हिन्दी समाचार कार्यक्रमों की भाषा में सुधार की मांग

श्री शशि वेमपति, 


मुख्य कार्यकारी अधिकारी,


प्रसार भारती


प्रसार भारती सचिवालय,


नई दिल्ली ।


 


प्रिय महोदय !


मैं एक छोटे से गाँव सुल्तानगंज (तहसील-बेगमगंज, जिला-रायसेन (म.प्र,)) का निवासी हूँ, मेरे गाँव की जनसंख्या लगभग 2000 है। गाँव में किसी को भी अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नहीं है। मेरे गाँव की तरह ही भारत के किसी भी गाँव व छोटे शहरों में लोगों को अंग्रेजी का ज्ञान नहीं है। 


 


हम गाँव के लोग कोरोना विषाणु द्वारा फैली महामारी के सम्बन्ध में चर्चा कर रहे थे। मेरे दोस्त कह रहे थे कि आजकल दूरदर्शन समाचारों व कार्यक्रमों पर विशेषज्ञ, डाक्टर आदि जो समझाते हैं, वे ऐसे शब्दों का अधिक प्रयोग करते हैं जिसका अर्थ निकालना हम सब के लिए असंभव है। 


 


कोरोना रोग के फोन-इन कार्यक्रमों में डाक्टरों के बोलने से ऐसा लगता है जैसे वे सब अपनी अंग्रेजी के ज्ञान प्रदर्शन करने आये हों।  वे लोग इतनी अंग्रेजी बोलते हैं कि हम लोग तो इन शब्दों का उच्चारण भी नहीं कर पाते हैं। 


 


इतनी अंग्रेजी सुनकर हम डरते हैं कि ये बीमारी सचमुच भयानक है इसलिए डाक्टर अंग्रेजी में ही बात करते हैं।


 


कुछ ने मुझसे पूछा इस रोग का सही नाम क्या है करोना, कैरोना, कैराना, कारोना, कोरना या कुराना । क्या इस बीमारी का कोई देसी नाम नहीं है?


 


सभी ने मुझसे कहा कि भाई कैसे भी करके इसकी शिकायत सरकार तक पहुँचा दो। उन लोगों के द्वारा बताए गए और स्वयं के अनुभव के आधार पर हमने कुछ शब्द लिखे हैं।


 


मेरी सत्तर वर्षीय माँ तो समाचार लगाने पर गुस्सा हो पड़ती हैं कि ये लोग हिन्दी अच्छे से क्यों नहीं बोल पाते हैं, इनको लिखो इतनी अंग्रेजी बोलना है तो अंग्रेजी समाचारों में बोलें ।


 


हिन्दी समाचारों व हिन्दी कार्यक्रमों में भरे अंग्रेजी के शब्द-












कोरोना,


वाइरस,


कोविड-नाइनटीन,


इम्यूनिटी ,


लाकडाउन ,


क्वारेन्टाइन ,


आइसोलेशन ,


सेनेटाइजर ,


सेनिटेशन ,


सोशल डिस्टेंस ,


इमोशनल डिस्टेंस ,


पाजिटिव,


हैल्पफुल


फारेंन असिस्टेंस


लंच-डिनर


मेमोरेंडम


फुल सपोर्ट


स्प्रे


कमुनिटी किचेन


टेलिकास्ट


पीसी


डबलिंग रेट


रेसिडेंशियल



निगेटिव ,


हाइजीन ,


कोरोना वारियर्स,


वायरस,


एनएच- ट्वेंटीफोर,


हैंडवाश,


प्री-काशन,


मिनिमम,


सैलरी,


रिसर्च,


कंटीन्युअस टच


ग्लव्स


आर एंड डी


प्रोटेक्शन गियर्स


फूड सप्लाई


ईएमआई


फायनेंस सपोर्ट


टैक्स रिलीफ


माइग्रेट


ग्रेवयार्ड


कानफरेंस


टोटल स्ट्रेंथ


कामरशियल


वोकेसनल



डीएम,


फ्यूमिगेशन,


फालो,


फूड,


ट्रैवल हिस्ट्री,


इन्फैक्शन,


ब्लैक आउट,


लैब टैस्टिंग,


इन्वेटीगेशन,


वर्क फ्रॉम होम,


हैल्थ एक्सपर्ट,


हैल्थ इंश्योरेंस,


ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स


डीबीटी


लाइव अपडेट


एक्सक्लूसिव


एम्पलाई


स्ट्रेन


बेलआउट


ग्रासरी


पेशेंट


एपी सेंटर


नेवरहुड


मैनटेन              



पीएमओ,


हैल्थ मिनिस्ट्री,


ब्लड टैस्ट,


करेंट स्टेटस,


वैलनेस


एसेंशियल गुड्स


एसेंशियल सर्विस


शेल्टर


माइग्रेट लेबर


मेज़र्स


लेटेस्ट


अपडेट्स


डीएम


कंट्रीब्यूशन


कांस्टेंट


म्यूटेट


म्यूटेशन


आईसीमार


एमएचए


मैक्सिमम


टैस्टिंग किट


हाटस्पाट


इंस्टीट्यीट


ब्रेकिंग



 


अत: कोरोना सम्बन्धी चर्चा करते समय पत्रकार वार्ताओं में आपके वक्ता व समाचारों व कार्यक्रमों में विशेषज्ञ डाक्टर और समाचार वाचक पढ़े-लिखे लोगों के साथ-साथ हम सामान्य ग्रामीणों-किसानों को दृष्टि में रखकर अपनी भाषा में उपलब्ध पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग करें, जिसे हम लोग सरलता से समझ सकें।


 


महानगरों की हिन्दी में बहुतायत अंग्रेजी के शब्द होते हैं पर छोटे शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इन शब्दों को समझ ही नहीं पाते हैं।  मुझे तो लगता है अब हिन्दी समाचारों के माध्यम से हिन्दी भाषा में अंग्रेजी व हिन्दी शब्दावली के आधार पर अमीर-गरीब की एक और नयी विभाजन रेखा खींची जा रही है।


 


महोदय, आप अंग्रेजी के प्रकांड विद्वान होंगे, तभी इस पद पर पहुँचे होंगे और हिन्दी समाचार तो आप देखते भी नहीं होंगे, अंग्रेजी समाचार ही देखते सुनते होंगे। कम से कम हिन्दी समाचारों को हम अंग्रेजी न जानने वाले लोगों के समझने योग्य रहने दीजिए, हमारे पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है। 


 


आशा है आप हम सभी की परेशानी को समझ कर हिन्दी समाचार कार्यक्रमों की भाषा में सुधार करेंगे।


 


निवेदक


अभिषेक कुमार, 


digitalhindi1008@gmail.com


अभिषेक वस्त्र भंडार,
ग्राम- सुल्तानगंज, तहसील-बेगमगंज
जिला-रायसेन 464570


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