मैंने भी इक दीप जलाया

भय और निराशा की वेला में।
नहीं जाना है, रेलम-पेला में।
मृत्यु खोफ चहुं ओर है फैला,
घर ही बदल गए जेला में।
डर को डटकर दूर भगाया।
मैंने भी इक दीप जलाया।।


उर को साफ किया चमकाकर।
उत्साह की बाती, बनाई गा-गाकर।
सहयोग समन्वय का तेल भर दिया,
अंधकार भगाया, फिर दौड़ाकर।
संदेह रूपी अंधकार मिटाया।
मैंने भी इक दीप जलाया।।


आशा और उत्साह दो बाती।
आत्म प्रकाश बढ़े दिन-राती।
विकट परिस्थिति, अभूतपूर्व संकट,
धैर्य से सब विपत्ति है जाती।
हाथ जोड़कर साथ निभाया।
मैंने भी इक दीप जलाया।।


सामाजिक दूरी को अपनाया।
घर में रह कर साथ निभाया।
मंदिर, मस्जिद, चर्च भूलकर,
घर का सुरक्षा कवच पहनाया।
ईष्र्या-द्वेष को निकाल भगाया।
मैंने भी इक दीप जलाया।।


लाॅकडाउन संकल्प निभाया।
स्वच्छता को दिल से अपनाया।
जिसको जरूरता पड़ी हमारी,
 उसको बचाव का पाठ पढ़ाया।
खोफ से भारत मुक्त बनाया।
मैंने भी इक दीप जलाया।।


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