गिद्धों को बचाने के लिए अनूठा रेस्टोरेंट

दुनिया विलुप्त हो रहे गिद्धों के
लिए हिमाचल के पौंग डैम वैटलैंड में
वाइल्डलाइफ विंग ने शुरू किया है रेस्टोरेंट बढ़ते शहरीकरण के कारण विलुप्ती के कगार पर पहुंच चुके गिद्धों को बचाने के लिए हिमाचल में वल्चर रेस्टोरेंट चलाकर इन्हें बचाने के लिए अनूठी पहल की गई है। पारिस्थितिकीमें अहम भूमिका निभाने वाले गिद्धों को प्राकृतिक आवास में बचाए रखने के लिए वर्ष 2008 में हिमाचल के पौंगडैम वैटलैंड के समीप सुखनारा स्थान पर वल्चर रेस्टोरेंट शुरू किया गया है। वन विभाग की वाइल्डलाइफ विंग की ओर से सुखनारा में100ग्100 वर्ग मीटर एरिया में
खोले गए इस वल्चर रेस्टोरेंट में 7 मीटर ऊंचाई वाली जाली भी लगाई गई है ताकि इसमें अन्य जंगली जानवर प्रवेश न कर सके। हिमाचल में सबसे अधिक पशुधन की संख्या वाले इस जिले के लोगों को भी इस रेस्टोरेंट में अपने मरे हुए पशुओं को छोड़ने के लिए सुबह 10 से शाम 4 बजे का समय दिया गया है।वन विभाग की वाइल्डलाइफ विंग के अनुसार गिद्धों को विलुप्त होने से बचाने के लिए वर्ष 2004 में इन्हें प्राकृतिक आवास में ही बचा कर रखने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और तब से लेकर इनकी संख्या में कई गुणा की ढ़ोतरी हुई है। सरकारी आंकडों के अनुसार वर्ष 2004 में पौंगडैम में 26 घोंसलों में 23 बेबी वल्चर देखे गए थे, जबकि 2019 में इनकी संख्या 387 घोंसलों में 352 बेबी वल्चर तक पहुंच गई है। वल्चर रेस्टोरेंट में दुनिया में गिद्धों की पाई जाने वाली 16 प्रजातियों में से 8 प्रजातियां देखी गई हैं। जिनमें हिमालयन ग्रेफाॅन और युरोपियन ग्रेफाॅन भी शामिल है।वाइल्डलाइफ चीफ कंजर्वेटर प्रदीप ठाकुर ने बताया कि कांगड़ा क्षेत्र में इस रेस्टोरेंट के खुलने से गिद्धों के संरक्षण
को बढ़ावा मिल रहा है। साथ ही इसमें स्थानीय लोगों की सहभागिता बढ़ रही है। वहीं शोधार्थियों को भी इन्हें नजदीक से समझने के लिए मौका मिल रहा है। गौरतलब हो कि वल्चर रेस्टोरेंट सबसे पहले साउथ अफ्रीका में 1966 में खुला था और इसके बाद, कंबोडिया, स्वीट्जरलैंड, स्पेन, नेपाल और भारत में भी वल्चर रेस्टोरेंट खुल चुके हैं। गौर रहे कि दो दशक पहले तक एशिया महाद्वीप में गिद्धों की संख्या में बहुतकमी आ चुकी है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण जानवरों की दर्द निवारक दवा डाइक्लोफिनेक का प्रयोग रहा है। इसके अलावा बढ़ता शहरीकरण और घटते जंगलों से इनकी रिहाईश पर असर पड़ा है।सीनियर वेटनेरी आॅफिसर डाॅ सुशिल सूद का कहना है कि वल्चर रेस्टोरेंट जैसे प्रयासों से विलुप्त हो रहे गिद्धों के संरक्षण में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि शहरीकरण से गिद्धों के रहने की जगह भी खत्म हो रही है। उन्होंने कहा किआज गिद्धों को लेकर बहुत भ्रांतियां समाज में हैं। मादा गिद्ध पूरे साल में केवल एक अंडा देती है।लोग उसे भी अंधविश्वास के कारण घोंसले से निकाल देते हैं। उन्होंने कहा कि गिद्धों से जुड़ी सभी कहानियंा झुठी हैं और इनका तथ्यों से कुछ भी लेनादेना नहीं है। इसलिए इनके संरक्षण केलिए समाज के लोगों को आगे आना चाहिए क्योंकि पारिस्थितिकी में गिद्धोंकी अहम् भूमिका रहती है।


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