प्रवासी मजदूरों के गांव आने पर ग्रामीणों में दहशत

 रायबरेली एक ओर जहां लोग कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी से बचाव को लेकर अपने-अपने घरों में महीनों से कैद रहे और मुंबई, गुजरात, दिल्ली जैसे हॉटस्पाट महानगरो से आने वाले नाते रिश्तेदारों को भी अपने घरों में नहीं आने दिया। वहीं अब प्रवासी मजदूर प्राइवेट वाहनों और पैदल चलकर गांवों में प्रवेश कर रहे है। जिससे गांव के लोगों में दहशत व्याप्त है। सरकार निरंतर ऐसे लोगों को अपने घरों में ही होम क्वारेंटाइन रहने के लिए बराबर अपील कर रही है लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं है और गांव गलियो से लेकर कस्बो तक भ्रमण करते दिखाई दे रहे है केंद्र व प्रदेश सरकार ने इस संबंध मे गाइड लाइन जारी करते हुए ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी, पंचायत मित्र व आशा बहू सहित प्रशासनिक अधिकारियों की जवाब देही तय की है, लेकिन लोगों की उदासीनता के चलते गांवो में संक्रमण फैलने से इंकार नहीं किया जा सकता। ग्रामीण स्तर पर चैन की नींद सो रहे नागरिकों मे इन प्रवासी मजदूरो के आने से उनकी नींदे गायब है। इस संबंध मे पुलिस भले ही तत्पर दिख रही हो लेकिन जिम्मेदार लोग वोट के चक्कर मे गांव मे जाकर प्रवासी मजदूरो की सूचना देना मुनासिब नहीं समझते। उदाहरण के तौर पर यदि भगवान बक्स खेड़ा निवासी संतोष कुमार को गांव पहुंचने के पूर्व जिम्मेदार लोग घर जाने से रोक देते और समय से स्वास्थ्य परीक्षण करा दिया जाता तो समस्या न खड़ी होती। हॉट.स्पाट राज्यो से आए प्रवासी मजदूर बिना चिकित्सीय परीक्षण के गांव में प्रवेश कर चुके है जिससे संतोष कुमार जैसे अन्य लोग होने से इंकार नहीं किया जा सकता। जब सरकार ने सीधे जिम्मेदार लोगो को हेल्पलाइन नंबर मुहैया कराते हुए जिम्मेदारी सौपी है तो अपनी ज़िम्मेदारी से क्यो किनारा कर रहे है। यदि समय रहते गांवो मे आने वाले प्रवासी मजदूरो पर सख्ती न बरती तो ग्रामीण अंचलो मे भी कोरोना फैलने इंकार नहीं किया जा सकता।


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?