जन्मे थे क्यों श्री राम?

जन्मे थे क्यों श्री राम?


इस रामनवमी पर,


मन में एक प्रश्न उभरता है!


जन्मे थे क्यों श्री राम?


परमपिता मानव क्यों बनता है!


 


आप कहेंगे- "यह भी कोई प्रश्न है?


स्कूल में, घर पर, बड़ों से सुना होगा.


क्या? तुमने रामायण भी नहीं पढ़ी.


रामानंदजी का सीरियल तो देखा होगा.


 


चलो कोई बात नहीं, आज बता देते हैं.


दया करके, तुम्हारा अज्ञान मिटा देते हैं.


जब रावणादि दैत्यों का बढ़ा था त्रास. 


जन्मे थे प्रभुकरने उन दुष्टों का नाश!"


 


ऊँह, मेरी सोच कुछ ओर है!


इन टुच्चे-मुच्चे दैत्यों को,


क्षीरसागर से परमपिता,


मार सकते थे एक संकेत से.


इस क्षुद्र काम के लिए भला,


मानव-जन्म लेना आवश्यक था?


 


जन्मे थे प्रभु श्री राम,


हम मानवों को शिक्षा देने.


मार्गदर्शन करने हमारा,


मानव-जन्म पड़ा उन्हें लेने.


 


कैसे करें आदर बड़ों का.


माता, पिता, गुरुजनों का.


धर्म-पालन की लिए,


त्याग करें अपने सुखों का.


 


कैसे करें हम प्रेम,


अपने भाईयों से.


पति-पत्नी में हो प्रेम कैसा,


सीखें सीता-राम से. 


 


कैसे निबाहें मित्रता,


प्राण लेकर हाथ में.


दुष्ट-दण्डित कैसे करें,


हनुमान लेकर साथ में.


 


कैसे मिटायें भेद मनसे,


ऊँच-और-नीच का.


केवट-शबरी से कैसे करें,


प्रेम निश्छल राम सा


 


इस रामनवमी पर प्रभो,


कुछ बोध मुझको दीजिये.


अनुकरण कुछ कर सकूँ,


प्रबुद्ध मुझको कीजिये  .


 


मैं 'ओम' चरणों में पड़ा,


कृपा-शरण दीजे विभु.  


श्री राम व्याप्त सर्वत्र हो,


जय-जयकार हो मेरे प्रभु.  


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