अच्छा वक्ता कैसे बनें?

कुछ लोगों को स्टेज पर आते ही पसीना छूटने लगता है। वे जो कुछ याद करके आते हैं उसे भी भूल जाते हैंउनके अंदर घबराहट बहुत अधिक बढ़ जाती है। उन्हें स्टेज पर आकर लोगों के सामने दो शब्द बोलने में भी डर लगने लगता है। यही कारण है कि अधिकतर लोग काबिल तो होते हैं पर दूसरे के सामने अपनी बात रखनी, भाषण देना दूसरो तक अपना नजरिया पहुंचना जैसी बेसिक जैसी चीजें नहीं कर पाते क्योंकि एक अच्छे वक्ता नहीं होते हैं और इसी कारण कई बार कामयाबी की रेस में दूसरे से पीछे भी रह जाते हैं। इसलिए अगर आप एक अच्छे वक्ता बन कामयाब होना चाहते हैं तो आपको कुछ बातों को ध्यान रखना आवश्यक वह पनिका सबसे पहले आपको अपने मन का डर दूर करना होगा। दो तीन बार स्टेज पर आकर बोलने से आपके मन का डर दूर हो जाएगा। अपनी बात कहते समय या भाषण देते समय यह बिल्कुल जरूरी नहीं है कि आप कठिन शब्दों का प्रयोग करें। सरल शब्दों का प्रयोग करके भी आप अपने भाषण को प्रभावीशाली बना सकते हैं। यह सलाह सभी को दी जाती है कि सरल शब्दों का प्रयोग करें जिससे अधिक से अधिक लोग आपकी बात को समझ सकें। यह बहुत जरूरी है कि आप अपने श्रोताओं से आंख मिलाकर बात करें। उनसे बचने का प्रयास न करें। जब आप श्रोताओं से नजरें मिलाएंगे तब आपके अंदर स्वतःही आत्मविश्वास पैदा हो जाएगा। फिर आपको बहुत से बिंदु बोलने के लिए खुद ही मिल जायेंगे


कुछ लोग यह गलती करते हैं कि वे अपने भाषण को एक कागज पर लिख लेते हैं और देखकर बोलते हैं। थोड़ा बहुत देखा जा सकता है, परंतु पूरा का पूरा कागज से देखकर पढ़ना बिल्कुल भी उचित नहीं है। इससे श्रोता भी बोर हो जाएंगे। सबसे अच्छा भाषण वह होता है जो बिना कागज की तरफ देखे अपने मन से बोला जाता है। आवश्यक नहीं है कि आप सभी बिंदुओं को क्रमवार बोले। ऐसा भी हो सकता है कि आपको शुरू के दो तीन बिंदु याद न आए। ऐसे में आप अंतिम बिंदु भी बोल सकते हैं। धीरे-धीरे आपको अन्य बिंदु भी याद आ जायेंगे।


यह आवश्यक है कि आप अपने श्रोताओं से दोस्ताना माहौल बनाएं। वे कौन सी बात करना चाहते हैं, किस समस्या पर चर्चा करना चाहते हैं, किस चीज के बारे में जानना चाहते हैं उस पर आपको बोलना चाहिये। भाइयों, दोस्तों, मित्रों, बहनों बोलकर आप यदि संबोधन करते हैं तो इसका बहुत अच्छा प्रभाव श्रोताओं पर पड़ता है। वह पूरा ध्यान लगाकर आपकी बात को सुनेंगे। उनको ऐसा लगना चाहिए जैसे उनका अपना कोई दोस्त उनसे बातें कर रहा है।


पनिका मांगते हैअपना का है। यदि बोलते समय आपके मुंह से कोई शब्द गलत निकल गया, कोई वाक्य गलत बन गया तो आप तुरंत माफी मांगते हुए "माफ कीजिए" बोल सकते हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है। अपनी गलती को स्वीकार करना बहुत ही अच्छी खूबी है। धीरे-धीरे बोलें। जो लोग श्रोताओं के सामने बोलने से डरते हैं उन्हें अपनी स्पीच धीरे-धीरे देनी चाहिए, जिससे गलतियां न हो। इससे आपको बोलने के प्रमुख बिंदु भी याद रहेगें। पूर्व प्रधानमंत्री “अटल बिहारी वाजपेयी" को तो आपने देखा होगा। वह बोलते समय बहुत धीरे-धीरे बोलते थे। इसके बावजूद जनता उन्हें ध्यान लगाकर सुनती थी। हर व्यक्ति की बोलने की शैली अलग-अलग होती है। कुछ लोग बहुत तेजी से अपनी बात करते हैं। पर कुछ लोग धीरे-धीरे बोलते हैं। यदि आप भीड़ के सामने बोलने से डरते हैं तो आप धीरे-धीरे बोलें। आपका भाषण उत्साह से भरा होना चाहिए। जब आपकी बात जनता सुने तो उनके अंदर उत्साह और जोश पैदा होना चाहिए। कुछ लोगों के अंदर ऐसी खूबियां जन्मजात होती हैं। बोलने की कला उन्हें प्राकृतिक रूप से मिली होती है। पर आप भी थोड़ी मेहनत करने पर यह कला प्राप्त कर सकते हैं। अपने भाषण में हास्य, मजाक का प्रयोग करें। दोस्तों आपने देखा होगा बहुत से लोग भाषण देते समय बहुत गंभीर हो जाते हैं जिससे नीरसता उत्पन्न हो जाती है। इसलिए सबसे बेहतर योजना है कि आप बोलते समय हास्य (ह्यूमर) का प्रयोग करें जिससे आपको सुनने वाले लोग बीच-बीच में हंसते रहे। इससे सकारात्मक वातावरण बना रहेगा। लोग आपको ध्यान से सुनते रहेंगे। आपको अपनी स्पीच खत्म करने के अंत में “धन्यवाद" अवश्य बोलना चाहिए। यह बहुत ही आवश्यक होता है। हमारी सभी टिप्स को अपनाकर आप भी एक अच्छे वक्ता बन सकते हैं।


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