मेरे भाई-बहन, माता-पिता: दो गज की दूरी बहुत ही जरूरी: संतोष त्रिपाठी

एक छोटी सी कहानी जो हमें देती है शिक्षा

* कोरोना को मजाक में न ले, लॉक डाऊन का करें पालन

* बिना वजह घर से न निकलें बाहर

 


ललितपुर।

सरस्वती मंदिर इंटर कॉलेज मड़ावरा में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत संतोष कुमार त्रिपाठी लोगों को कोरोना वायरस से बचाव हेतु जागरूक करते हुए कहते हैं कि सभी लोग लॉक डाउन एवं सोशल डिस्टेंस का पालन करें। बिना वजह घरों से बाहर न निकलें। वे एक कहानी के द्वारा  घर से बाहर निकलने वालों की हकीकत बयां करते हुए कहते हैं कि- एक दिन अचानक बुख़ार आता है गले मे दर्द होता है साँस लेने मे कष्ट होता है Covid टेस्ट की जाती है 3 दिन तनाव में बीतते हैं फिर टेस्ट +ve आने पर रिपोर्ट नगर निगम जाती है,

रिपोर्ट से हॉस्पिटल तय होता है

फिर एम्बुलेंस कॉलोनी में आती है। कॉलोनीवासी खिड़की से झाँक कर तुम्हे देखते है

कुछ एक की संवेदना आप के साथ है, कुछ मन ही मन हँस रहे है और चुपचाप कहते हैं बहुत बाहर घूमने की पड़ी थी रोज बाहर घूम रहा था। एम्बुलेंस वाले उपयोग के कपड़े रखने का कहते है बेचारे घर वाले तुम्हें जी भर के देखते हैं, तुम्हारी आँखों से आँसू बह रहे हैं तभी.. चलो जल्दी बैठो आवाज़ दी गई।

एम्बुलेंस का दरवाजा बन्द..सायरन बजाते रवानगी...फिर कॉलोनी सील कर दी...। 14 दिन पेट के बल सोने कहा.. दो वक्त का जीने योग्य खाना मिला..Tv..mobile..सब अदृश्य हो गए..। सामने की दीवार पर अतीत वर्तमान के सारे दृश्य दिखने लगे...। अब

आप ठीक हो गये तो ..ठीक वो भी जब 3 टेस्ट नेगेटिव आ जाये, तो घर वापसी..... लेकिन

इलाज के दौरान यदि कोई अनहोनी आपके साथ हुई तो.. 

आपके शरीर को प्लास्टिक में पैक

करके सीधे शवदाहगृह....

अपनो को अंतिमदर्शन भी नही..

अंत्येष्टि क्रिया में अपने वाले भी  नहीं...सिर्फ परिजनों को मिलता है एक डेथ सर्टिफिकेट और....खेल खतम बेचारा चला गया.. अच्छा था।

इतने में धड़ाम से नींद खुल जाती है देखा शरीर पसीने पसीने ,,, उठ कर एक ग्लास पानी का पीया। अपने आप से बोला नही निकलूंगा अब बाहर।

 इसीलिये घर में सुरक्षित रहो. मोह त्यागो, व्यापार और घूमना तो जिंदगी भर का है, जीवन अनमोल ह मेरे भाईयों अपना 

ध्यान रखें, दो गज की दूरी✌️ 

बहुत ही जरुरी है

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