रोज टूट रहें काँच की तरह विवाह के सपने


--- गीत अश्क बन रहे बाग के बबूल से 


   सोनभद्र   । न जाने कितने जोड़ो के  सात फेरे लेने के सपनों
पर पानी फिर गया है । अक्षयतृतीया पर तो काँच के गिलासों की तरह उम्मीदें भी
हवा हवाई हो गई । लॉक- डाउन
तीन मई के बाद किस स्थिति में
रहेगा इसका केवल अंदाज़ा ही
लगा कर  कुँवारे युवक-युवतियों
के अरमानों की बारात निकल
जा रही है । तक़रीबन एक दर्ज़न
ऐसे मुहूर्त तालाबंदी के दरम्यान
गुजरें है जिनमें सैकड़ो जोड़ों के
विवाह की पूरी तैयारी  धरी की धरी रह गई और उम्मीदों का कारवां गुजरता  गया भावी दूल्हा
 दुल्हन केवल गुबार देखते रह गए 
 ऐसे अनिश्चितता भरे माहौल में
लड़की वाले अलग तो लड़के
वाले अलग परेशान उहापोह में है । कभी दुल्हन बनने के लिए इंतज़ार कर रही लड़कियों के मन
की अलमारी से निकलने के पहले
ही कच्चे धागे की तरह सपने बिखर जा रहे है तो कोई कड़वी
आलोचना से सामाजिक रूढ़ियों
के फर्श पर गिर कर भावनात्मक
दृष्टि से टूट जा रही है । कभी किसी रिश्तेदार का कटाक्ष दिल
में चुभ जा रहा है तो किसी को
किसी  के व्यंग की कसक देर तक
रुला दे रही है । सोनांचल ऐसी अनेक विवाह समारोह जो स्थगित
किए जा चुके है उनकी पृष्ठ भूमि
में कोरोना वायरस जनित वैश्विक
महामारी के चलते लॉक-डाउन का द्वितीय चरण ही हैं । सभी 27
अप्रैल सोमवार को भी आगे आने
वाले महूर्त पर ग्रहण साफ़ नज़र
आता देख  कई पर्व निर्धारित विवाह आयोजनों पर लॉक - डाउन के असर के आसार साफ
नजर आ रहे हैं ।
    जनपद के सभी भागों में विवाह के मुहूर्त अभी 8 मई , 
10 मई , 11 व 18 मई को पहले
से तय तो है लेकिन विवाह हो
पाएंगे कि नही कहा नहीं जा सकता । शासन का निर्देश है अनुमति ले कर कुछ लोग ही
सुरक्षा उपायों के साथ बारात जा
पाएंगे । उसी चार पहिया वाहन
को अनुमति मिलेगी जिसमें एक
चालक के अलावा केवल एक सवारी ही बैठ सकती है । ऐसे में
न बाज़ा  न बराती न आतिशबाजी , न डीजे , न रोड-लाइट , न आर केस्ट्रा , न फुफ्फा ,
न बहनोई , न बहन न  दोस्त न मित्र फिर विवाह का क्या मतलब । इस तरह से लोग अपनी बात कहते हुए अनेक दुष्वारियों से दो
चार होने को दास्ताँ सुनाए तो उनके दुःख दर्द का एहसास हुआ
जिसे आप को ज़रूर जानना चाहिए ।
       बुकिंग हो चुकी 
       ...................
 8 मई , 10 , 11 व 18 मई  की
साइत के लिए लॉक-डाउन पार्ट
प्रथम के पूर्व ही मैरेज हाल ,
मैरेज प्वाइंट , होटल , टेंट - शामियाना , हलुआई , बैड , आर 
केस्ट्रा , रोड लाइट , डीजे , आतिशबाजी ,  वीडियो रिकार्डिंग 
 चारपहिया वाहन , सजावट का
सामान , प्रसाधक , प्रसाधिका
( ब्यूटी पार्लर ) आदि की बुकिंग
और एडवांस देकर सट्टा तीन माह
पूर्व ही लिखा लिया गया था । अब सब कुछ डूब गया है ।
        बंट चुका निमंत्रण
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 निमंत्रण पत्र छपवाकर पहले की
साइत वाले अपने रिश्तेदारों , इष्ट
मित्रों , क्षेत्र में प्रथम लॉक डाउन के पहले ही वितरित कर चुके थे ।
दूसरे दौर के  लॉक -डाउन से 
अनभिज्ञय 8 मई वाली साइत
के लिए निमंत्रण पत्र छपवाकर
फक्कू बने बैठे हैं । इग्यारह  और
18 मई वाले उहा पोह में है । करें
तो क्या करें । लड़की वाले रोज
फोन से बात कर तिथि पूछ
रहे है । तीन मई के बाद की भी
साइत तय करने में लॉक -डाउन
के बढ़ने की संभावना की कल्पना
कर कुछ कर नही पा रहे हैं ।
   "    फिर गया उम्मीदों पर पानी
     ....................................
 गीत-गारी (संगीत) , चूल्हि - चूल्हा ,  मटिकोड वा , माड़ो ,
तेल - हल्दी , आदि की रश्में पूरी
हो चुकी थी कि प्रथम लॉक  डाउन ने मंसूबे पर पानी फेर दिया 
सच नही हुआ ' उठो रे डोली 
उठाओ  कहांर , पिया मिलन की
रुत आई '  का देखा हुआ सपना ।
       हो चुकी थी ख़रीददारी
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  ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धन परिवारों
के घर बेटी के विवाह के लिए
साल भर तैयारी होती रहती है ।
तेल की  पेराई , गेहूँ की पिसाई ,
बेसन , दाल की द रा इ , हल्दी
की पिसाई , मसाला की कुटाई ,
चीनी , गुड़ , बर्तन पचहड़ ,
दूल्हा के लिए , घड़ी , साइकिल ,
रेडियो , अंगूठी , पवनी पौजुरिया
को देने के लिए नेग , धोती , 
बेलाउज़ , जामा- जोरा ,  म उ र ,
ताग- पात , नेवहड़ , ठिल्ली , कुंडा , चरुई , बर केपुरवा ,आदि
की खरीद दारी कर ली गई है ।
      पुरवा , पत्तल ,परइ , दोना ,
आदि खरीद कर ग़रीब विवाह के
लग्न की प्रतीक्षा करते रहे गए और बेटी के विवाह करने का
अरमान आंसुओं में ढल कर रह
गया । कई बाबा - आजी अपने नाती - पोता ' पोती के विवाह के
अलविदा हो ते मुहूर्तों को टक टकी लगाए दे खते रह जा रहे है
लॉक -डाउन है कि सुरसा की तरह बढ़ता ही जा रहा है ।


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