कृषि-कुटीर व लघु उद्योगों में अवसर

भारत सम्भावनाओं का देश हैं। भारत प्रतिभावाओं व सुअवसरों का देश हैयह प्राचीन सभ्यता व विरासत में प्राप्त ज्ञान का भण्डार है। जिस तरह से चीन की क्रूरता के कारण पूरा विश्व कोरोना वायरस से त्रस्त है वहा की अर्थव्यवस्थाए ठहर सी गई हैं उनसे विष्वपटल पर आर्थिक संकट से ज्यादा निराषा की गहनता बढ़ती जा रही हैं। इन सबसे अलग भारत ने कोरानो संक्रमण चुनौती को स्वीकार भी किया तथा आर्थिक स्तर पर इसको अवसर बदलने का साहसिक व सामयिक कार्य भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रारम्भ कर दिया है। भारत में लगभग दो माह लाकडाउन के पश्चात् भारत सरकार एक सुस्पष्ट व दूरगामी रणनीति के साथ जनता के सामने आयी। 12 मई 2020 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनता के नाम सन्देश में इस बात पर जोर दिया कि हमें जान भी सुरक्षित चाहिए तथा जहान (अर्थात् आर्थिक गतिविधियों) की चिन्ता करनी चाहिए। इसी क्रम में उन्होनें 20-97 लाख करोड़ रूपए के एक आर्थिक पैकेज की घोषणा की। यह भारत के राष्ट्रीय आय का लगभग 10 प्रतिशत है तथा यह वर्तमान बजट लगभग दा-तिहाई है। इसके माध्यम प्रधानमत्रान भारत का आत्मानभर बनान का एक आह्वान किया है ताकि भारत का राष्ट्राय आय तजा स बढ़ सक तथा लोगों को गरीबी व बेरोजगारी से मुक्ति मिल सके। . इसी क्रम में भारत की वित्त मंत्री ने पाँच भागों में आर्थिक पैकेज घोषणा का ऐलान 13 मई 2020 प्रारम्भ किया जिसमें लगभग हर महत्वपूर्ण आर्थिक पहलू को स्पष्टता बताने का प्रयास किया गया। साथ उनके लिए तत्कालीन राषियों रणनीतियों को भी स्पष्ट किया गया ताकि किसी प्रकार की असुविधा लोगों को न हो। प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान के कुछ महत्वपूर्ण घटक जैसे कि सक्ष्म लघु व मध्यम इकाइया तथा वहत कषि क्षेत्र। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने इन पर व्यापक ध्यान केन्द्रित करके इनके आधार को विस्तृत व मजबूत करने का प्रयास किया हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि मोदी जी के नेतृत्व में यह पैकेज जहा एक ओर तात्कालिक ऊर्जा देने का प्रयास है वहीं दीर्घकाल अर्थव्यवस्था में व्यापक सुधारों पर जोर दिया है। इससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सकेगी। सूक्ष्म लघु व मझोले इकाइयों लिए काफी बड़े प्रयास इस अपेक्षा किए गए है कि इससे उत्पादन का आधार विस्तृत होगा। स्थानीय स्तर पर ही रोजगार का विस्तार तीव्रता से होगा। इसी साथ इससे यह भी अपेक्षा की जाती कि चीन जैसे देश से आयातित कई वस्तुओं का उत्पादन भारत में ही इन इकाइयों के करने से भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकेगा तथा इससे विदेशी मुद्रा के अपव्यय को कम किया सकेगा। बाद में यही वस्तए निर्यात की जा सकेंगी। इसीलिए इस पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया गया है। वर्षों से प्रतीक्षित सूक्ष्म लघु मझोली इकाइयों की परिभाषा में मूल परिवर्तन करके विनिर्माण व सेवा इकाइयों में भेद समाप्त कर दिया है। इनमें निवेश के साथ-साथ बिक्री को भी इनके आकार निर्धारण का आधार बनाया गया । इससे सेवा इकाइयों के प्रति भेदभावसमाप्त हो सकेगा। ऐसा इसलिए भी आवश्यक है कि देश में सेवा इकाइयों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। रू1 करोड पूजी या रू 5 करोड बिक्री वाली इकाइया सूक्ष्म के अन्तर्गत होगी जबकि लघु इकाइयों में पूंजी की सीमा रू 10 करोड तथा बिक्री रू 50 करोड तथा मझोली इकाइयों में पूंजी की सीमा रू 20 करोड तथा बिक्री की राशि रू 100 करोड तक बढ़ा दी गई। इनको प्रोत्साहित करने व संरक्षण देने के लिए अब सरकारी खरीद में ए 200 करोड तक वैविक टेण्डर की प्रथा को समाप्त कर दिया गया। इससे इन इकाइयों के लिए मार्ग प्रशस्त होगा। कोविड-19 के कारण विगत दो माह से ठप्प इन इकाइयों में तरलता की चनौती बढ़ गई है तथा बहत सी इकाइयां बहत ही अच्छा कार्य कर रही हैं। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने रू3 लाख करोडके ऋण की व्यवस्था सूक्ष्म लघु व मझोली इकाइयों के लिए किया है। इसका लाभ वे 31 अक्टबर 2020 तक 9-25 प्रतिशत ब्याज दर पर ले सकती हैं। इसके लिए किसी अतिरिक्त गारण्टी की आवश्यकता नही होगी क्योंकि भारत सरकार इनके मल राशि व व्याज अदायगी की गारण्टी लेगीइसके अतिरिक्त रू 20000 करोडराशि की व्यवस्था ऐसी इकाइयों के लिए की गई है जिनके ऋण अदायगी में दिकते रही हैं। इससे इस तरह की छोटी इकाइयों को पुनर्जीवित करने में सहायता मिलेगी। इसके अतिरिक्त रू 50000 करोड़ की धनराशि की व्यवस्था भी की गई है जिससे इसका उपयोग अच्छी इकाइयों में शेयर पूंजी के लिए किया गया है ताकि यह अच्छे व्यवसाय को और अच्छा कर सकें व वैष्विक स्तर तक अपनी धमक बना सकें। इस प्रकार पूंजी की व्यापक व्यवस्था तथा सहूलियतों सूक्ष्म लघु व मध्यम इकाइयों आत्मविशवास बढेगा। गैर बैंकिग वित्तीय कम्पनियों लिए भी पूंजी की व्यवस्था से भी छोटी इकाइयों को बेहतर व समय पर ऋण मिल सकेगा। तीन माह तक इसमें लगे श्रमिकों व इकाइयों के लिए ई०पी०एफ0 कर्मचारी प्राविडेण्ट फण्ड) कम करने भी लोगों को ज्यादा नगदी मिलेगीयही नहीं तीन माह तक ई०पी०एफ० भुगतान भारत सरकार कर्मचारी व व्यापारी दोनों के हिस्से का करने के लिए 2500 करोड खच करक श्रामक 2500 करोड खर्च करके श्रमिक व्यापारिक इकाइयों का कल्याण करेगीइस राहत पैकेज में कृषि क्षेत्र लिए भी बहुत बड़े स्तर पर राहत एवं दीर्घकालीन सुधार की पहल की है अब तक केवल कल्पना मात्र ही थानाबार्ड के माध्यम से रू 30000 करोड का अतिरिक्त ऋण की व्यवस्था कृषि क्षेत्र के लिए की गई है। इसका लाभ तीन करोड किसानों को होगा। किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से रू 2 लाख करोड की अतिरिक्त तरलता करोड किसानो को सिंचित कर बीड़ा उठाया गया है। इसके कृषि व सम्बन्धित कार्यों हेतु प्रभावशाली कदम उठाए गए हैंकोआपरेटिव की 2020-21 में ऋण अदायगी पर 2 प्रतिशत की में छूट दी जाएगी। कृषि क्षेत्र में कृषकों तथा जुडे लोगों की सुविधा हेतु कृषि के बेहतर रख रखाव व उपयोग 1 लाख करोड़ की राशि उपलब्ध जाएगी ताकि उपयुक्त आध सुविधाओं का निर्माण किया जा सूक्ष्म स्तर पर खाद्य प्रसंस्कर प्रोत्साहन के लिए रू 10000 कर व्यवस्था की गई है। पाइप दवाइ हर्बल खेती हेतु रू 4000 करो व्यवस्था की गई है। इसी प्रकार टमाटर प्याज तथा आलू का दुर स्टोरेज हेतु रू 500 करोड की से इनके उत्पादकों को तात्कालिक मिल सकेगा तथा इसको आगे भी जाएगा। कृषि पदार्थों पर से आ वस्तु अधिनियम (एस्मा) को करने से इनका भण्डारण आस होगा जिससे किसान अपनी उप बाजार में आसानी से बेच सकेगें 


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?

कर्नाटक में विगत दिनों हुयी जघन्य जैन आचार्य हत्या पर,देश के नेताओं से आव्हान,