गीता के प्रचार-प्रसार में लगे शिदरत

 


“गीता को हम जितना समझेंगे उतना ही आगे जाएंगे" यह कहना है शिदरत उल्लाह अंसारी का। शिदरत प्रौढ़ शिक्षा के विशेषज्ञ हैं और पिछले कई सालों से गीता का अध्ययन कर शोध कार्य रहे हैं। उन्होंने गीता की रूहानी ताकत” पुस्तक भी लिखी है। वह बताते हैं कि सच्चे मन से कर्म करना और सच्चाई से धर्म का पालन करना और आपस में सभी धर्मों का सम्मान करते हुए चोरी न करना, दूसरों का और गैर लड़की, बेटी को न देखना ये वह बाते हैं जिन पर हम सभी को विचार करने की जरूरत है। ऐसा हमारी पुस्तक गीता भी संदेश देती है। वह बताते हैं कि श्रीमद्भगवत गीता के सभी श्लोकों को पढ़ने के बाद जब मैंने उन सबका निचोड़ निकाला तो जाना कि गीता हमें जीवन जीने का तरीका सीखाती है। इसे हम जितना अधिक समझते हैं उतना ही अधिक कामयाबी की राह पर आगे बढ़ते हैं। शिदरत बताते है कि जब हमने गांधी" फिल्म को देखा तो उसमें गांधी की दुनिया को देखकर उसकी गहराइयों को समझने की कोशिश शुरू की। उसके बाद गीता को पढ़ना शुरू किया।


गांधी जी की लिखी गीता अनाशक्ति योग को पढ़ने का सोचा । जब पहली बार किताब की मोटाई देखी तो सोचा हद से हद तीन से चार दिनों में इसे पढ़कर खत्म कर दूंगा।दूसरे अध्याय के 37वें श्लोक तक पढ़ता चला गया और सोचता चला गया कि बहुत आसान है। लेकिन 38वें श्लोक में फंसना शुरू हुआ और हर श्लोक में इतनी गहराई मिली कि उसके नोट्स बनाने में मुझे चार से पांच साल लग गये। शिदरत बताते हैं कि, मैंने बहुत सारी धार्मिक किताबें पढ़ी और उसमें गीता भी शमिल थी, फिर सबका निचोड़ निकालने के बाद मैंने पाया कि सब एक ही फिर गौतमबुद्ध, स्वामी विवेकानंद और कुरान पाक को भी गहराई से पढ़ने का मौका मिला। इसके बाद समझने का नजरिया ही बदल गया।गीता को बराबर पढ़ता रहा, और बहुत सी किताबें भी पढ़ीं। गीता को कैसे समझाया जाये ये बड़ी बात थी। शिदरत उल्लाह बताते हैं कि हमारे सामने यह बहुत बड़ी चुनौती थी श्लोक में बात उलझे नहीं और सभी मुश्किल हिस्से ऐसे समझाए जाएं कि कहीं विरोध भी न होने पाये। इसलिए इस काम को करने में मुझे 25-30 साल लग गये, अब इस मुकाम पर हूं कि गीता पर पूछे गये किसी भी सवाल का जवाब दे सकता हूं।गीता को समझने के बाद यह समझ में आया कि गांधी जी जिसको सत्य की ताकत कहते थे वह क्या है? उस सत्यता की ताकत को समझाने के लिए इसको दो हिस्सों में बांटा गया है। पहला हिस्सा“सत्य की ताकत” को इस्तेमाल कैसे करें।



खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहलेखुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है यह शेर सुनकर बहुत अच्छा लगता है लेकिन यह यह नहीं बताता कि खुदी को बुलंद कैसे करेंगे। गीता को पढ़ने जा रहे हैं, ये आपको बतायेगी कि खुदी क्या है? और उसे बुलंद कैसे करेंगे? ये मान लीजिए कि खुदी को बुलंद करने की सौ सीढ़ियां हैं। अगर आप पहली सीढ़ी पर चढ़ेंगे तो आपको पहल सदुनिया बहुत ज्यादा अच्छी नजर आएगीऔर दूसरे सीढ़ी पर पहुंचेंगे तो दुनिया पहले से और अच्छी नजर आएगी। इसी तरह से अगर चढ़ते जाएंगे तो आखिरी सीढ़ी सत्य, हक या सिद्धि हैं। यानी आप जितना ऊपर जाएंगे दुनिया उतनी अच्छी नजर आने लगेगी। आपका विवेक (सोचने की ताकत) और दुनिया को समझने की नजर उतनी अच्छी होती जाएगी। जितने सीढ़ी चढ़ते हैं ये सब आपकी मेहनत, लगन और आत्म अध्ययन पर निर्भर है।


गीता को समझ मिलेगी कामयाबी


एक बात याद रखिए कि अभी दुनिया में बड़ा लीडरबड़ा साइंटिस्ट, बड़ा कवि, बड़ा तकरीर करने वालेबड़ा वकील आदि पैदा होना बाकी है, ये सब जगह आपके लिए खुली हुई हैं। आप गीता को जितना समझोगे उतना ही आपको कामयाबी मिलेगी।


 


लेखक शिदरत उल्लाह बेसिक और प्रौढ़ शिक्षा के विशेषज्ञ हैं, जो कि देश के 14 विश्वविद्यालयों को प्रौढ़ शिक्षा में गाइड करनेवाले । साथ ही ट्रेनिंग देने वाले पार्लियामेंट्री फोरम बराय प्रौढ शिक्षा के संस्थापक भी हैं। वह जानते हैं कि किस तरह सामने वाले की बात समझाई जा सकती है, इसलिए गीता को समझाने के लिए बहुत आसान शब्दों में तर्क के साथ 'गीता की रूहानी ताकत पुस्तक को भी लिखा है।


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