नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से कोरोना से बचाव के प्रति जागरूकता किया जाए -डा0 नीलकंठ तिवारी

लखनऊ-21 मई 2020

डा0 नीलकंठ तिवारी, माननीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), संस्कृति, पर्यटन एवं धमार्थ कार्य, उ0प्र0 द्वारा आज दिनांक 21 मई, 2020 को मध्यान्ह 12.00 बजे, कक्ष सं0-16, नवीन भवन, सचिवालय, लखनऊ में संस्कृति विभाग, उ0प्र0 की तीन स्वायत्तशासी संस्थाओं-उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी, भारतेन्दु नाट्य अकादमी एवं जैन विद्या शोध संस्थान के कार्यों की समीक्षा की गयी तथा कोरोना महामारी के बाद बदली हुई परिस्थितियों में भविष्य की रूपरेखा निर्धारित करन केे निर्देश अधिकारियों को दिये।  

डा0 नीलकंठ तिवारी ने कहा कि वर्तमान वित्तीय वर्ष की शुरूआत विश्वव्यापी महामारी कोरोना के संकट से हुई जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग सबसे महत्वपूर्ण बचाव है।  संस्कृति विभाग का सबसे बड़ा उद्देश्य सामाजिकता को बढ़ावा देना है।  सांस्कृतिक आयोजनों, सेमिनार एवं गोष्ठियों के मूल उद्देश्यों में निहित है। कोरोना महामारी के कारण भविष्य में लम्बे समय तक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जायेगा। ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए विभाग को अपनी रणनीति बड़ी सूझबूझ से बनानी होगी। संस्कृति विभाग और उसकी स्वायत्तशासी संस्थाओं का अस्तित्व इस चुनौती को स्वीकार कर नये विकल्पों की तलाश में ही है।

मंत्री जी ने उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी की समीक्षा करते हुए यह निर्देशित किया कि संगीत प्रतियोगिताओं का डिजिटल आयोजन किया जाये। दूरदर्शन तथा अन्य चैनल के माध्यम से गायन, वादन एवं नृत्य के प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारम्भ किये जायें।  यूट्यूब पर संगीत नाटक अकादमी की उपलब्ध सामग्री अपलोड की जाये तथा आगामी ग्रीष्म ऋतु में की जाने वाली कार्यशालाओं हेतु विशेष आयोजन किये जायें। दूरस्थ शिक्षा की तकनीक को अपनाते हुए संगीत नाटक अकादमी में उपलब्ध साहित्य और कलारूपों को विद्यार्थियों के लिए वेबसाइट पर अपलोड किया जाये। लोक विधाओं के आयोजन भी जूम एप तथा अन्य विशेष एप के माध्यम से कराये जायें जिस सम्बंध में गुरू-शिष्य परम्परा को भी पुनर्जीवित किया जाये तथा प्रदेश के ऐसे विशेषज्ञों को चयन किया जाये जिनके माध्यम से लोक विधाओं में सोहर, कजरी, बन्ना-बन्नी आदि गीतों को अधिक से अधिक बच्चों और युवाओं तक पहुंचाया जा सके।  

भारतेन्दु नाट्य अकादमी की समीक्षा करते हुए माननीय मंत्री जी ने निर्देश दिये कि एक सप्ताह के अन्दर इस वर्ष हेतु प्रवेश हेतु आॅनलाइन विज्ञापन प्रकाशित कर बच्चों का चयन किया जाये।  इस सम्बंध में शैक्षिक स्टाॅफ की जो कमी है उसे अतिथि शिक्षक के रूप में सक्षम स्तर से अनुमोदन प्राप्त कर तत्काल कार्यवाही की जाये।

वर्तमान में कुछ क्षेत्रों में आंशिक रूप से वाणिज्यिक एवं अन्य गतिविधियां प्रारम्भ हुई हैं जहां कोरोना से बचाव की जागरूकता उत्पन्न करना अत्यन्त आवश्यक है।  ऐसी कार्ययोजना बनायी जाये जिसमें नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से सम्भावित भीडभाड़ वाले स्थानों में कोरोना से बचाव के प्रति जागरूकता के कार्य किये जायें।  इस सम्बंध में केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार की गाइडलाइन का नुक्कड़ कलाकारों द्वारा कड़ाई से अनुपालन किया जाये।

भारतेन्दु नाट्य अकादमी के आय-व्ययक विवरण शीघ्र प्राप्त किये जायें तथा वर्तमान परिवर्तित परिस्थितियों के अनुसार नई कार्ययोजना बनायी जाये।

प्रदेश में अन्य मण्डल मुख्यालयोंध्जनपद मुख्यालयों में नाटक, नौटंकी आदि के विशेषज्ञ कलाकारों को प्रोत्साहित किया जाये कि उनके द्वारा वेबिनार आयोजित कर नाट्य कला के प्रचार-प्रसार की कार्यवाही सुनिश्चित की जाये।

वैचारिक एवं प्रदर्शनकारी दोनों क्षेत्रों में भारतेन्दु नाट्य अकादमी द्वारा विशेष कार्ययोजना बनाये जाने की आवश्यकता है।  

जैन कला और संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन एवं प्रोत्साहन के लिए जैन विद्या शोध संस्थान की स्थापना की गई है।  संस्थान के निदेशक को माननीय मंत्री जी ने निर्देशित किया कि जैन कला और संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन हेतु वेबिनार के आयोजन कराये जायें।  इसमें बच्चों से लेकर विश्वविद्यालय के शोधार्थियों एवं प्राध्यापकों को भी सम्मिलित किया जाये।  

उत्तर प्रदेश में 18 जैन तीर्थंकरों का जन्म हुआ है।  ऐसी स्थिति में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए जैन मूर्तियों की कहांनियां भी दिखायी जायें जिन कहानियों को रोचक रूप में जूम एप तथा अन्य एप के माध्यम से भी आमजन तक पहुंचाया जाये।

बैठक में श्री जितेन्द्र कुमार, प्रमुख सचिव, संस्कृति एवं पर्यटन, श्री तरूण राज, सचिव, उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी, श्री रमेश गुप्ता, निदेशक, भारतेन्दु नाट्य अकादमी, श्री राकेश सिंह, निदेशक, जैन विद्या शोध संस्थान, डा0 लवकुश द्विवेदी, रजि0अधिकारी, डा0 योगेन्द्र प्रताप सिंह, संयुक्त निदेशक, संस्कृति निदेशालय अलग-अलग समयों पर प्रदेश सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन्स के अनुसार बैठक में उपस्थित रहे।

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