कोरोना की गाज सरकारी सेवको पर क्यों?


ऐसा लगता है सरकार दिवालियापन के कगार पर पहुच गयी है। कोविड -19 की महामारी सेे प्रत्यक्ष लड़ने वाले सेवको का वेतन भत्तो  में कटौती करके भाजपा सरकार ने मुखोटे के पीछे का अपना असली चेहरा दिखा दिया है, हमारे चिकित्सक पुलिस और प्रशासन के अधिकारी -कर्मचारी अपने परिवार के नन्हे-मुन्हे बच्चों की ओर परिवार की परवाह किए बगर जी-जान से एक योद्धा की भाँति फ्रन्टलाइन पर खड़े होकर लोगो की जान बचाने का प्रयास कर रहे है जो वात्सव में  एक इनाम के हकदार है परन्तु हिटलरशाही भाजपा सरकार ने इन सरकारी सेवको  की पगार छीनने का आदेश देकर इनाम दिया है। आत 29-4.2020 को लॉकडाउन से हुई आर्थिक क्षति की भरपार हेतू, सरकारी सेवको को जुलाई २०21 तक महंगाई भत्ता एव महंगाई राहत में कोई वृद्धि न करने का आदेश जारी किया है, इसक साथ ही सरकारी सेवको को मिलने वाले अन्य प्रकार के भत्तेे जैसे 1- नगर प्रतिकर भत्ता २- पुलिस विभाग एवं अन्य सुरक्षा एजेसियो के सेंवको को मिलने वाला विशेष वेतन (3) अवर अभियन्ताओं का विशेष भत्ता, 4) लोक-निर्माण विभाग में अनुमन्य रिसर्च भत्ता, अर्दलिय भत्ता एवं डिजाइन भत्ता 5) सिचाई विभाग में अनुमन्य आई एण्ड पी. भत्ता, अर्दलिय भत्ता, 6) सचिवालय भत्ता पर दिनाक 1-4-2020 से 31-31-2021 तक रोक लगा दी गयीे है। इस कटौतियो से कर्मचारियों की कार्यशक्ति घटेगी और पंूजी टेेहरी में डैम्प बनने से गंगा के सिकुड़ने जैसी हो जाएगी, बाजार पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।सरकार को तुगली  फरमान जारी करने से पहल लॉकडाउन से  हुई क्षति का आकलन करना चाहिए।  इसकी भरपाई करने के लिए पहले सरकारी खर्च में कटौती करनी चाहिए उसके बाद सरकारी सेवको और जनता से पैसा लेने पर विचार करना चाहिए। भाजपा सरकार को जनता के दुखःदर्द से कोई मतलब नही रह गया है, उसे तो केवल कर वसूलने का बहाना चाहिये ।


इस आलेख के लेखक समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता,अनेक बार प्रदेश सरकार में मंत्री रहे तथा वर्तमान में नेता विरोधी दल, उत्तर प्रदेश है।


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