आज के शिक्षा में भी प्रसांगिक है भारत रत्न राधाकृष्णन जी के विचार: संतोष कुमार त्रिपाठी

गुरु' जिन पर सारा देश करता गुरुर ऐसे थे हमारे भारत रत्न कृष्णन जी


ललितपुर।
भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति  द्वितीय राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय जॉर्ज पंचम विश्वविद्यालय दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद पर कार्य कार्य किया। वे ब्रिटिश अकादमी में चुने जाने वाले प्रथम भारतीय थे 1948 में यूनेस्को  में भारत का प्रतिनिधित्व किया  आंध्रविश्वविद्यालय  बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के  कुलपति पद को सुशोभित किया। भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1954) प्राप्त करने वाले प्रथम व्यक्ति जिनके जन्म पर शिक्षक दिवस पूरे भारत मे मनाया जाता है इनके विचार आज भी भारत के साथ-साथ अनेक देशों में प्रसांगिक बने हुए हैं वाईविल पुराण के साथ-साथ हिंदू धर्म के सभी ग्रंथों के विद्वान थे  बिना किसी राजनीतिक पार्टी का सदस्य होते हुए भी इन्हें संविधान निर्मात्री सभा का सदस्य बनाया गया
1931 ईस्वी में इन्हें अंग्रेजी सरकार द्वारा सर की उपाधि दी गई थी लेकिन स्वतंत्रता के पश्चात उनके लिए इसका कोई महत्व नहीं रह गया था। 17 अप्रैल 1975 ईस्वी को इस महान विभूति ने सदा के लिए आंखें बंद कर ली लेकिन उनके विचार आज भी हम लोगों के बीच प्रसांगिक बने हुए हैं। ये विश्व को एक विद्यालय मानते थे। उनका मानना था कि शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है। अत: विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबन्धन करना चाहिए। ब्रिटेन के एडिनबरा विश्वविद्यालय में दिये अपने भाषण में  इन्होंने  कहा था- " मानव को एक होना चाहिए।  मानव इतिहास का संपूर्ण लक्ष्य मानव जाति की मुक्ति तभी सम्भव है जब देशों की नीतियों का आधार पूरे विश्व में शान्ति की स्थापना का प्रयत्न हो।"  यह अपनी बुद्धि से परिपूर्ण व्याख्याओं, आनन्ददायी अभिव्यक्तियों और हल्की गुदगुदाने वाली कहानियों से छात्रों को मन्त्रमुग्ध कर देते थे। उच्च नैतिक मूल्यों को अपने आचरण में उतारने की प्रेरणा वह अपने छात्रों को भी देते थे। वह जिस भी विषय को पढ़ाते थे, पहले स्वयं उसका गहन अध्ययन करते थे। दर्शन जैसे गम्भीर विषय को भी वह अपनी शैली से सरल, रोचक और प्रिय बना देते थे। इनके यह विचार आज भी  मनोविज्ञान की दृष्टि से छात्रों पर  लागू होती है और हमारे शिक्षा अधिनियम भी इन्हीं के इसी विचारों पर  शिक्षकों के लिए सबसे ज्यादा जोर देते हैं  इनके जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप मे मनाते है।


 


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