परम पूज्य संत श्री देव प्रभाकर शास्त्री "दद्दा जी" को शत शत नमन


'असंख्य पार्थिव शिवलिंग निर्माण एवं महारुद्राभिषेक' का भव्य आयोजन करने बाले  परम पूज्य संत श्री देव प्रभाकर शास्त्री जी जिन्हें हम सभी "दद्दा जी" के नाम से प्रेम भाव से स्मरण करते थे,  दिनांक 17 मई 2020 रविवार एकादशी समय रात्रि 8.30 बजे परम पूज्य दद्दा जी का वैकुंठ धाम गमन कर परम् पिता परमेश्वर में विलीन। आज कटनी में होगा अंतिम संस्कार। अपने जीवन के 60 वर्ष उन्होंने गृहस्थ संत के रूप में बिताए जोकि सनातन संस्कृति के इतिहास में दुर्लभ हैं । वह परम ज्ञानी तपस्वी एवं सिद्ध पुरुष थे । उनका निधन सनातन धर्म अनुयायियों के लिए पित्र पुरुष का परायण है । वह साक्षात में भगवत पुत्र थे ।


संत पं देव प्रभाकर शास्त्री परम पूज्य दद्दा जी का संक्षिप्त जीवन बृत


परम् पूज्य दद्दा जी का जन्म अनंत चतुर्दशी के पावन पर्व 19 सितम्बर 1937 को हुआ, अतः प्रति वर्ष तिथि के अनुसार अनंन्त चतुर्दशी को ही जन्म दिवस मनाया जाता है।

 

तत्कालीन जिला जबलपुर तहसील सिहोरा ( म. प्र) के ग्राम कूंडा (मर्दांनगढ़) के साधारण किसान परिवार में पिता श्री गिरधारी दत्त जी त्रिपाठी एवं पूज्य मां ललिता देवी के यहाँ 19 सितम्बर 1937 अनंत चतुर्दशी को जन्में श्री देव प्रभाकर त्रिपाठी जिन्हें आज लाखों लाख सम्पूर्ण दद्दा शिष्य परिवार, भक्तगण, एवं श्रद्धालु जन बड़ी श्रद्धा से दद्दा जी नाम से संबोधित करते हैं।


पूज्य दद्दा जी की प्राथमिक शिक्षा नजदीकी ग्राम खम्हरिया एवं नारायणी संस्कृत विद्यालय कटनी के उपरांत काशी (वाराणसी) के टेड़ीनीम संस्कृत विद्यालय में मध्यम एवं उच्च शिक्षा (गंगा तट लाल घाटी)विरला संस्कृत महाविद्यालय काशी में व्याकरण शास्त्र में शास्त्री की उपाधि प्राप्त करने का गौरव प्राप्त किया।

 

तभी अध्ययन के समय ही पूज्य दद्दा जी को यतिचक्र चूड़ामणि धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी का सानिध्य प्राप्त हुआ, दद्दा जी पूज्य स्वामी करपात्री जी से दीक्षा ले शिष्य बन गए।करपात्री जी दद्दा जी की विलक्षण प्रतिभा ,सरलता सरलता से बहुत प्रभावित हुए ।स्वामी जी ने दद्दा जी से अपनें अंतर्मन की बात व्यक्त की कि मैनें 11 सबा करोड़ पार्थिव लिंग निर्माण एवं रुद्राभिषेक यज्ञ करनें संकल्प लिया था ,1 यज्ञ गंगा तट पर सम्पन्न भी हुआ, किन्तु अब स्वास्थ्य एवं अन्य कारणों से असंभव सा लगता है। दद्दा जी ने विनम्र आग्रह किया कि यदि आपका आदेश एवं आशिर्वाद प्राप्त हो तो में आपके इस लक्ष्य को पूर्ण करनें का प्रयास करूंगा, पूज्य दद्दा जी के विनम्र भाव से प्रभावित हो पूज्य स्वामी करपात्री जी का दद्दा जी को आदेश प्राप्त हुआ।

 

काशी से उच्च शिक्षा प्राप्त कर दद्दा जी जिला मिर्जापुर के बरैनी (कछवा)के हनुमंत संस्कृत विद्यालय में प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्त हुए

 

बरैनी में 1 वर्ष आसीन होने के उपरान्त स्वेच्छा से 1962 में वापिस निज ग्राम कूंडा आकर राष्ट्र एवं मानव कल्याणार्थ, देश प्रदेश के अनेक स्थलों में श्रीमदभागवत, शिव् पुराण देवी पुराण कथाऐ, एवं अनेकों यज्ञ अनवरत सम्पन्न कराये गये।

 

1962 से अभी तक दद्दा जी द्वारा 180 श्री मदभागवत कथाएं, एवं अनगिनत धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न कराये गये।पूज्य दद्दा जी की अनुपम कृपा एवं आदरणीय डा.अनिल त्रिपाठी जी (बड़े भैया) की प्रेरणा एवं श्री बी, पी,चौरहा (हल्ले चाचा) एवं सभी वरिष्ठ गुरु भाइयों के सहयोग से इन सभी 180 श्री मद भागवत कथाओं की जानकारी का संकलन एवं सम्पन्न सबा करोड़ पार्थिव शिव निर्माण यज्ञों का संकलन करनें का परम् सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है।

 

पूज्य करपात्री जी के आदेश पालन में पूज्य दद्दा जी के द्वारा सबा करोड़ पार्थिव शिव लिंग निर्माण महांयज्ञ नवम्बर 1980 में जबलपुर स्टेडियम से प्रारम्भ कर श्रृंखला को जारी रखते हुई संकल्प का 108 वां यज्ञ बाबा महांकाल की पावन नगरी उज्जयिनी में मोक्ष दायिनी मां सलिला पूण्य माँ क्षिप्रा के पावन तट ऊजरखेड़ा में सिंहस्थ् के पुनीत अवसर पर 3 से 9 मई 2016 तक संपन्न हुआ।यह क्रम बढ़ते हुई अभी तक 128 सबा करोड़ पार्थिव शिव लिंग निर्माण, महारुद्र यज्ञ एवं रुद्राभिषेक सम्पन्न हो चुके है एवं यह क्रम अनवरत जारी है।

 

साथ ही पूज्य श्री के द्वारा इसके अतिरिक्त सैकड़ों असंख्य पार्थिव शिव् लिंग निर्माण महांरुद्र यज्ञ एवं रुद्राभिषेक यज्ञ एवं धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न कराये गये।


 


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