स्वतंत्रता संग्राम के आजन्म पुरोधा रासबिहारी बोस की जयंती 25 मई पर श्रद्धांजलि सभा

हमीरपुर 25 मई 2020 लाक डाउन को दृष्टि में रखकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए विमर्श विविधा के अंतर्गत जिनका देश ऋणी है, के तहत स्वतंत्रता संग्राम के आजन्म पुरोधा रासबिहारी बोस की जयंती 25 मई पर श्रद्धांजलि सभा की गयी संस्था के अध्यक्ष डॉक्टर भवानी दीन ने कहा कि रासबिहारी बोस वास्तव में एक ऐसे महान क्रांतिकारी थे जो यावत जीवन देश की आजादी के लिए राष्ट्र के भीतर और विदेशों में भी संघर्षी रहे। उन्हें सही मायने में आजादी के समर का भीष्म योद्धा कहा जा सकता है। रासबिहारी का जन्म 25 मई अट्ठारह सौ पैसठ को पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के सुबालदह गांव में विनोद बिहारी बोस के घर हुआ था। इनकी चांद नगर में प्रारंभिक शिक्षा हुई। स्कूल के दिनों से ही क्रांतिकारी गतिविधियों में रुचि लेने लगे थे। बहुत कम उम्र में रासबिहारी बोस ने क्रूड बम बनाना सीख लिया था। बंकिम चंद्र चटर्जी के आनंदमठ उपन्यास से इनकी मनोभूमि में राष्ट्रवाद का अंकुरण हुआ था। उसके बाद स्वामी विवेकानंद और सुरेंद्र नाथ बनर्जी के प्रभावी उद्बोधनों ने उस  अंकुरण को और अधिक विकसित कर दिया। कुछ दिनों तक रासबिहारी बोस ने देहरादून में नौकरी भी की। गदर दल और जापान में आजाद हिंद फौज के गठन में उनकी अहम भूमिका रही। गोरों के द्वारा 1905 में किए गए बंगाल विभाजन से इनके मन में अंग्रेजों के प्रति नफरत बहुत बढ़ गयी। 1912 के दिल्ली षड्यंत्र में इनका प्रमुख हाथ था। वायसराय लॉर्ड हार्डिंग को बम द्वारा मारने का प्लान बोस ने ही बनाया था। इस कांड से गोरी सरकार हिल गई थी। गदर दल ने 21 फरवरी 1915 को भारत में सशस्त्र विद्रोह की तारीख निश्चित की थी। किंतु भारत के भितरघातियों द्वारा गोरों को बता देने पर वह महान योजना विफल हो गई। बहुत विद्रोहियों को पकड़ कर फांसी पर लटका दिया।  ये किसी तरह बच कर 1915 में जापान पहुंच गये। वहीं पर इन्डियन्स इंडिपेंडेंस लीग और  आजाद हिंद फौज की स्थापना की। कालांतर में  इसकी बागडोर सुभाषचन्द्र बोस को सौंप दी। इन्होंने 1923 में जापान की नागरिकता हासिल कर ली थी। वहीं के रेस्टोरेंट की तोशिका नामक बेटी से विवाह कर लिया। बोस ने जापानी भाषा सीख कर अपने देश की आजादी के लिए बहुत काम किया। अनेकों पुस्तकें लिखी। आगे चलकर जापानी सरकार ने रास बिहारी बोस को आर्डर आफ द राइजिंग सन पुरस्कारसे सम्मानित किया। इनका देश के प्रति बड़ा योगदान रहा। जिसे भुलाया नहीं जा सकता। कार्यक्रम में संदीप सिंह, अशोक अवस्थी, राजकुमार सोनी, कल्लू चौरसिया और प्रान्शू सोनी उपस्थित रहे।


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