प्रधानमंत्री जी चौथे स्तम्भ पर भी विशेष ध्यान दिया जाना बहुत जरूरी है-रामगोविन्द चौधरी


लखनऊ,समाजवादी पार्टी के  नेता व नेता विरोधी दल,उत्तर प्रदेश विधान सभा, रामगोविन्द चौधरी ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर उनका ध्यान कोविड-19 की महामारी में पत्रकारों की विभिन्न कठिनाईयों की ओर आकर्षित कराया है। श्री चौधरी ने प्रधानमंत्री से जहां एक ओर कहां है कि आपकी दूरदर्शिता और सूझबूझ से देश सुरक्षात्मक ढंग से इस महामारी से लड़ते हुए विजय के लिए आशान्वित है और हर वर्ग की आशाभरी निगाहें आप पर टिकी हैं।



देश में या देश पर कोई भी संकट हो, पत्रकार अगले मोर्चे पर जूझता है। जनता की खबर सरकार तक और सरकार की खबर जनता तक पहुंचाता है। दायित्वों से भटकने वालों की खबर भी लेता है, इसलिए बहुतों को वह खटकता भी है। कई बार इसे लेकर उसे बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ती है, फिर भी वह अपने दायित्वों का निर्वहन करता है, इसीलिए पत्रकारों को चौथे स्तम्भ भी कहा जाता है। कोरोना हमले के इस दुष्काल में भी पत्रकार अग्रिम मोर्चे पर जूझ रहा है। राजधानी, महानगरों, नगरों तक ही नहीं, कस्बा, चट्टी और गाँवों में भी एक अदद कलम, एक अदद मोबाइल और एक अदद कैमरा के भरोसे पत्रकार हर मोर्चे पर डटा दिखाई देता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इनमें से बहुतों के वेतन भी नहीं, पुरस्कार के रूप में कुछ रूपया भुगतान होता है, कहीं कटिंग के आधार पर, कहीं खबरों के आधार पर, कहीं प्रबंधन की कृपा के अनुसार, बहुतों को वह भी नहीं। जो पाते भी हैं, उनमें से अधिसंख्य वेजबोर्ड के अनुसार नहीं, प्रबन्धन के हिसाब से भुगतान पाते हैं, फिर भी खबरों के मोर्च पर डटे रहते हैं। कोरोना हमले के इस दुष्काल में इनका दायित्व निर्वहन डॉक्टरों, नर्स, अन्य स्वास्थ्य कर्मियों, निकाय कर्मियों, सफाई कर्मियों, पुलिस बलों और प्रशासनिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों की तरह ये लोग भी आसानी सेकोरोना के शिकार हो सकते हैं, कई दृष्टि से अन्य कोरोना वेरियर्स की तुलना में इनका कार्य अधिक जोखिम भरा है, क्योंकि इनके पास दायित्व तो सर्वोच्च का है, लेकिन गारण्टी अन्य सुविधाओं को छोड़िए, नौकरी की भी नहीं है। बहुत बार हादसों के बाद इनके संस्थान अपना कर्मी भी नहीं मानते हैं। अभी हाल में मुम्बई में हुई एक जॉच में 171 में से 53 पत्रकार संक्रमित पाए गये हैं। इसलिए इस चैथे स्तम्भ पर भी विशेष ध्यान दिया जाना बहुत जरूरी है। पत्र में स्थिति को स्पष्ट करने का प्रयास करते हुए कहा है कि


माननीय प्रधानमंत्री जी, जो देश के अधिसंख्य पत्रकारों की स्थिति है, वही हमारे गृह जनपद बलिया की भी है, हमारे विधान सभा क्षेत्र बॉसडीह की भी है। आर्थिक और सुविधा की दृष्टि से इनकी हालत अन्य जगहों की तुलना में और अधिक खराब है। इसे मैंने महसूस किया और बलिया के मुख्य विकास अधिकारी को पत्र लिखा कि बलिया और बॉसडीह विधान सभा क्षेत्र के पत्रकारों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए मास्क, हैण्ड सेनिटाइजर्स, साबुन आदि सामान के लिए मैं अपनी विधायक निधि से एक (01) लाख रूपया स्वीकृत करता हूँ। इस निधि से उपरोक्त सामान मंगवाकर बंटवा दें। उन्हें फोन करके भी इसके लिए आग्रह किया। उन्होंने विकास निधि की गाइड लाइन का हवाला देकर इसे होना सम्भव नहीं बताया। फिर मैंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी श्री आदित्यनाथ जी को पत्र लिखा कि वह विशेष परिस्थिति को देखते हुए विकास निधि की गाइड लाइन में सुधार करें, ताकि इस तरह की विषम परिस्थिति में आवश्यक मास्क, हैण्ड सेनेटाइजर्स और साबुन जैसे बचाव के जरूरी सामान पत्रकारों को उपलब्ध कराया जा सकें, परन्तु यह संभव नहीं हो सका।अतः मेरा विनम्र आग्रह है कि मास्क, हैण्ड सेनेटाइजर्स और साबुन आदि जैसे बचाव के जरूरी सामान पत्रकारों को उपलब्ध कराने के लिए विकास निधि की गाइड लाइन में राष्ट्रीय स्तर पर सुधार कराने की कृपा करें, ताकि इसका लाभ जनपद बलिया, विधान सभा बॉसडीह के साथ-साथ देश के समस्त पत्रकारों को मिल सके। इस संबंध में देश के समस्त विधायकों और सांसदों को भी यह निर्देश देने की कृपा करें कि वह अपनी- अपनी विकास निधि से अपने विधान सभा क्षेत्र, लोकसभा क्षेत्र एवं जनपद के पत्रकारों को अपनी निधि से कम से कम एक-एक लाख रूपये का मास्क, हैण्ड सेनेटाइजर्स और साबुन आदि पत्रकारों को जरूर बंटवायें।


उपरोक्त के साथ ही आपसे यह भी आग्रह है कि राष्ट्र, प्रदेश, जिला से लेकर तहसील, ब्लाक एवं गाँव तक फील्ड में काम कर रहे प्रिंट, टी0वी0, सोशल और डिजिटल आदि के सभी पत्रकारों, छयाकारों को कम से कम पचास (50) लाख के बीमा कवर से आच्छादित कराया जाय और कोरोना महामारी के नाम पर इनकी छटनी न की जाय, इनका वेतन भुगतान हर माह समय से और चेक से सुनिश्चित किया जाए, इन्हें निचले स्तर तक भरपूर सुरक्षा प्रदान की जाए और समाचार संकलन के दौरान निधन होने पर उनके परिजनों को कम से कम पच्चीस (25) लाख रूपये विशेष सहायता के रूप में तत्काल दिया जाए। माननीय प्रधानमंत्री जी, पत्रकारों को देश का चैथा स्तम्भ कहा जाता है। देश के तीनों स्तम्भ कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को पेंशन मिलती है। मेरा विशेष आग्रह है कि कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका की तरह पत्रकारिता धर्म का निर्वहन कर रहे साथियों के लिए भी पेंशन की व्यवस्था की जाए, ताकि ये लोग अपने दायित्व का निर्वहन और अधिक जिम्मेदारी के बोध के साथ कर सकें। 



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