पिंकी की कलाकृतियों का उजास

उजास, अंतर्मन का उजास, रचनात्मकता का उजास  और उजास उस सोच का, जो अपनी रचनाओं से समाज, राष्ट्र और विश्व को बदलने का जज्बा पाले हुए नित्य अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हो रही है। पिंकी की कलाकृतियां उजास अौर ऊर्जा से भरपूर हैं जिनमें देखे अनदेखे  रूपाकारों और बिंबो की चमक है, एक आकर्षण है और एक इंगिति है कुछ खोजने की, कुछ पाने की, जो वांछित है।



पिंकी की कलाकृतियों में विस्तार पाती प्रकृति है और विस्तार में प्रमुख आकार पाते पशु पक्षी हैं, जो अपनी अपनी प्रकृति के अनुसार व्यवहार करते हुए कुछ खोज रहे हैं, तलाश कर रहे हैं, और इस जुस्तजू  को और प्रभावशाली, आकर्षक तथा अपडेट रखने के लिए बड़े-बड़े अत्याधुनिक उपकरण भी हैं, जो लेंस के रूप में, कैमरे के रूप में या बाइस्कोप के रूप में दिखते हैं। पिंकी के चित्रों की इस उजास श्रृंखला में तकनीकी उजास भी है जिसमें चटक रंग हैं, यथार्थ चित्रण का तूलिका व्यवहार और समुचित छाया-प्रकाश को समाहित करते हुए ऐसे रूपाकार हैं, जो पिंकी की तकनीकी दक्षता का प्रमाण देते हैं।


पिंकी आदिवासी क्षेत्र से संबंध रखती हैं और विश्वप्रसिद्ध कला संस्थान इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ से दीक्षित हुई है। स्वाभाविक है कि वहां की लाल माटी का रंग, हरियाली से भरपूर किसानों के लिए स्वर्ण वर्षा करते खेत, खलिहान और निसर्ग तथा स्वच्छंद घूमते मानवजाति के सहचर बने पशु इन चित्रों में अपनी सार्थक उपस्थिति दर्ज कराते हैं और अपनी माटी से जोड़ते हुए उस स्थानीयता का भाव भी भरते हैं जो अन्य समकालीन कलाकारों से पिंकी को अलग करती है।


पिंकी अभी कला जगत में स्वतंत्र कलाकार के रूप में कदम रख रही है, पर उसकी कलाकृतियां मंझे हुए कलाकारों  जैसी हैं। उसमें एक दृष्टि है, उजास है, कथानक है, इंगिति है, पर्यावरण और निसर्ग को समर्पण है, पशु पक्षियों का साहचर्य है और वैज्ञानिक विकास का प्रमाण और उपकरणों की उपस्थिति है।


पिंकी प्रतीकात्मक रूप में जो कुछ भी अपनी कृतियों में कहती हैं, वह शिल्पगत दक्षता के साथ। उनकी कृतियों में तूलिका संघात बिल्कुल परिपक्व कलाकारों जैसा, प्रकृति और आकारों का सूक्ष्म अध्ययन और अंकन, यथार्थता का प्रभाव, समृद्ध रंगो का व्यवहार और निसर्ग के साथ व्यवहारिक जीवन में उपयोग हो रहे उपकरणों, औजारों या सामग्रियों का यथोचित उपयोग दर्शनीय है।



पिंकी महतो की कलाकृतियों में जूम लेंस का सुंदर प्रयोग किया गया है, जो इस बात का प्रतीक है कि कुछ ऐसा खोजा जा रहा है जो अभीष्ट है और अब तक अप्राप्त है।  पिंकी एक ऊर्जावान कलाकार है, उत्साही है, अपने कला कर्म के प्रति निष्ठावान और ईमानदार है, इसलिए वह कला जगत की ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए सीधा और सरल उपाय खोजना चाहती हैं, जो दुनिया के अनेक प्रपंचा और असहज वृत्तियों से बचाते हुए उसे अभीष्ट तक पहुंचा सके। निसर्ग से जुड़ना उसका भोलापन और ईमानदारी है वही विज्ञान का समावेश उसका आज के विकास का साक्षी और सहचर होना है।  पिंकी के एक दक्ष कलाकार होने का ही प्रमाण राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय द्वारा आयोजित महिला कलाकारों की प्रदर्शनी में सहभागी होना है और यह भी उसके करियर का महत्वपूर्ण पायदान है जो रांची में अखिल भारतीय कलाकार शिविर में बीते दिनों सहभाग करने का अवसर प्राप्त हुआ।



त्रिवेणी कला दीर्घा नई दिल्ली  में आयोजित  यह प्रदर्शन  पिंकी  के करियर में  एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है  जिसे पिंकी ने  समस्त  ऊर्जा  और समर्पण से  प्रस्तुत किया है । आशा है की पिंकी की कलाकृतियों का यह उजास उसके जीवन और भविष्य का उजास बनेगा। 


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