श्रुत पंचमी महापर्व पर घरों में हुई जिनवाणी की आराधना
लॉक डाउन एवं सोशल डिस्टेंस का हुआ पालन
ललितपुर।
ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी शुभ तिथि को श्रुत आराधना महापर्व – श्रुत पंचमी है, जिस दिन इस युग के अंतिम तीर्थंकर व वर्तमान शासननायक भगवान महावीर स्वामी के मोक्षगमन के उपरांत उनकी दिव्यध्वनि से प्राप्त वाणी का लेखनकार्य श्री षट्खंडागम ग्रंथ के रूप में पुष्पदंत व भूतबलि महाराज के द्वारा सम्पन्न हुआ किया गया था। अहिंसा सेवा संगठन के संस्थापक विशाल जैन पवा ने कहा तीर्थंकर प्रभु की दिव्य ध्वनि से प्राप्त वाणी, जो समस्त जीवों के कल्याण का आधार है, उस वाणी के लेखन कार्य के क्रम में प्रथम ग्रंथ के लेखन की पूर्णता ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी इसी तिथि को हुई थी। तभी से सभी श्रावकों ने इस तिथि को विशेष पर्व को मनाना प्रारम्भ किया। भगवान महावीर स्वामी के मोक्ष गमन के बाद उनकी वाणी का पूर्वाचार्यों द्वारा लेखन कार्य हुआ अतः वर्तमान में भी भगवान की वाणी हम लोगों के बीच उपलब्ध है जिसको हम लोग निर्ग्रन्थ मुनिराजों के माध्यम से जानते है। वर्तमान परिस्थितियों एवं वैश्विक महामारी के दौर में इस वर्ष हम सभी ने घर में ही प्रभावना पूर्वक इस पावन पर्व को मनाया। सभी साधर्मियों ने घर से जिनवाणी पूजन, विधान, आराधना, णमोकार पाठ आदि किया। श्रुत पंचमी का महान पर्व हमारे महान आचार्यों के विशेष उपकार का दिवस है। जिन्होंने हमारे अल्पबुद्धि के धारक जीवों के लिए अपनी अमूल्य साधना , तपस्या, ध्यानादि करते हुए करुणावश मोक्ष मार्ग को प्रशस्त करने हेतु बड़े बड़े महान ग्रन्थों की रचना की जिससे हम सब मोक्ष मार्ग पर आरूढ़ हो सके। सिद्धांत ग्रन्थ षडखण्डागम, कषाय पाहुड, ऐसेे ग्रन्थों का हम कम क्षयोपशम होने के कारण हम पूर्ण स्वाध्याय भी नही कर पाते । ऐसे उन सभी आचार्य भगवंतों को, उपाध्याय परमेष्ठी को, निर्ग्रन्थ मुनिगणों को हम मन वचन काय से कृत, कारित, अनुमोदना से, त्रिकाल में त्रिसंध्या त्रिबार नमोस्तु , नमोस्तु , नमोस्तु।