प्रदेश में लोगों के सामने रोजगार और रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया-अखिलेश यादव

लखनऊ,समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि प्रदेश में लोगों के सामने रोजगार और रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया। सरकार की उदासीनता और अदूरदर्शिता से प्रदेशवासियों के सामने बहुत बड़ी समस्या पैदा हो रही है। पूरे प्रदेश को ठप कर सरकार ने करोना संक्रमण को रोकने के लिए जो ढोल पीटा था वह असफल हो गया। सरकार ना तो व्यापारियों की कोई मदद कर रही और ना तो दुकानों को खोलने का कोई दिशा निर्देश स्पष्ट है। सरकार कुछ कहती है। अधिकारी कुछ और डंडा चलाते है। बड़ी संख्या में छोटे व्यापारी प्रताड़ित किए जा रहे हैं। सरकारी अधिकारी और कर्मचारी व्यापारियों के ऊपर जबरन जुर्माना ठोंक रहे हैं।
      दो माह लॉक डाउन के चलते पहले से ही भुखमरी के कगार पर पहुंच गए व्यापारी अब इस सरकारी आतंक और जुर्माने को कैसे झेल पाएंगे? डंडे के बल पर सरकारी कर्मचरियों और अधिकारियों ने व्यापारियों में डर और आतंक कायम कर रखा है। लोकतंत्र में यह अन्यायपूर्ण व्यवस्था अवैधानिक और अनैतिक है।
      जहां तक व्यापार जगत की बात है लाॅकडाउन अवधि में बाजार बंदी से सर्वाधिक प्रभावित छोटे व्यापारी हुए हैं। सड़क किनारें बैठकर या ठेला पर सामान बेचने वाले, गाड़ियों की मरम्मत करने वाले मैकेनिक, कपड़े के व्यापारी, दर्जी, मोची, स्टेशनरी और पुस्तक विक्रेता, बिजली सामान के विक्रेता, कुम्हार, धोबी, तेली, नाई, बढई, फल विक्रेता, चाय दुकानदार और दूसरे छोटे-मोटे व्यापार कर अपनी आजीविका चलाने वालों की जिंदगी के ये दिन बहुत ही कष्ट कारक हैं। ये सब रोज कमाकर खाने वाले हैं। इन्हें कोई भी राहत नहीं दी गई।
      लाखों की संख्या में छोटे व्यापारी और दुकानदार भुखमरी के कगार पर पहुंच गए है। छोटे व्यापारी तबाह हो चुके। उनका घर परिवार चलना मुश्किल। दो महीने से दुकाने बंद है। बहुतों के सामान खराब हो रहे हैं। किराए पर दुकान लेकर काम करने वाले व्यापारियों पर किराया बढ़ता जा रहा है। लेकिन प्रदेश सरकार इन लाखों व्यापारियों की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है। और ना ही इनको लेकर कोई रणनीति है। मुख्यमंत्री जी की टीम इलेवन कि बैठक में इन समस्यायों पर चर्चा क्यों नहीं होती। सरकार किसानों, मजदूरों, व्यापारियों तथा गरीबों की रोजी-रोटी से जुड़े मामलों के फैसले क्यों नहीं लेती है? भाजपा सरकार कोरोना संक्रमण के आड़ में कब तक हाथ पर हाथ धरे बैठी रहेगी?


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