टिड्डी दल के नियन्त्रण हेतु एडवाइजरी जारी

ललितपुर।
कृषि विभाग द्वारा जनपद के समस्त कृषक भाईयों के लिये टिड्डी दल के नियन्त्रण हेतु एडवाइजरी जारी की गई। किसानों को अवगत कराया गया कि उत्तर प्रदेश से लगे सीमावर्ती राज्यों जैसें राजस्थान, मध्यप्रदेश, पंजाब एवं हरियाणा आदि में वर्तमान समय में फसलों को नुकसान पहुचाने वाला मुख्य कीट टिड्डी दल का प्रकोप काफी फैल रहा है, इसको देखते हुऐ हमें भी सतर्क रहने की जरूरत है। हमे अपने खेतों में बोई गई जायद की फसलों जैसे मूँग, उर्द, एवं हरी सब्जीयों आदि फसलों की सुरक्षा के लिये सतर्क रहने की आवश्यकता है। टिड्डी ऐक्रिडाइडी परिवार के आँर्थोप्टेरा गण का कीट है। सम्पूर्ण संसार में इसकी केवल छः जातिया पायी जाती है। भारत में मुख्य रूप से रेगिस्तानी टिड्डी प्रवासी टिड्डी पायी जाती है। इस कीट की उडान हजारों मील तक पाई जाती है। टिड्डीयों को उनके चमकीले पीले रंग और पिछले लम्बे पैरों से पहचाना जा सकता है। टिड्डी जब अकेली होती है तो उतनी खतरनाक नही होती है लेकिन झुण्ड में रहने पर ये बहुत खतरनाक और आक्रामक हो जाती है। तथा फसलों का एक बार में सफाया कर देती है। दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि आपकी फसल पर किसी ने एक बडी सी चादर बिछा दी हो। टिड्डीयाँ फसलों के फूल, फल, पत्ते, तने, बीज और पेड की छाल सब कुछ खा जाती है। एक टिड्डी अपने वजन के बराबर खाना खाती है। टिड्डीयों का जीवन काल कम से कम 40 से 85 दिनों का होता है।      


टिड्डीयों को भगाने एवं नियंत्रीत करने के लिये निम्न उपाय करना चाहिये- 1- टिड्डी दल को भगाने के लिए थालियाँ, ढोल, नगाडे, लाउडस्पीकर या अन्य माध्यमों से शोरगुल/ध्वनी करना चाहियें जिससे वे आवाज सुनकर खेत से भाग जाये। 2- रासायनीक कीटनाशक मेलाथियाँन 5 प्रति0 धूल की 25 किलोग्राम मात्रा का बुरकाव या क्विनालफाँस 25 प्रति0 ई0सी0 की 1.5 ली0 मात्रा को 500 से 600 ली0 पानी में घोलकर प्रति हक्टेयर की दर से फसल पर छिडकाव करें। 3- टिड्डी दल सुबह 10 बजे के आद अपना डेरा बदलता है। इसलिए इसे आगे बढने से रोकने के लिए लैम्डा सायहेलोथ्रिन 5 प्रति0 ई0सी0 की 1 ली0 मात्रा या क्लोरोपाइरिफाँस 20 प्रति0 ई0सी0 की 1 ली0 मात्रा को 500 से 600 ली0 पानी में घोलकर प्रति हक्टेयर की दर से फसल पर छिडकाव करें। 4- नीम के तेल की 40 एम0एल0 मात्रा को 10 ग्राम कपडे धोने के पाउडर के साथ मिलाकर प्रति टंकी पानी में डालकर छिडकाव करने से टिड्डी फसलों को नही खा पाती है। 5- फसल की कटाई के बाद मई-जुन में खेत की गहरी जुताई करने से सूर्य की तेज किरणों से भूमि में पडें टिड्डीयों एवं अन्य कीटों के अण्डे व प्यूपा को नष्ट किया जा सकता है। 6- बलुई मिट्टी टिड्डी के प्रजनन एवं अण्डे देने हेतु सर्वाधिक अनुकूल होता है। अतः टिड्डी दल के आक्रमण से सम्भावित ऐसी मिट्टी वाले क्षेत्रों में जुताई करवा दें एंव जल का भराव करा दें। ऐसी दशा में टिड्डी के विकास की सम्भावना कम हो जाती है।


इसके साथ ही कृषि निदेशक  उoप्रo कृषि भवन लखनऊ के पत्र संख्या 65/कृ००/दस-11/सर्वलेन्स 2020-21 दिनॉक 22 मई 2020 के द्वारा टिड्डी के प्रकोप की सूचना के दृष्टिगत जनपद ललितपुर में निरन्तर निगरानी हेतु निर्देशित किया गया है ताकि प्रकोप की दशा में टिड्डी दल पर नियंत्रण किया जा सके अत: उपरोक्त के अनुपालन में निम्नलिखित कार्मिकों की ड्यूटी निम्न रोस्टर के अनुसार लगाई जाती है। उपरोक्त कर्मचारी कार्यालय उप कृषि निदेशक ललितपुर में स्थापित कन्ट्रोल न0- 05176-297022 के द्वारा समस्याओं का अनुश्रवण/अंकन करते हुये उपरोक्त से उप निदेशक कृषि ललितपुर एवं जिला कृषि रक्षा अधिकारी को अवगत कराना सुनिश्चित करेंगें। उक्त आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा सम्बन्धित कर्मचारी आज से अपनी ड्यूटी करना सुनिश्चित करे। जिसमें 06 AM-02 PM श्रीमती ऋचा त्रिपाठी प्रा०शि० ग्रुप-सी मो0-8765416773 एवं कुमारी आरती प्रा०शि० ग्रुप-सी मो0-7084201663, 02 PM- 10 PM  राजकुमार प्रा०शि० ग्रुप-सी मो०- 8840968185 एवं  मुकेश सविता प्रा०शि० ग्रुप-सी मो0-9621699695, 10 PM-06 AM  गिरजेश कुशवाहा प्रा०शि० ग्रुप-सी मो0-9889254184 एवं रामरतन वर्मा प्रा०शि० ग्रुप-बी मो०- 7607358215 आदि शामिल हैं।


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