हेमवती नन्दन बहुगुणा के 101वीं जयंती पर विषय- भारतीय लोकतंत्र में केन्द्र-राज्य सम्बन्धों का महत्व वेब सेमिनार


प्रयागराज 25 अप्रैल : प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा के जन्मदिवस के अवसर और उनकी जन्मशताब्दी वर्ष के समापन पर एक राष्ट्रीय बेव सेमिनार (वेबिनार) का आयोजन किया गया। देशव्यापी लॉकडाउन के बावजूद देश भर के विभिन्न क्षेत्रों के विद्वानों और अपने अपने क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञों ने अपने अपने स्थानों से भागीदारी की। सभी वक्ताओं ने स्वर्गीय बहुगुणा को अपने अपने श्रद्धसुमन अर्पित किए। अखिल भारतीय हेमवती नंदन बहुगुणा स्मृति समिति की ओर से "केंद्र और राज्य के अंतरसंबंधों में हेमवती नंदन बहुगुणा की व्यापक दृष्टि" विषयक वेबिनार में मुख्य वक्ता के रूप मे प्रयागराज से जुड़ते हुए उत्तर प्रदेश विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष, पूर्व राज्यपाल और सुविख्यात संविधान विशेषज्ञ केशरी नाथ त्रिपाठी ने कहा बहुगुण जी का स्मरण करते हुए राष्ट्र निर्माण में किए गए उनके प्रयासों का जिक्र किया। श्री त्रिपाठी ने कहा कि >>>> भारत के संविधान में विधायिका, न्यायपालिका व कार्यपालिका के अधिकारों को पूर्णतया स्पष्ट कर दिया गया हैकेन्द्र और राज्य सरकारों के अधिकार भी परिभाषित है। विवाद के किसी भी मुद्दे के समाधान का प्राविधान है। नागरिकों के मूल अधिकारों को संविधान में सुरक्षित किया गया है


केन्द्र और राज्य के बीच समन्वय राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक है।


उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने देहरादून से इस अवसर पर अपने पिता को याद करते हुए कहा कि हेमवती नंदन बहुगुणा ऐसे इंसान थे जो राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखकर आजीवन काम किया। केंद्र और राज्य के रिश्ते को लेकर वह सदैव चिंतित रहते थे। उन्होंने समय समय पर इसके लिए जरूरी प्रयास भी किए।


इलाहाबाद हाईकोर्ट के अवकाशप्राप्त न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने कहा कि बेसिक और प्राथमिक शिक्षा की स्थिति देश में अच्छी नहीं हैयह राज्य विषय है परन्तु केन्द्र सरकार के अधिक हस्ताक्षेप करने के आवयकता है। केंद्र और राज्यों के बीच संबंधों की व्याख्या सुस्पष्ट होने पर ही दोनों के बीच संबंध बेहतर बने रह सकते हैं


जाने माने पर्यावरणविद पद्मश्री अनिल जोशी ने देशव्यापी कोरोना संकट का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे ही अवसरों पर केंद्र और राज्य के संबंधों में सुस्पष्टता काम आती है। देश की जीडीपी की तरह जीआईपी (ग्रॉस इंन्वायरमेंटल प्रोडक्ट) की भी सुस्पष्टता होनी चाहिए। इन दोनों के समकक्ष होने पर ही ऐसी आपदाओं से निपटा जा सकता है


देहरादून से जुड़ते हुए उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि बहुगुणा जी ने जिन मानकों के आधार पर राजनीति की थी, अब न वैसे लोग रहे और न ही वैसी राजनीति ही हो रही है। राज्यों और केंद्र सरकार के बीच समय समय पर होने वाले विवादों को सुलझाने के लिए बहुगुणा जी की चिंता जायज थी और उनके सुझाव मुकम्मल हैं।


महाराष्ट्र सरकार के पूर्व गृहमंत्री कृपाशंकर सिंह ने मुंबई से बहुगुणा जी को शिद्दत से याद करते हुए कहा कि बहुगुणा जी ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए हमेशा प्रयास किए। देश में लोकतांत्रिक मूल्यों पर जब जब आघात पहुंचाया गया, उसके खिलाफ बहुगुणा जी हमेशा उठ खड़े हुए और पूरी ताकत से प्रतिकार किया।


उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ अम्मार रिजवी ने लखनऊ से कहा कि हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे नेता अब दुर्लभ हैं, जो कार्यकर्ताओं के हित को ही सर्वोपरि मानकर गरीब से गरीब लोगों की भलाई के लिए सदैव तैयार रहते थे। उड़ीसा की पूर्व मुख्यमंत्री नंदिनी सत्पथी के पौत्र और समाजसेवी सुपर्णो सत्पथी ने कोलकाता ने कहा कि आज देश में कोरोना का संकट आया है, ऐसे में मुकम्मल रणनीति बनाने के लिए केंद्र और राज्य के बीच संबंध मधुर होने चाहिए।


जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हरेराम मिश्र ने बहुगुणा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा उनके मुख्यमंत्रितत्व काल में उ0प्र0 राष्ट्र का पहला प्रदेश था जिसने विश्वविद्यालयों में यू.जी.सी. द्वारा प्रस्तावित वेतनमान लागू कर शिक्षकों का सम्मान किया थाकि केंद्र और राज्यों को मिलकर शिक्षा और शोधकार्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, तभी देश को आगे ले जाया जा सकता


संचालन प्रयागराज की सांसद और हेमवती नंदन बहुगुणा की सुपुत्री प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि आज अनेक मामलों वैश्विक सहाकारिता को बल दिया जा रहा हैं। भारत के संघीय ढांचे को मजूबत करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का प्रतिस्पर्धी सहकारी संघवाद का विचार बहुत सिद्ध होगा। गरीबी, बीमारी, आंतकवाद आदि से निजात पाने के लिए सबका साथ सबका विकास कारगार होगा।


सर्वप्रथम सेमिनार का विषय प्रवर्तन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार रतिभान त्रिपाठी ने कहा कि बहुगुणा जी ने अपने राजनीतिक अनुभवों से जीवन के उत्तरार्ध में केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर संबंधों के लिए देशव्यापी अभियान चलाया था।


सेमिनार में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए बहुगुणा जी के कनिष्ठ पुत्र शेखर बहुगुणा का मानना था कि केंद्र और राज्यों के बीच जब तक परस्पर विश्वास कायम नहीं होगा, विकास में तेजी नहीं लाई जा सकती है। वेब सेमिनार को सफल बनाने में विशाल मोहन और यश विक्रम त्रिपाठी की भूमिका महत्वपूर्ण रही।


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