बुंदेलखंड केसरी दीवान शत्रुघन सिंह



बुंदेलखंड केसरी दीवान शत्रुघन सिंह जिन्हें बुंदेलखंड के गांधी के नाम से भी जाना जाता है। हालाँकि व्यक्तिगत रूप से मैं इन्हें बुंदेलखंड के गाँधी नही मानता क्योंकि गाँधी जी जहां भगत सिंह आज़ाद आदि के खिलाफ़ थे वहीं दीवान साहब ने चद्रशेखर आज़ाद तिवारी जी की पूरी मदद की थी, जिस समय आज़ाद ओरछा के जंगल में हथियार चलाने की ट्रेनिंग में थे। इन्हें बुंदेली गांधी की वजाय बुंदेली सुभाष चंद्र कहना ज्यादा सही होगा।



हालाँकि यह सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन में गांधी जी के साथ थे।

ठाकुर साहब ने राठ में जीआरपी इण्टरकालेज व पं.परमानन्द इण्टरकालेज की स्थापना कराने में बड़ा ही योगदान किया था। राठ में गांधी आश्रम व कालपी में हिन्दी भवन की स्थापना भी दीवान साहब के प्रयासों से हुयी थी। दीवान शत्रुघ्न सिंह वर्ष 1948 से 1957 तक जिला परिषद के अध्यक्ष भी रहे है। इन्होंने भूदान आंदोलन में अपनी ज्यादातर जमीन जो कई गाओं के बराबर थी ,दान करदी थे। दीवान साहब और उनकी पत्नी के नाम डाक टिकट जारी कर अमेरिका ने गौरव बढ़ाया था।

खेर इनके नाम पर हमीरपुर का जिला अस्पताल आदि है। पर मेरे विचार से अगर इनके बारे में 2 पेज भी स्कूल नही तो कमसे कम बुंदेलखंड के कॉलेज के छात्रों को पढ़ाया जाए तो भी कम होगा।


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