हिटलर क्या रावण पुत्र है ?

युद्ध की अभिलाषा से मानव समाज का व्यापक रक्तपात करने वाला क्रूर शासक हिटलर क्या वास्तव में रावण का पुत्र था ? मेघनाद का पुर्नजन्म का परिणत रूप है यह मानना भले ही इस आधुनिक युग में कौतुहल पूर्ण लगे लेकिन रहस्य रोमांच की दुनियाँ के तिलिस्म की तरह लगने वाला यह कथन को हजारों वर्ष पूर्व युग दृष्टा कवि संत सूरदास जी ने अपने काव्य में वर्णित कर दिया था। काल के गाल में रहस्य के मोतियों को खोजने वाले अनवेषकों ने अनेक रहस्यों से जब पर्दा हटाया तो मानव जगत चैक गया। कुछ ऐसा ही रहस्य को  स्पष्ट किया है भक्त-शिरोमणि सूरदास के काव्य का अध्ययन करते हुए बिहार निवासी श्री अनंत प्रसाद बी.एल. ने, उन्हांेने जिस पद के आधार पर हिटलर को रावण पुत्र मेघनाथ बताया है, वह इस प्रकार है-
‘‘एक सहसु नौ सौ के ऊपर ऐसो जोग परे;
पूरब-पश्चिम, उत्तर-दक्खिन चहुँदिसि गदर परे।
मेघनाथ रावन के बेटा पश्चिम जनम धरे;
तेज तुरुक को यो दाहे, ज्यों पावक पतंग जरे।
असी वर्ष सतजोग को ब्यापे धर्म की बेल बढ़े;
सूरदास प्रभु की यह बानी टारे हूँ न टरे।

उक्त पद मे प्रयुक्त तुरुक का शब्दार्थ न लेकर भावार्थ अविश्वासी, धर्म में जिसका विश्वास न हो, लेना उचित प्रतीत है। कवि संत सूरदास ने हिटलर द्वारा किये जाने वाले भावी विनाश का स्पष्ट संकेत दिया है उनका मत है सीधा युद्ध न होकर मानव जाति का नष्ट करने हेतु कत्ले -आम ‘ज्यों पावक पतंग जरे’ क समान होगा और अन्त में युगदृष्टा की तरह भक्तकवि सूरदास अपने कथन को पुष्ट करने हेतु कहते है कि उक्त क्रिया कलाप अवश्य होगे उन्हें टाला नही जा सकता है।


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