ब्रम्ह को जाने बिना भक्ति अधूरी है: पी.एन. दिनकर

 जीव को आनन्द की अवस्था प्राप्त हो इसके लिये ब्रम्हज्ञान जरूरी

* ब्रम्हज्ञानी सन्त के सानिध्य में निरंकारी आध्यात्मिक सत्संग का आयोजन


ललितपुर।

सन्त निरंकारी शाखा मण्डल ललितपुर द्वारा निरंकारी आध्यात्मिक सत्संग का आयोजन  ब्रम्हज्ञानी सन्त पी.एन. दिनकर

 के सानिध्य में सरस्वती ज्ञान मंदिर बालिका इण्टर कॉलेज नई बस्ती ललितपुर में किया गया।

निरंकारी सत्संग में ब्रम्हज्ञानी सन्त पी.एन. दिनकर ने विशाल मानव परिवार को सद्गुरु अमृत वचन प्रदान करते हुए कहा कि ब्रम्ह का ज्ञान बिना भक्ति अधूरी है। कहा कि आज समय की सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ब्रम्हज्ञान की दात देकर पूरी दुनिया को सुखेला कर रहीं हैं। कहा कि जीव को आनन्द की अवस्था कैसे प्राप्त हो इसके लिए परमात्मा को जानना जरूरी है। आत्मा का जब परमात्मा से मिलन हो जाता है तब परमात्मा को खोजने की चाह खत्म हो जाती है। परमात्मा हमारे अंग संग हर समय हमारे पास है हमारे साथ है जरूरत है जानने की। ब्रम्ह का ज्ञान हमें निराकार पारब्रम्ह के साथ जोड़कर हमारा जीवन सुखेला बना देता है। कहा कि जानो उस ईश्वर को जिसकी पूजा, अर्चना व बंदगी हम करते हो, जो आनन्द का श्रोत है, जिसको जानने से जीवन मे सहजता, सरलता के भाव पैदा होंगें, क्योंकि ब्रम्ह ज्ञान दुर्लभ है।

कहा कि अच्छा ज्ञान खुशियों की खान है। जहाँ प्यार है वहाँ दुनिया की सारी खुशियाँ हैं।

निरंकारी संत ने कहा कि इंसान थोड़ी देर के लिए अच्छा इंसान बन सकता है, पर जिंदगी भर अच्छा बनने के लिये  उसे कण-कण, पत्ते-पत्ते, व हर मानव मात्र में रमे हुए राम को इस निरंकार के दर्शन करने हैं, व गुणों को धारण करना है, करुणा, दया, व समभाव, सच को सब तक पहुँचाना है। प्यार, नम्रता, विशालता सारे संसार के लोगों को देने का यत्न करना है। 

मानव को चेतना प्रदान करते हुए संत ने कहा कि निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का यही संदेश है कि आप एक ब्रम्ह को जानकर मानव जीवन के हर पहलू को विशेषता देनी है, जिससे पारिवारिक  स्नेह व समन्वय, शैक्षिक जीवन में उन्नति व समाज मे मानवीय मूल्यों की स्थापना व विश्व बंधुत्व की भावना साकार हो। 

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