पावरलूम बुनकरों को विद्युत दर में छूट की प्रतिपूर्ति योजना को मंजूरी
मंत्रिपरिषद ने पावरलूम बुनकरों को विद्युत दर में छूट की प्रतिपूर्ति योजना को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके तहत प्रत्येक छोटे पावरलूम (0.5 अश्व शक्ति तक) को प्रतिमाह 120 यूनिट तथा बड़े पावरलूम (1 अश्व शक्ति तक) को प्रतिमाह 240 यूनिट तक 3.50 रुपए प्रति यूनिट की दर से सब्सिडी दी जाएगी।
वर्ष 2006 में ऊर्जा विभाग के अनुभाग-3 के शासनादेश संख्या-1969/24 -पी-3-2006 दिनांक 14 जून, 2006 द्वारा बुनकरों को फ्लैट रेट पर विद्युत आपूर्ति कराए जाने की योजना शुरू की गई। इस योजना में प्राविधान किया गया है कि 60'' तक की रीड स्पेस (कंघी) के लूम के लिए 65 रुपए प्रति लूम पावरलूम बुनकर से लिया जाएगा। यह माना जाएगा कि लूम का विद्युत भार 0.5 अश्व शक्ति है। इसी प्रकार, 60'' से अधिक रीड स्पेस के लूमों के लिए 130 रुपए प्रति लूम पावरलूम बुनकर से लिया जाएगा। यह माना जाएगा कि लूम का विद्युत भार 1 अश्व शक्ति है। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर 60'' तक की रीड स्पेस के लूम के लिए 37.50 रुपए प्रति लूम एवं 60'' से ऊपर 75 रुपए प्रति अश्व शक्ति प्रतिमाह लिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, मशीनों पर शहरी क्षेत्र में 130 रुपए प्रति अश्व शक्ति प्रतिमाह की दर से एवं ग्रामीण क्षेत्र में 75 रुपए प्रति अश्व शक्ति प्रतिमाह की दर चार्ज किया जाएगा।
ऊर्जा विभाग द्वारा इस योजना के अनुसार पावरलूम बुनकरों को फ्लैट रेट पर विद्युत आपूर्ति का लाभ सीधे दिया जा रहा था। वर्ष 2015-16 से यह योजना हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग को स्थानान्तरित कर दी गई, तब से हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग के बजट में इस योजना का लाभ दिया जा रहा है, किन्तु इस छूट का कतिपय इकाइयों द्वारा दुरुपयोग किए जाने के कारण तथा विद्युत दरों में बढ़ोत्तरी के कारण 150 करोड़ रुपए के बजट से ऊर्जा विभाग को देय सब्सिडी की पूर्ति नहीं हो पा रही है और ऊर्जा विभाग के अनुसार यह धनराशि (ऊर्जा विभाग को देय वार्षिक सब्सिडी) बढ़ते-बढ़ते अब 950 करोड़ रुपए वार्षिक हो गई है। इस प्रकार से बजट द्वारा उपलब्ध अनुदान की धनराशि लगभग 800 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष कम है। इस अन्तर के कारण अनुदान के मद में विद्युत विभाग की दिनांक 31 मार्च, 2019 तक की देयता 3682.72 करोड़ रुपए बकाया हो गया है।
उच्च स्तर पर यह विचार हुआ कि पावरलूम बुनकरों का प्रदेश का आंकड़ा बहुत पुराने सर्वेक्षण पर आधारित है और स्थापित पावरलूम में विद्युत खपत की सही स्थिति ज्ञात करके ही, अच्छा प्रस्ताव बनाया जा सकता है। इसके लिए निदेशक हथकरघा तथा विद्युत विभाग द्वारा संयुक्त रूप से सर्वेक्षण किया जाना चाहिए तथा औचित्यपूर्ण प्रस्ताव बनाकर नवीन व्यवस्था लागू की जानी चाहिए। इस क्रम मंे ऊर्जा विभाग एवं हथकरघा विभाग द्वारा संयुक्त सर्वे कराया गया।
सर्वे पूर्ण होने के उपरान्त ऊर्जा विभाग द्वारा उपलब्ध करायी गई संख्या कुल 97,723 कनेक्शन के सापेक्ष 86,074 पावरलूम विद्युत कनेक्शन एवं 2,57,965 पावरलूम पाए गए हैं। इसमें 60'' रीड से अधिक के पावरलूम की संख्या 20,171 तथा 60'' रीड से कम के पावरलूमों की संख्या 2,37,794 पायी गई।
यह पावरलूम औसतन 12 घण्टे प्रतिदिन तथा महीने में 30 दिन चलते हैं, तो आधे हाॅर्स पावर के पावरलूमों पर 383503680 ;0ण्746ग0ण्5ग12ग30ग12ग238000द्
इस प्रकार पावरलूम बुनकरों के नाम पर अन्य उपभोक्ताओं द्वारा भी इन योजनाओं का लाभ लिया जाना प्रकाश में आया है, जिनके विरुद्ध ऊर्जा विभाग द्वारा कार्रवाई की जाएगी। सर्वे से प्राप्त स्थिति के अनुसार सब्सिडी का प्रस्ताव बनाया गया है। प्रस्ताव बनाने में इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि कुल पावरलूम विद्युत सब्सिडी के लिए वित्त विभाग 150 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष की सीमा चाहते हैं। इन पावरलूमों में 01 हाॅर्स पावर के पावरलूम को प्रतिमाह 240 यूनिट तक तथा आधा हाॅर्स पावर (0.5 हाॅर्स पावर) के पावरलूमों को प्रतिमाह 120 यूनिट तक 3.50 रुपए प्रति यूनिट की दर से सब्सिडी दी जाए, तो लगभग 150 करोड़ रुपए के वार्षिक बजट से इन पावरलूमों को देय सब्सिडी की प्रतिपूर्ति हो सकेगी।