भत्तों की समाप्ति और श्रम कानून मे बदलाॅव अमानवीय निर्णय: हरिकिशोर

अब तो सड़क पर उतरने को मजबूर कर रही सरकार

लखनऊ,12 मई 2020। राज्य सरकार द्वारा कुछ दिनों पूर्व राज्य के कर्मचारियों एवं शिक्षकों को वर्षो के संघर्ष के बाद दिये जाने वाले भत्तों को पहले कुछ दिनों तक स्थगित रखने फिर उन्हें अचानक समाप्त किये जाने के निर्णय पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने गहरा आक्रोष जताया है। इससे पूर्व श्रम कानून में बदलाव जैसे निर्णय को परिषद की तरफ से अमानवीय निर्णय बताया गया। परिषद के अध्यक्ष इं. हरिकिशोर तिवारी और महामंत्री शिवबरन सिंह यादव ने कहा कि एक तरफ सांसदों के भत्तों पर बढ़ोत्तरी की जा रही है दूसरे तरफ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कोरोना वारियर्स के भत्तो ंमेे कटौती कर सरकार दोहरा मापदण्ड अपना रही है। ऐसे में अगर लाॅकडाउन की समाप्ति पर कर्मचारी समाज सड़क पर उतर जाए तो कोई अतिश्यिोक्ति न होगी।
परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी और महामंत्री शिवबरन सिंह यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पहले कहा कि हम कोई भी वेतन में कटौती नहीं करेंगे। फिर कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जो किया जाएगा वही करेंगे, और अंत में अभी फिलहाल राज्य कर्मचारियों के 6 भत्तों पर सिर्फ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रोक लगाई और अब ये भत्ते हमेशा के लिए समाप्त कर दिए। उन्होंने कहा कि  पहले एक आदेश इन भक्तों को रोकने का किया गया था संभवतः रोकने से सरकार की बचत हो गई थी और कोरोना में धन इकट्ठा करने हेतु राहत मिल गई थी उसका सभी कर्मचारी संघ ने विरोध किया था परंतु अब उन्हें समाप्त किया जाना. यह दर्शाता  है कि वित्त विभाग के कुछ अधिकारी अपनी पीठ थपथपाना के लिए कर्मचारी विरोधी मानसिकता के तहत अपने कुतर्कों के आधार पर कुछ भी करने को उतारू है। उन्होंने प्रश्न किया कि तृतीय-चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति पर इसका क्या असर होगा, सरकार को इस बारे में मंथन करना चाहिए था। श्री तिवारी ने कहा कि  कोरोना के इस कठिन दौर में यह फैसला उचित नहीं समझा जा सकता. इस बारे पुनर्विचार की जरूरत है। प्रदेश सरकार ने नगर प्रति कर भत्ता सचिवालय भत्ता सहित ,6 भत्तों को पहले अप्रैल 20 से मार्च 2021 तक स्थगित का निर्णय लिया और आज समाचार माध्यमों से पता चला कि बिना बहस के इल सर्कुलेशन आज आदरणीय योगी जी समाप्त का भी निर्णय ले लिया। इस समय सारा कर्मचारी कोविड 19से लड़ रहा है। डाक्टर नर्स पैरा मेडिकल स्टाफ सफाई कर्मचारी फील्ड कर्मचारी निकाय कर्मी पुलिस आदि अपनी जान जोखिम में डालकर नागरिकों कि सेवा कर रहा है। जो रोज कोई न कोई आदेश निकल रहे है उसमे भी सचिवालय कर्मी अन्य विभागों के कर्मचारियों का हो वित्त विभाग के अधिकारियों का कोरोना वारियर्स के रूप में योगदान है। कोई निजी क्षेत्र का कर्मचारी इस संक्रमण काल में जन सेवा के लिए जिंदगी दाव पर नहीं लगा रहा। ऐसे में इन्हीं कर्मचारियों पर सरकार डंडे चला रही है। मान वित्त मंत्री जी बयान दिए है कि छठे वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुसार भते खत्म किए गए है। ऐसे में सरकार को दो बातो पर ध्यान देने की जरूरत है। आज से 15 साल पहले की संसुतियो पर दो वेतन समिति अनेक बार मुख्यसचिव समिति अंत में प्रदेश सरकार के निर्णयों पर यह सुविधाएं कर्मचारियों को मिल रही थी। आज जब कर्मचारी अपने जीवन काल की उत्कृष्ट सेवा जानता को दे रहा है तो इसी समय वित्तमंत्री जी को आकाशवाणी होती है कि स्थगित भत्तों को जल्दी खत्म करो कही कर्मचारी निकाल न ले।  केंद्रीय वेतन आयोग ने सीसीए के स्थान पर ट्रांसपोर्ट भत्ता की संस्तुति की। कारण था कि सीसीए केवल बड़े नगरो में ही दिया जा रहा था। ट्रांसपोर्ट भत्ता फील्ड सहित सभी कर्मचारियों को दिया गया था। प्रदेश सरकार कर्मचारियों के लाख कहने पर भी  ट्रांसपोर्ट भत्ता नहीं दिया। सीसीए का विस्तार सभी जिलों में तथा अनेक नगर पालिका क्षेत्र में भी सीसीए दें दिया। धनराशि तो कम ही थी लेकिन सरकार ट्रांसपोर्ट भत्ते से बचने का यह मार्ग चुना। इसी तरह अन्य भत्तों का भी इतिहास है।


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