बुन्देलखण्ड की समस्या
बुन्देलखण्ड पैकेज के माध्यम से मिले धन पर आधारित परियोजनाओं का भौतिक सत्यापन कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा कराया जाये।
बुन्देलखण्ड में लगातार हो रहे पलायन का सर्वेक्षण कराया जाये।
बुन्देलखण्ड में खनन पर तत्काल रोक लगायी जाये।
बुदेलखण्ड में पर्यटन विकास के लिए पहल की जाये।
केन की तरह बेतवा गठजोड़ के लिए होने लगी तेजी
वर्षो से प्यासे बुन्देलखण्ड की धरती को सिंचित करने के लिए एनडीए शासन में शुरू हुई केन-बेतवा लिंक परियोजना को अब अमली जामा पहनाने के दिन आ गये है। वक्त ने करवट ली और बुन्देलखण्ड की बेटी उमा भारती को केन्द्र में जल संस्साधन मंत्रालय मिलने से उम्मीदें पूरी होने के दिन आ गये हैं। लखनऊ में केन्द्रीय मंत्री उमा भारती और प्रदेश सरकार के सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने संयुक्त रुप से इस परियोजना को पूर्ण करने की बात करके बुन्देखण्डियों की उम्मीदें जगा दी है। लगभग 9,393 करोड़ रुपए की परियोजन की सर्वे रिर्पोट व डीपीआर भारत सरकार के जल संसाधन मन्त्रालय के सुपुर्द कर दी गई औरइस मन्त्रालय की मुखिया इस समय झाॅसी-ललितपुर क्षेत्र की सांसद उमा भारती है। हालांकि, पन्ना टाइगर रिजर्व की भूमि का मसला अब भी अधर में लटका हुआ है। पर्यावरण मन्त्रालय की विलयरेंस और बजट आवण्टित होते ही प्रोजेक्ट पर काम प्रारम्भ किया जा सकता है। लाखों हेक्टेयर भूमि की प्यास बुझाने वाली यह परियोजना न केवल बेतवा नदी को लबालब कर देगी, बल्कि बरुआसागर तालाब के दिन भी बदल देगी।
नदियों की जलधारा एक समान करने के उद्देश्य से दी जोड़ों योजना बाई गई है। बुन्देलखण्ड में इस परियोजना के लिए बेतवा व केन दी का चयन किया गया है। दमोह के पास से निकली केन नदी बड़े जंगल क्षेत्र से होकर गुजरती है। बरसात के समय इस नदी का उफान इतना तेज हो जाता है कि कई गाॅवों में खतरे की घण्टी बजने लगती है। बांदा में अवसर केन का उत्पात मचता है और मध्यप्रदेश के तटीय गाॅव भद इसकी चपेट में आ जाते हैं। उधर, बेतवा नदी रायसेन, विदीशा में पहुॅचते-पहुॅचते छोटी जलधारा में सिमट जाती है। बेतवा की इस कमजोरी कोदूर करने के लिए केन से जोड़ने का निर्णय लियागया। र्वे और परियोजना को आकार देने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण को सौंपी गई। सालों के सर्वेक्षण के बाद दो चरणों में परियोजना को आकार दे दिया गया। योजना के तहत केन नदी से 1074 मिलियन क्यूसिक मीटर पानी बेतवा में डाला जाना है। प्रथम चरण में छतरपुर के लगभग 100 साल पुराने गंगोऊ डैम से ढाई किलोमीटर ऊपर 77 मीटर ऊँचा नया दोधन डैम बनाया जाएगा। यहाँ से 221 किलोमीटर लम्बी नहर बनाई जाएगी, जिससे केन का पानी बरुआसार तालाब में डाला जाएगा। टर्मिनल जलाशय के रूप में बरुआसागर तालबा का उपयोग किया जाएगा, जहां से बेतवा नदी में पानी पहुॅचाया जाएगा। हाल ही में जल संसाधन मन्त्री उमा भारती ने परियोजना के बारे में विस्तार से जानकारी ली है।सूत्र बताते है कि राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण विभाग के उच्चाधिकारियों की सर्किट हाऊस में उमा भारती से मुलाकात हुई, केन और बेतवा ऐसी नदियां है, जिनके जल का बॅटवारा उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश के बीच होता है। इसलिए राष्ट्रीय परियोजना में शामिल करने से पहले समझौता बैठक हुई। 25 अगस्त 2005 को उत्तर प्रदेश्ज्ञ, मध्यप्रदेश्ज्ञव केन्द्र के बीच समझौता हुआ। इसके बाद सर्वे का कार्य शुरू किया गया। अलग-अलग स्तरों पर जाॅच की गई। जियोलाॅजिकल, जियोटेक्निकल, कन्स्ट्रक्शन मैटेरियल एवं साॅइल टेस्टिंग रिपोर्ट आने के बाद देानेां नदियों में पानी की उपलब्धता की जाॅच की गई। पर्यावरणीय प्रभाव निर्धारण अध्ययन भी किया गया। दिसम्बर 2008 में डीपीआर तैयार करते हुए फरवरी 2009 में उत्तर प्रदेश्ज्ञ व मध्यप्रदेश को प्रोजेक्ट सौंप दिया गया। दोनेां प्रदेशों की ओर से आपत्तियां आई, जिनका निस्तारण करने के लिए 3 फरवरी 2010 को जल संसाधन मन्त्रालय भारत सरकार के सचिव ने बैठक बुलाई। बैठक में तय किया गया कि प्रोजेक्ट दो चरणों में संचालित कियाजाए। प्रथम चरण में दोधन डैम, दो पावर हाऊस तथा लिंक कैनाल को शामिल किया जाए तथा दूसरे चरण में बेतवा बेसिन के प्रोजेक्ट की डीपीआर मध्य प्रदेश के सुझाव पर तैयारी की जाए। प्रथम चरण की संशोधित डीपीआर अप्रैल 2010 में तैयार करते हुए मई माह में उप्र व मप्र सरकार के सुपुर्द कर दी गई। जिसमंे केन-बेतवा लिंक परियोजना पर लम्बी चर्चा हुई। अब देखना होगा कि उमा भारती बजट में स परियोजना को शामिल करा पाती है या इसके लिए अलग से कोई प्रावधान किया जाता है।
बरुआसागर तालाब में पहुँचेगा 591 एमसीएम पानी
दोधन बाँध से 221 किलोमीटर लम्बी नहर बनाते हुए बरुआसागर तालाब तक पानी लाया जाएगा। इसके लिए केन नदी से अतिरिक्त 1074 एमसीएम पानी लिया जाएगा। नहर के रास्ते में सिंचाई व पेयजल की आपूर्ति करते हुए बरुआसागर तक पहुँचते-पहुँचते पानी की मात्रा 591 एमसीएम बचेगी, जिसे बेतवा नदी मंे डाला जाएगा। तालाब से बेतवा को जोड़ने के लिए अलग से प्लैन तैयार किया जाएगा।
78 मेगावाॅट विद्युत का होगा उत्पादन
छतरपुर के बिजावर तहसील में दो जल विद्युत इकाइयां स्थापित करने की योजना भी डीपीआर में शामिल की गई। इसकें एक विद्युत इकाई 60 मेगावाट तथा दूसरी 18 मेगावाट विद्युत का उत्पादन करेंगी। इसका लाभ मध्यप्रदेश को मिलने की संभावना है।
7224 लोगों को छोड़ना पड़ेगा आशियाना
छतरपुर के गंगोऊ बाँध से ढाई किलोमीटर ऊपर बनाए जाने वाले दोधन बाँ की ऊचाई 77 मीटर रखी जाएगी, जिसका फैलाव 9000 हेक्टेयर क्षेत्रफल परहोगा। डूब क्षेत्र में 1585 काश्तकार परिवार आएंगे। इन परिवारों के 7224 लोगों को अपना आशियाना छोड़ना पड़ेगा। वहीं 414 हेक्टेयर जमीन पन्ना टाइगर रिजर्व की भी डूब क्षेत्र में आ रही है।
पन्ना टाइगर रिज़र्व की भूमि को लेकर फँसा हैं पेंच
पन्ना टाइगर रिज़र्व की भूमि को लेकर शुरू से ही मामला उलझा हुआ हैं सूत्र बताते है कि यूपीए सरकार में पर्यावरण मन्त्री रहे जयराम रमेश्ज्ञ ने यहाँ की भूमि दिए जाने पर अड़ंगा लगा दिया था। इसके बाद प्रक्रिया फिर शुरू हुई और नेशनल टाइगर कजरवेटर अथाॅरिटी द्वारा फील्ड कमिटि बनाई गई। इस कमिटि ने डूब क्षेत्र में आने वाले पेड़ व पर्यावरणीय सम्पत्ति का आकलन किया और रिपोर्ट भारत सरकार को सौंप दी। बताया गया है कि वन मन्त्रालय द्वारा अनुमति प्रदान नही की गई है लेकिन प्रक्रिया जारी है।
नहर से 6.35 लाख हेक्टयर भूमि होगी सिंचित
दोधन बाँध से निकलने वाली नहर 221 किलोमीटर का रास्ता तय करती हुई झाँसी के बरुआसागर पहुँचेगी। इस नहर में बहने वाला 1074 एमसीएम पानी से रास्ते में पड़ने वाली लगभग 6.35 लाख हेक्टयर भूमि को सिंचित किया जाएगा तथा 49 एमसीएम पानी पेयजल आपूर्ति में प्रयोग किया जायेगा।
ये क्षेत्र होंगे लाभान्वित
केन-बेतवा परियोजना से मध्यप्रदेश के छतरपुर, पन्ना,टीकमगढ़ के साथ ही उत्तर प्रदेश के महोबा, बाँदा और झाँसी जनपद लाभान्वित होंगे। झाँसी की मफ्रानीपुर व टहरौली शेत्र से होता हुआ केन का पानी बेतवा तक पहुँचेगा।
बेतवा बेसिंन में बनेगा डैम
केन-बेतवा लिंग परियोजना के दूसरे चरण की डीपीआर जनपरी 1011 से बनना प्रारम्भ हुई, जो इसी वर्ष पूर्ण करते हुए भारत सरकार के सुपुर्द करदी गई। परियोजना के तहत चन्देरी के पास डिडावनी गाँव में बेतवा की सहायक नदी पर लोअर ओर डैम का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही नीम खेड़ा बरारी, कोठा, केसरी नमा से चार बैराज बनाए जाएंगे। 2282.94 लाख की परियोजना से लगभग 98 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित की जाएगी तथा 1.65 लाख लोगों के लिए पानी का प्रबन्ध होगा।
परियोजना की लागत में हो सकती है बढ़ौतरी
सालों से कागजों में झूल रही केन-बेतवा लिंक परियोजना के प्रथम चरण की लागत का अनुमान 9,393 करोड़ 3पए लगाया गया है, लेकिन यह एस्टिमेंट 2007-08 में बनाया गया था। छह साल बाद अगर देखें तो कुछ निर्माण सामग्री के भाव दोगुने से अधिक हो चुके है। इससे तय है कि परियोजना की लागत का पुनरीक्षण होगा और इसमें काफी बढ़ोत्तरी हो सकती है।
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यह स्टोरी 2014 में कई पत्र और पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी,दस्तावेज-2014 के तहत तत्कालीन समय के राजनैतिक माहौल को समझाने के उद्देश्य से पुनः प्रकाशित कर रहे है।
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सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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