर गरीबी में जी रहे लोगों की संख्या कितनी है। ताकि सरकार के सामने उन्हें राशन कार्ड, वोटर कार्ड के अलावा सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।  लखनऊ तथा भोपाल, दिल्ली में बुन्देलखण्ड में काम करने वाले स्वयं सेवी संगठनों तथा पत्रकारों के माध्यम से जुटायें गये आकंड़ों के आधार पर केन्द्र और राज्य सरकार से राहत की माँग के लिए ज्ञापन आन्दोलन कर रहे है। हमारा लक्ष्य अलग बुन्देलखण्ड राज्य के लिए है। जबतक अलग राज्य नही बन जाता तब तक बुन्देलखण्ड कांग्रेस चुप नही बैठेगी। हम सत्ता के लिए हम परिवर्तन की लड़ाई लड़ रहे है।
बुन्देलखण्ड में सपा बसपा बराबर
बहुजन समाज पार्टी का गढ़ माने जाने वाले बुन्देलखण्ड में समाजवादी पार्टीने विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा की दोनो विधानसभा सीटें जीत कर बसपा से जहां एक ओर बराबरी कर ली है तो अपना दबदबा कायम करके भाजपा को अपनी सीमा से पीछे ढकेल दिया है। लोकसभा चुनाव में चारों सीटों पर विजयी रही भाजपा के लिऐ बुन्देलखण्ड में पराजय सदमे से कम नही है। बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविन्द चैधरी की अगुवाई में लड़े गये चरखारी विधान सभा उप चुनाव में केन्द्रीय मंत्री उमा भारती द्वारा रिक्त की गयी सीट पर भाजपा तीसरे नम्बर पर खिसक गयी तो खनन मंत्री गायत्री प्रजापति की रणनीति से हमीपुर मे सर्वाधिक वोटो से सपा उम्मीदवार शिवचरण प्रजापति विजयी हुये है। बुन्देलखण्ड में सपा और बसपा के पास सात-सात सीटें है कांग्रेस के पास चार तथा भाजपा के पास एक सीट ही रह गयी है।


यह आलेख बिना अनुमति प्रकाशन प्रतिबंधित है।





........................................................................................................................................................


यह स्टोरी 2014 में कई पत्र और पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी,दस्तावेज-2014 के तहत तत्कालीन समय के राजनैतिक माहौल को समझाने के उद्देश्य  से पुनः प्रकाशित कर रहे है।


-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------


यह आलेख कापीराइट के कारण किसी भी अंश का पुर्न प्रकाशन लेखक की अनुमति आवाश्यक है।


-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
लेखक का पता


सुरेन्द्र अग्निहोत्री
ए-305, ओ.सी.आर.
बिधान सभा मार्ग,लखनऊ
मो0ः 9415508695,8787093085





इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?