स्वतंत्रता संग्राम के युवा गदरी शहीद करतार सिंह सराभा की जयंती

हमीरपुर 24 मई 2020 लॉकडाउन पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए 'वर्णिता' संस्था के तत्वावधान में विमर्श विविधा के अंतर्गत जरा याद करो कुर्बानी के तहत स्वतंत्रता संग्राम के युवा गदरी शहीद करतार सिंह सराभाकी जयंती 24 मई संस्था के अध्यक्ष डॉ. भवानीदीन

की अध्यक्षता में मनायी गयी।  उन्होंने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि करतार सिंह सराभा एक ऐसे युवा क्रांतिकारी थे। जिन्होंने मात्र साढे 19 साल की उम्र में मां भारती के श्री चरणों में अपने को उत्सर्ग कर दिया था। जिनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। इनका जन्म पंजाब के लुधियाना से लगभग 35 किलोमीटर दूर सराभा गांव में मंगल सिंह के घर 24 मई 1896 में हुआ था। मां का नाम माता साहिब कौर था। बचपन में ही इनके पिता का निधन हो गया था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा लुधियाना के स्कूलों में हुई। तत्पश्चात चाचा के साथ उड़ीसा में हाईस्कूल की परीक्षा पास की। उसके बाद इन्हें परिवार द्वारा अमेरिका उच्च शिक्षा के लिए भेजा गया। ये एक जनवरी 1912 को अमरीका पहुंचे। करतार सिंह को अमेरिका में भले बुरे का ज्ञान हुआ। आजादी का अर्थ समझा। नस्लवाद का अनुभव हुआ। ज्वाला सिंह के संपर्क में आए।लाला लाजपत राय से करतार सिंह की भेंट हुई। ये बर्कले विश्वविद्यालय में भर्ती हुए। 1912 में भारतीय मजदूरों का बड़ा सम्मेलन हुआ। देश भक्ति से संबंधित पुस्तकों का अध्ययन किया। इस तरह इनके अंदर देश प्रेम की भावना ने जन्म लिया। 1913 में अमेरिका में गदर पार्टी का गठन हुआ। जिसके ये अध्यक्ष बने। इस दल के माध्यम से देश की आजादी के लिये एक गदर आंदोलन की भूमिका बनी। 21 फरवरी 1915 को भारत में अर्थात 1857 के संग्राम की तरह दूसरे सशस्त्र समर की तिथि निश्चित की गई। अमेरिका से भारत के लिए चार हजार विद्रोही निकले। गुप्तचरों और भितरघातियों ने गोरों को इसकी सूचना दे दी। कई विद्रोही पकड़े गए।

 ये पंजाब के सैनिकों को विद्रोह के लिए भड़का रहे थे। इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और गोरों ने निर्यात का नाटक रच कर

 करतार सिंह को लगभग 19 साल की उम्र में फांसी पर लटका दिया। इनकी देश के प्रति सेवा को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। कार्यक्रम में अवधेश कुमार गुप्ता एडवोकेट, राजकुमार सोनी, संदीप सिंह और प्रान्शू सोनी उपस्थित रहे। 

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