गरीब, लाचार व असहाय प्रवासी मजदूरों के पलायन पर राजनीति नहीं होनी चाहिए बल्कि हर मामले में,व हर स्तर पर,उनके हितों की रक्षा पूरी तत्परता व ईमानदारी से केन्द्र व राज्य सरकारों को करनी चाहिए- सुश्री मायावती
नई दिल्ली, 16 मई 2020, शनिवार: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने उत्तर प्रदेश के औरैया में आज प्रातः घर वापसी करते समय लगभग 24 प्रवासी मजदूरों की सड़क दुर्घटना में हुई दर्दनाक मौत व अनेकों के घायल होने पर गहरा दुःख व संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में करोड़ों गरीब, लाचार व असहाय प्रवासी मजदूरों के मजबूरी के पलायन पर राजनीति नहीं होनी चाहिए बल्कि उनके जान-माल व हितों की रक्षा पूरी तत्परता व ईमानदारी से दलगत राजनीति से उपर उठकर केन्द्र एवं बीजेपी व कांग्रेस-शासित राज्यों को भी करनी चाहिए। जो ये लोग देश में फैले कोरोना वायरस की बजह से लगे लाॅकडाउन में हर मामले में व हर स्तर पर सबसे ज्यादा दुःखी पीडित व परेशान हैं। केन्द्र व खासकर राज्य सरकारो द्वारा उनकी की गई उपेक्षा की बजह से, ये लोग अपने-अपने मूल राज्यों में जैसे-तैसे करके वापिस लौट रहे हैं, जिनके साथ, अभी तक, कई दुर्घटनाये भी हो चुकी हैं।
सुश्री मायावती जी ने अपने मीडिया सम्बोधन में कहा कि देश में लाॅकडाउन लगाया गया कोरोना की महामारी से बचने के लिए, लेकिन इससे सबसे ज्यादा दुःखी व पीड़ित जो नजर आ रहे हैं वे करोड़ों प्रवासी मजदूर लोग हैं। उन्होंने रोजी-रोटी के लिए अपने राज्यों को छोड़कर देश के दूसरे बड़े राज्यों के शहरों व कस्बों में मजबूरी में पलायन किया। लेकिन दुःख की बात यह है कि जब उन राज्यों की सरकारों ने वहाँ इनके ठहरहने व, खाने आदि की सही व्यवस्था नहीं की तो तब इन्हें वापस अपने मूल राज्यों में लौटने के लिए काफी मजबूर होना पड़ा। ऐसे लोगों को उनके मूल राज्यों में भेजने की समुचित व्यवस्था केन्द्र व राज्य सरकारों को करनी चाहिए थी, जो कि नहीं की गई। हमारी पार्टी बार-बार केन्द्र व राज्य सरकारों से इस सम्बंध में माँग करती रहीं कि उन्हें उनके मूल राज्यों में भेजने की उचित व्यव्स्था की जाए, परन्तु केन्द्र व राज्य सरकारें कहती तो रहीं परन्तु वैसा किया नहीं और फिर लम्बे इंतजार के बाद प्रवासी श्रमिकों व मजदूरों को बड़ी मजबूरी में जैसे-तैसे अपनी-अपनी व्यवस्था करके जान को जोखिम में डालकर अपने परिवारों के साथ धर लौटने को मजबूर होना पड़ रहा है।
वैसे अभी हाल ही में कुछ श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं, लेकिन उसमें भी लोग आरोप लगा रहे है कि ़वह मुफत होने के बजाए उनसे पैसा लिया जा रहा है। बीच में दलाल आदि भी सक्रिय हो गए हैं जबकि मजदूरों के पास पैसा नहीं है तो वे टिकट कहाँ से खरीदेगें। इसलिए पैदल जाना उनकी मजबूरी है और इस दौरान देश भर में हुए हादसों में अनेकों मौतें हुई हैं।
लेकिन इससे भी ज्यादा दुःख की बात है कि यूपी के सीएम ने कल ही मीडिया में बयान दिया कि उनके राज्य की सीमा के भीतर हर प्रवासी श्रमिकों/मजदूरों की सुरक्षा, उनके रहने, खाने व उन्हें सुरक्षित घरों को भेजने आदि की व्यवस्था उनके सरकारी अधिकारीगण द्वारा की जाएगी, जिसका खूब प्रचार-प्रसार भी किया गया। लेकिन दुःख की बात है कि उनके दिशा-निर्देशों को अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहें हैं, जिस कारण ही आज तड़के औरैया की भीषण सड़क दुर्घटना घटी और लगभग 24 लोगों की जानें चली गई, जिनके प्रति मेंरी गहरी संवेदना है। मेरी यूपी सरकार से मांग है कि जिन अधिकारियों ने अपनी ड्यूटी सहीं नहीं निभाई है उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए तथा पीड़ित परिवारों व घायलों को पूरी आर्थिक मदद करने के साथ ही मृतकों को उनके परिवारजनों तक घर पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित करे। यदि सीएम के दिशा-निर्देश पर सरकारी अधिकारी उन प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा व खाने-पीने की उचित व्यवस्था किये होते तो वे लोग चाय पीने दुकान पर क्यों रुकतेे और उनकी क्यों मौत होती ?
साथ ही, केन्द्र व राज्य सरकारों से यह भी कहना है कि इन्हेंएक-दूसरें पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने व इसकी आड़ में घिनौनी राजनीति करने के बजाए, प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्यों को भेजने के मामले में पूरी निष्ठा व ईमानदारी से अमल करना चाहिए, जो कि नहीं हो रहा है। कभी कांग्रेस, बीजेपी पर आरोप लगा रही है तो कभी बीजेपी कांग्रेस पर। यह सब ठीक नहीं हो रहा है। पलायन हर राज्य से हो रहा है तथा जिन राज्यों में कांगे्रस की सरकारें हैं वहाँ की उचित व्यवस्था इन्हें कर लेनी चाहिए थी। लेकिन इस ओर इनका ध्यान नहीं जा रहा है। वैसे भी पलायन की ताजा तस्वीरें आ रहीं हैं कि पंजाब व हरियाणा के काफी गरीब व मजलूम प्रवासी मजदूर लोग सहारनपुर में यमुना नदी को भी पार करके अपने राज्यों को लौट रहे हैं। जो कतई भी उचित नहीं हैं। और इसे वहां कि सरकारों को भी जरूर देखना चाहिये था।
मैं समझती हूं कि केन्द्र, व राज्य सरकारों एवं रेलवे को भी श्रमिकों के नाम पर घिनौनी राजनीति करने के बजाए पूरी गंभीरता से मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंवाने की व्यवस्था में लगना चाहिए। यूपी के सीएम भी अपने दिशा-निर्देशों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करायें तथा साथ ही केन्द्र सरकार से भी यही कहना है कि अभी हाल ही में पीएम ने जो स्पेशल आर्थिक पैकेज की घोषणा की हैं, जिसकी विस्तार से जानकारी केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण पिछले कई दिनों से मीडिया को दे रही हैं, उसका हमारी पार्टी स्वागत करती है, लेकिन वे सही मायने में लोगों तक पहुंचनी चाहिए। लोगों की सही मदद होना चाहिए। वे सही मायने में जमीनी हकीकत में नजर आनी चाहिए। केवल पेपरबाजी से व दिशा-निर्देश आदि जारी करने से काम चलने वाला नहीं है। वास्तव में हमारी पार्टी देश के मौजूदा खराब हालात और खासकर मजदूरों की अनवरत त्रासदी से बहुत ही ज्यादा दुःखी है। अबतक होने वाली कार्रवाइयों से हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं, क्योंकि सरकारी निर्देशों का सही से अनुपालन होता हुआ नहीं लग रहा है। लोगों की लगातार मौतें भी हो रही हैं व उनकी परेशानी भी किसी प्रकार से कम नहीं हो रही है।
इस सम्बंध में मजदूरों से भी मेरा कहना है कि वे पैदल ना चलें। ट्रकों आदि पर ना चलें बल्कि सरकार की तरफ से बसों व रेल आदि की सही व्यवस्था का इंतजार करें। वे जहां भी रहते हैं वहां की पास की रेल स्टेशनों पर जाए ताकि सरकार उनकी घर वापसी की उचित व्यवस्था करने को मजबूर हों। वर्तमान के पलायन में खासकर बच्चों व महिलाओं का बहुत ही ज्यादा बुरा हाल है। गर्भवती महिला के प्रति भी सरकारी असंवेदनशीलता देखने को मिली जब बच्चे के पेड़ के नीचे जन्म देने के अगले ही दिन उस महिला को पैदल सफर तय करने पर मजबूर होना पड़ा। क्या सरकार ऐसे लोगों की मानवता/इन्सानियत के नाते अस्पताल आदि की मदद भी नहीं कर सकती थी। इसलिए मेरा केन्द्र व राज्य सरकारों से यही कहना है कि जो भी वे गाइडलाइन्स जारी कर रहे हैं उसका सख्ती से अनुपालन भी करें। केवल कागजी कार्यवाही ना करें। जनता वास्तव में बहुत ही ज्यादा दुःख व तकलीफ में है। केन्द्र, व राज्य सरकारे एवं रेलवे अपने-अपने घरों को लौटने वालों को सुरक्षित उनके घर पहुंचाने की उचित व्यवस्था करे तथा इनके वहाँ पहुंचने पर सम्बंधित राज्य सरकारें भी इनका पूरा-पूरा ख्याल रखें, यही मेरा कहना है।
इस समय विभिन्न राजनीतिक पार्टियों से भी मेरी अपील है कि वे दलगत राजनीति से उपर डठकर काम करें। बेसहारा व लाचार प्रवासी मजदूरों की हर प्रकार से सहायता करें। अभी तो हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं, लेकिन मेरी अपील पर हमारी पार्टी के सामथ्र्यवान लोग इनकी मदद को काफी आगे आयें हैं,परन्तु उनकी भी अपनी सीमायें है। जितना उन्हें करना है वे उतना जरूर कर रहें हंै। किन्तु केन्द्र व राज्य सरकारों की खास जिम्मेदरी बनती है कि वे ऐसे गंभीर संकट के समय में पूरी निष्ठ व ईमानदारी के साथ पीड़ित जनता की मदद करंे व अपनी वादे व घोषणाओं पर निष्ठापूर्वक अमल करें और साथ ही आज औरैया की अति-दुःखद घटना से सही सबक लेकर ऐसा प्रभावी कदम उठायें कि आइन्दा ऐसी घटनाअ की पुनराव्ति न हों।
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