स्वतंत्रता संग्राम /भारत की आजादी में बुन्देलखण्ड का योगदान

 


" पराधीन सपनेहु सुख नाही" का दुख देशवासियों ने भोगा है, इसीलिये भारत माता को परतंत्रता की वेड़ियों से मुक्त कराने एवं देश की आजादी के लिये सैकड़ो वर्षों तक किया लम्बा संघर्ष भारत के इतिहास की वलिदानी गौरव गाथा का एक अमर अध्याय है।


_मुगल काल में देश की आजादी के लिये महाराणा प्रताप, रानी दुर्गावती चंपतराय, गुरु गोविन्द सिंह, महाराज छत्रशाल एवं महाराज शिवाजी ने निरन्तर संघर्ष किया था। यह संघर्ष मुगल काल के बाद भी रुका नहीं बल्कि जब देश पर अंग्नेज काविज हुये तब पुनः 1842 में "बुन्देला विद्रोह "के रुप में सामने आया एवं यही विद्रोह 1857 के महान स्वतंत्रता संग्राम की पृष्ठभूमि बना। 1857 की हिंसात्मक ज्वाला लगभग 60-70 वर्षों तक सुलगती रही जो बाद में गाँधी जी के अहिंसक आंदोलन के रुप में परिणत हुयी। इस तरह एक लम्बे संघर्ष के बाद अंग्रेजो को भारत छोड़कर भागना ही पड़ा एवं हमारे देश ने 15 अगस्त 1947 को आजादी की सांस ली। अनेक वर्षों के बाद यूनियन जेक (अंग्रेजी ध्वज) की जगह हमारा तिरंगा ध्वज मुक्त रुप से लहराने लगा।


हिन्दुस्तान की आजादी के इस वलिदानी अनुष्ठान में बुन्देलखण्ड का ऐतिहासिक एवं विशेष अग्रणी योगदान रहा। बुन्देलखण्ड की वीरभूमि ने इस बलिदानी हवन कुंड में देश की आजादी के लिए मुगलो एवं अंग्रेजी के सवल साम्राज्यों के तेज को निष्प्रय कर देने वाले रण वांकुरे, चंपतराय, रानी दुर्गावती, लाल कुँवरी, वीरवर महाराज छत्रशाल, रानी विजय कुँवरी मधुकर शाह, डेलन शाह राजा हिरदेशाह , रानी लक्ष्मी बाई, रानी अवन्ती बाई तात्या तोपे, मर्दन सिंह, वखत वली सिंह, किशोर सिंह, राव सरुप सिंह, शंकरशाह, सरयू प्रसाद सिंह, अमर चंद बाँठिया, सवदल दौआ, यशवन्त सिंह ठा0 रुद्रपताप सिंह, साबूलाल, नारायण दास खरे, छोटे लाल, सिंघई, प्रेम चन्द ही नही दिये बल्कि इस बुन्देलखण्ड ने देश को राम चरित मानस के रचयिता विश्व वंदनीय संत तुलसीदास, केशव, भूषण, पदमाकर, तानसेन ईसुरी, घाघ भडुरी, हरिराम व्यास तथा लाल कवि जैसे अनमोल रत्न भी दिये


बुन्देलखंड तपोभूमि है चित्रकूट में अत्रेय गौतम (अत्रि आश्रय भगवान दत्तात्रेय की जन्म भूमि है) ग्वालियर मे गालव, पन्ना में दधीचि, अमर कंटक में कपिल जैसे महान तपस्वियों ने जन्म लिया इसके साथ-साथ ऋषि विश्वामित्र, अंगिरा, जावालि, भृगु एवं वाल्मिकी आदि के आश्रम भी बुन्देलखण्ड में स्थित रहे। बुन्देलखण्ड मे ही चित्रकूट में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम चन्द्र जी ने काफी समय तक वास किया।


अभर शहीद चन्द्रशेखर आजाद ने भी यही से क्रान्तिकारी गतिविधियों का उचालन करते रहे। जब उनके किसी सहयोगी ने ओरछा न छोड़ने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि “विश्व के सबसे बड़े क्रान्तिकारी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम अयोध्या से आकर ओरछा मे ही ठहरे ( रानी गणेश कुँवरी अपने तपोवल से भगवान राम को अयोध्या से ओरछा लायी थी) यह बुन्देलखण्ड की भूमि हमेशा से साधना भूमि रही है मैं इस भूमि से जो संककित कॅरुगा उससे भारत को इस भूमि की आहुति के आवाहन से आजाद कराऊँगा।


बुन्देलखण्ड में मुगलों को खुलकर चुनौती देने वाले दृढ निश्चयो अपराजय छत्रसाल भी पैदा हुये। इस महान देश भक्त ने आतातयी. मूर्ति भंजक औरंगजेब को करारी शिकस्त देकर देश के मध्य भाग में बुन्देलखण्ड नाम से एक विशाल राज्य का निर्माण किया था। तत्कालीन बुन्देलखण्ड राज्य मे उ0प्र0 के झांसी , जालौन, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट जनपद एवं म0प्र0 के भिण्ड, मुरैना, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, गुना टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सागर, दमोह, विदिशा, नरसिंहपुर, होसंगाबाद, राससेन, जबलपुर संपूर्ण जनपद के रुप में और सतना, सीहौर, भोपाल, बैतूल, छिंदवाड़ा , सिवनी, मंडला एवं बालाघाट जिलों के अधिकांश हिस्से सम्मिलित हो गये। महाराज छत्रशाक ने भारत के इस बुन्देलखण्ड राज्य की राजधानी महोबा को अस्थाई राजधानी बनाया उसके बाद पन्ना को स्थाई राजधानी बनाया। 1707 में महाराज छत्रसाल ने ही छतरपुर नगर बसाया था।


इस राज्य के उत्तर में यमुना, दक्षिण में नर्मदा पश्चिम में चंबल तथा पूर्व में टोसं (तमसा) नदियां सीमा रेखा बन गई। राज्य की सीमा के सम्बन्ध में कवि ने छत्र प्रकाश में लिखा है:


इत जमना उत नर्मदा, इत चंवल उत टोसं।


छत्रसाल सौं सरन की, रही न काहू हौंस।।


सन् 1842 में सागर जिले के देश भक्त मधुकर शाह, गणेश जू0 एवं जवाहर सिंह के नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया गया इसका नेतृत्व राजा हिरदेशाह व डेलन शाह ने संभाला यह विद्रोह आजादी के इतिहास में बुंदेला विद्रोह के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजी प्रशासन ने आजादी के दीवाने क्रान्तिकारियों पर 24 नवम्बर को जिन्दा या मुर्दा पकडने के लिये हजारो विक्टोरिया (तत्कालीन रुपया) इनाम की घोषणा निम्नानुसार की थी :


1. 2000 विक्टोरिया की इनामी शशि के क्रान्किारी :


श्री डेलन सिंह श्री मधुकर शाह, गणेश जू, जवाहर सिंह परीक्षत सिहं, राजा हिरदेशाह, दीवान बहादुर सिंह।


2.1000 विक्टोरिया की इनामी राशि के क्रान्तिकारी:


श्री धुरमुंगद : दरयाव सिंह, पंचम सिंह, अजीत सिंह, दहलान सिंह, नरवर सिंह, दिलवर सिंह, रंजोर सिंह, अजीत सिंह, ठा0 शिवराज सिंह, ठा0 सखत सिंह।


3.500 विक्टोरिया की इनामी राशि के क्रान्तिकारी:


वृजभूषण पाठक, नरवर सिंह, भूप सिंह


उपरोक्त क्रान्तिकारियों से अंग्रेजो के नाक में दम आ गया वे हैरान परेशान हो गये तब 19 दिसम्बर 1842 को इनामों की राशि बढ़ाकर निम्नानुसार घोषणा की गई


4.:10,000 विक्टोरिया की इनामी राशि के क्रान्तिकारी :


राजा हिरदेशाह हरिपुर (नरसिंह पुर) , जवाहर सिंह, चन्द्रपुर (सागर) पारीक्षत सिंह जैतपुर (हमीरपुर)।


5.5000 विक्टोरिया की इनामी राशि के क्रन्तिकारी :


मधुकर शाह, नारहट (सागर), गणेश जू, नारहट (सागर) दीवान बहादुर सिंह अमाना (दमोह), पारिक्षित सिंह (गिरार), लक्ष्मण सिंह शाहगढ़ (सागर) पहलवान सिंह जैतपुर (हमीरपुर)।


6.3000 विक्टोरिया की इनामी राशिा के क्रान्तिकारी: -


धोकल सिंह, गुढ़ा, दरयाव सिंह गुढ़ा, गणेश जू0 गुढ़ा।


7.2000 विक्टोरिया इनामी राशि के क्रान्तिकारी :


दहलान सिंह मदनपुर. घुरमुंगद चंदेरी


इसके बाद जनवरी 1843 में कुछ क्रान्तिकारियों पर पुन : इनाम की घोषणा की गई तदानुसार सावंत सिंह हीरापुर (नरसिंहपुर) पर 5000 विक्टोरिया एवं खानजू हीरापुर (नरसिंहपुर) एवं गजराज सिंह हीरापुर (नरसिंहपुर) पर दो -दो हजार विक्टोरिया इनाम की घोषणा की गई। 1857 के महान स्वतंत्रता संग्राम के अमर क्रान्तिकारियों/ सेनानियो को जिन्दा या मुर्दा पकडने के लिये अंग्रेजी प्रशासन द्वारा निम्नानुसार घोषणा की गई।


8.20000 विक्टोरिया की इनामी राशि के क्रान्तिकारी :


झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई


9.10000 विक्टोरिया की इनामी राशि के क्रान्तिकारी :


नवाव बाँदा अलीवहादुर (द्वितीय ) राजा शाह गढ़ वखतवली सिंह


10. 8000 विक्टोरिया की इनामी राशि के क्रान्तिकारी :


राजा वानपुर मर्दन सिंह


11. 6000 विक्टोरिया की इनामी राशि के क्रन्तिकारी :देशपत बुन्देला झींझक 12. 3000 विक्टोरिया की इनामी राशि के क्रान्तिकारी :राजा सरयू प्रताप सिंह 13. 2000 विक्टोरिया की इनामी राशि के क्रान्तिकारी :नेपाल सिंह मैहर, बरजोर सिंह विलौआ (जालौन) मुकुन्द सिंह, सुनौरी चनपुरा, वासीस अली झासी, रणमत सिंह, भनकहरी कोढी, फैजअली झांसी, दौलत सिंह, दुवलेहा (जालौन) दलहला मदनपुर, राव भूपाल सिंह लोधी निमोनी (सागर)


14. 1000 विक्टोरयिा की इनामी राशि के क्रान्तिकारी :


किशोरी सिंह लोधी हिन्डोरिया (दमोह) एवं झांसी के सर्वश्री लक्ष्मण राव पंडित, देवी सिंह, गंभीर सिंह, जगजीत सिंह, गंगाधर, जवाहर सिंह, मनसाराम, छतरसिंह, काशीराम वखत सिंह समस्त झांसी के दौलत सिंह (सागर) हरवान सिंह सूरा, परगना तेजगढ़ शेख रमजान (सागर). दौलत सिंह वम्हौरी, लाल दुलारे, लाल कायथ, (वानपुर) महीप सिंह बुन्देला जाखलौन, महरवान सिंह लोधी वीरापुर, अहमद वख्स तहसीलदार खुरई (सागर) परमानंद रावत, मुलकुँवा, शाहगढ़ राजधर रावत, राव वखत वली बुन्देला नारहट (सागर) रामा बुन्देला वानपुर वोधन दोआ (शाहगढ़) वालमुकुन्द कायथ (सागर) चिमाना जी दुवनेता (जालौन) लुनेक सिंह पीपरी, नराजपुरा (जालौन) महाराज सिंह दौआ शाहगढ़ दीवान वलसिंह वरी, दीवान जोधनसिंह लोधी, निमानी विनापका सागर राव वलवन्त सिंह दांगी गुरलहां खुरई, बाही जमा खाँ डिप्टी कलेक्टर हमीरपुर, फरजंद अली (अजय गढ़) बलभूर सिंह सूही पुर देवरी (सागर). नरवर सिंह राज गौड़ दिलवार चाँवरपाठा (नर सिंह पुर)।


15.500 विक्टोरिया की इनामी राशि के क्रान्तिकारी :


रामस्वरुप सिंह लोधी दमोह, इन्दर घोषी, सुजानपुरा, राजा गुलाव सिंह रहलपुर, गंधर्व सिंह परधर मालथौन, मीरअली महाजन खुरई, जगतसिंह लोधी पाटनसागर, उमराव सिंह बुन्देला जाखलौन, लक्ष्मण सिंह दांगी हिलगुथा, किशोरसिंह अहीर, कुंवर लक्ष्मण सिंह बुन्देला नारहट (सागर) दीवान गुलाबसिंह दांगी, गोपालसिंह दांगी, हम्मीर सिंह लोधी, कुंवर बुधसिंह प्रधान विलइया, पंचमसिंह बुन्देलाखिमलासा, गोपालसिंह दांगी, भूप सिंह गंगई, नरसिंहपुर बलभूरसिंह कोठी, बुद्धसिंह परिहार, वैलहाई, गरुरसिंह (सुहागपुर -रानी का कामदार) महिपाल सिंह गौड कनौजा राजा गंगाधर, राजगौड मानगढ़ दमोह, गणेश जू बुन्देला नाराहट (सागर) हम्मीर सिंह लौधी ताल्कुकेदार मुबी सागर आदि इत्यादि।


उपरोक्त अमर क्रान्तिकारियो/सेनानियो के अलावा भी ऐसे अनेक क्रान्तिकारी है जिन पर इनाम की राशि तत्कालीन 500 रु विक्टोरिया से कम घोषित की गई थी। ललितपुर के ननौरा ग्राम के अग्निहोत्री बन्धुुओं में प.बालकृष्ण,प.प्रेमनारायण ने इन्दौर मे प्रजा मंडल के द्वारा आजादी के अभियान में भागीदारी महत्वपूर्ण है।हम सबका नयी पीढ़ी का एवम् आने वाली पीढी का यही पुनीत कर्तव्य है उनका सम्मान करे और उपरोक्त क्रान्तिकारियों ने जो लहू देश की आजादी के किये बहाया है उसे बेकार न जान दे। साथ ही उनका प्रात : स्मरण करते हुये देश की एकता एवं अखंडता को अक्षुण्य बनाये रखें।


हिन्दुस्तान की आजादी के बाद स्वतंत्रत भारत में सर्वप्रथम 1955 में गठित राज्य पुर्नगठन आयोग ने बुन्देलखण्ड के सर्वागीण विकास के लिये इसे पुन : अलग राज्य बनाने के लिये संस्तुति की थी। लेकिनथा कि अगर केन्द्र में भा0 ज0 प्रयास प्रयास प्रयास काल के गर्त में तत्कालीन सरकार ने प्राचीन बुन्देलखण्ड राज्य को 1 नवम्बर 1956 को दो हिस्सो उ0प्र0 एवं मध्य प्रदेश में विभाजित कर दिया।


बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण के लिये स्व0 श्री शंकर लाल मल्होत्रा तथा अन्य तमाम नेताओं पूर्व मंत्री उ0प्र0 सरकार बादशाह सिंह आदि ने 1989 से ही विभिन्न सामाजिक संगठन एवं राजनीतिक संगठन प्रयासरत है। 2014 के लोकसभा चुनाव में झांसी की चुनावी रैली में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपने भाषण के दौरान बुन्देलखण्ड की जनता से वायदा किया था कि अगर केन्द्र में भा0 ज0 पा0 की सरकार आई तो तीन वर्ष के भीतर पृथक बुन्देलखण्ड राज्य बना दिया जायेगा। लेकिन अभी तक इस सम्बन्ध में केन्द्र सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नही की गयी।


पूर्व में बुन्देलखण्ड के अन्तर्गत कुल 23 जनपदों में 7 जनपद उ0प्र0 एवं 16 म0प्र0 के सम्मिलित किया जाना प्रस्तावित था लेकिन वर्तमान प्रस्ताव में राज्य में कुछ 14 जनपद जिसमें उ0प्र0 के 7 (झांसी, ललितपुर, जालौन, महोबा, बांदा, हमीरपुर व चित्रकूट) जनपद तथा म0प्र0 के 7 जनपद (दतिया दमोह, सागर, टीकमगढ़, नवनियिति -निवाड़ी. पन्ना, छतरपुर ) सम्मिलित किये गये है। वर्ष 2011 में हुई जनगणना के अनुसार बुन्देलखण्ड प्रदेश में आने वाले उ0प्र0 के 7 जनपदों की जनसंख्या 9680562 हो गई है वही म0प्र0 के 7 जनपदो (नवनिर्मित निवाड़ी सहित) 8654191 हो गई है। पूरे बुन्देलखण्ड राज्य की जन संख्या 18334753 है।


प्रस्तावित बुन्देलखण्ड राज्य जन संख्या एवं भौगोलिक क्षेत्रफल में पूर्व में प्रस्थापित किये गये प्रदेशों (उन्तराखंड, हिमांचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम) आदि से कही अधिक बड़ा है। नवीन बुन्देलखण्ड राज्य की जनसंख्या लगभग एक करोड नब्बे लाख और क्षेत्रफल लगभग 70 हजार वर्ग किलोमी0 है। इतना ही नही प्रस्तावित बुन्देलखण्ड राज्य जनसंख्या क्षेत्रफल राजस्व, पर्यटन खनिज तत्व, पत्थर, वालू, हीरा, पन्ना और ललितपुर में सोना/तॉबा सम्भावित आदि में श्रेष्ठ हैबुन्देलखण्ड ने अनगिनत देश भक्तों को जन्मा है पर एक लेख में उन सबका विवरण देना मुश्किल है। अत : अनेक शहीदों का उल्लेख नहीं कर सका इसके किये पाठकगण मुझे क्षमा करेगें मैने अनेक स्थानों पर बिखरी हुई सामग्री को इकट्ठा करने का प्रयास किया है। पाठकगणों के सुझावों का ससम्मान स्वागत करूंगा।


आज नई पीढी में काफी संख्या में ऐसे भी नव युवक है जिन्हें यह पता ही नही कि जिस आजादी का वो उपयोग कर रहे है उसे प्राप्त करने के लिये बुन्देलखण्ड की न जाने कितनी माताओ ने अपने सपूत खोये, कितने बच्चे अनाथ हो गये, कितनों की मांग का सिन्दूर उजड़ा और कितनों ने स्वयं को खोया। इन अमर शहीदो को हमारी नई पीढ़ी भूल न जाये इसीलिये शहीदों पर अनेक पुस्तके लिखी गई है। इसी पुनीत उद्देश्य को लेकर ही मैनें एक साथ ही अधिकांश जानकारी एक ही लेख में देने का प्रयास किया है। जिससे नयी पीढ़ी छोटे-बडे आदि के भेद भाव को भुलाकर देश की एकता अखंडता एवं देश प्रेम की प्रेरणा भी ले सके जो आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। मुझे पूर्ण भरोसा है कि इस लेख में दिये गये अनेक सपूतों के बलिदान की शौर्य गाथा से वर्तमान एवं भावी पीढ़ी इस लेख में वर्णित, शहीदो, क्रान्तिकारियों , देश भक्तो, सेनानियों की गौरव गाथा से भविष्य में मात्र परिचित ही नही होगी बल्कि उनके त्याग व बलिदान से प्रेरणा लेकर देश भक्ति की भावना को हर देशवासी के मन में भरने का प्रयास भी करेगी। अंत में मेरा विनम्र अनुरोध समस्त बुन्देलखण्ड के जनमानस, जनप्रतिनिधियों, धन प्रतिनिधियों , उ0प्र0 एवं म0प्र0 के सम्मानीय विधायक, मंत्री, सम्मान्नीय मुख्य मंत्री, भारत सरकार के सम्मानीय सांसद, मंत्री एवम् प्रधानमंत्री, बुन्देलखण्ड विकास बोर्ड के अध्यक्ष सहित समस्त पदाधिकारी, समस्त राजनैतिक दलों, रंगमंच व सिनेमा कलाकारों एवं समस्त मीडिया ऐजेंसीयों से है कि अपने आपस के भेदभाव से ऊपर उठकर हम सबके पूर्वजो द्वारा भारत की आजादी में बुन्देलखण्ड के अभूतपूर्व एतिहासिक योगदान को ध्यान में रखते हुये अपनी सकारात्मक आहुति अपनी पूर्ण निष्ठा से बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण में देने की कृपा करे। जिससे स्वर्ग लोक में बैठे हुये हमारे पूर्वजो की स्वतंत्रता आंदोलन में अहूति सार्थक हो सके। और हम अपने को गौरवान्वित महसूस कर सके। ये सबसे बड़ी श्रद्धांजलि हमारे पूर्वजो एवं देश के शहीदों के प्रति होगी।


 


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