कोरोना से पैदा हुये हालातों पर वामपंथी दलों का बयान
लखनऊ 18 अप्रैल 2020, कोरोना वायरस की महामारी को पराजित करने के लिये लाकडाउन
से भी ज्यादा जरूरी है कि बड़े पैमाने पर जांच कराई जाये, संक्रमित पाये गए
लोगों का समुचित इलाज कराया जाये और उन्हे दरम्याने इलाज शेष जनमानस से अलग
थलग रखा जाये।
परन्तु खेद की बात है कि उत्तर प्रदेश में इस प्रक्रिया को ठीक से अंजाम नहीं
दिया जारहा। यहाँ तक कि कोरोना से जूझ रहे योद्धाओं- डाक्टर, नर्स, पेरामेडिकल
स्टाफ आदि के पास जरूरी उपकरण- पीपीई किट आदि उपलब्ध नहीं हैं। इस महामारी को
पराजित करने को हम सब अपने स्तर से जीजान से जुटे हैं, पर उत्तर प्रदेश सरकार
इस लड़ाई को साझा लड़ाई बनाने को तैयार नहीं है। इस नाजुक दौर में भी
सांप्रदायिक नफरत की मुहिम चलाई जारही है। लोकतान्त्रिक तौर तरीकों पर
कुठाराघात करते हुये आलोचना और असहमति को तानाशाही तरीकों से कुचलने की कोशिश
की जारही है। सामाजिक एकता, जनता का सहयोग और विश्वास हासिल करने की जगह उत्तर
प्रदेश सरकार केवल जनता को भयभीत कर, दंडित कर और धमकियाँ देकर इस लड़ाई को
लड़ना चाहती है। शासन- प्रशासन के जरिये भाजपा और संघ परिवार की गतिविधियों को
जारी रखते हुये विपक्ष की गतिविधियों को पंगु बनाए रखना चाहती है।
अतएव वामदल मांग करते हैं कि जनता की आजीविका और जीवनयापन के उपादानों की
भरपाई प्राथमिकता के आधार पर की जाये- सभी को बीमा संरक्षण की व्यवस्था की
जाये। सभी को कम से कम 35 किलो राशन और अन्य जरूरी चीजें निशुल्क तत्काल
उपलब्ध कराया जाये। जिनके पास राशंकार्ड नहीं हैं उन्हें भी राशन दिया जाये।
ऐसे गरीबों की कुछ क्षेत्रों में सूचियाँ बनाई गयी हैं किन्तु उन्हें राशन अभी
तक उपलब्ध नहीं कराया गया। तुरंत कराया जाये। सभी गरीबों, पंजीक्रत, अपंजीकृत
दिहाड़ी मजदूरों, खेत मजदूरों, मनरेगा मजदूरों आदि के खाते में कम से कम 7500
रुपये तत्काल ट्रांसफर किए जायें। मनरेगा का भुगतान कराया जाये और काम को चालू
कराया जाये। संगठित- असंगठित सभी क्षेत्र के मजदूरों की नौकरियों और वेतन की
सुरक्षा कीजिये। गेहूं की सरकारी खरीद देर से शुरू किए जाने के कारण बहुत से
किसानों को समर्थन मूल्य से कम कीमतें मिली हैं। अभी भी सरकारी क्रय केन्द्र
समुचित रूप से काम नहीं कर रहे हैं। लाकडाउन में अवाम की क्रय क्षमता के घटने
के कारण किसानों को फल- सब्जियाँ सस्ती बेचनी पड़ रही हैं। किसानों के सभी
उत्पादों को समुचित मूल्यों पर खरीदे जाने की व्यवस्था करें। प्राकृतिक और
कोरोना की आपदाओं को देखते हुये किसान सम्मान निधि रु॰ 12 हजार वार्षिक की
जाये, किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बड़ाई जाये, ब्याज दर 1 प्रतिशत की जाये
और किसानों के सभी प्रकार के कर्जों की वसूली 1 साल के लिये स्थगित की जाये।
छोटे व्यापारियों, लघु उद्यमियों और फुटकर व्यापार करने वालों का जीवन बचाने
को राहत की घोषणा कीजिये। दूसरे प्रदेशों व जनपदों में फंसे उत्तर प्रदेश के
मजदूरों और उत्तर प्रदेश में फंसे अन्य प्रदेशों के मजदूरों को सरकारी खर्चे
पर उनके घरों को जल्द से जल्द पहुंचाया जाये। वरिष्ठ नागरिकों की देखरेख के
लिये विशेष रक्षा दल गठित कीजिये। बिजली , फोन, गृह कर और जल कर के बिल
फिलहाल स्थगित रखे जायें। सभी राजनैतिक दलों के पदाधिकारियों के साथ परामर्श
हेतु राज्य स्तरीय बैठक बुलाई जाये। जिलों के स्तर पर राजनैतिक दलों के
नुमाइंदों के साथ प्रशासन के अधिकारी समन्वय बनायेँ।सरकार, प्रशासन, भाजपा और
मीडिया द्वारा कोरोना को मुस्लिमों से जोड़ कर चलाई जारही मुहिम फौरन बन्द की
जाये। मुहिम चलाने वालों के विरूद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाये।