टिड्डी प्रकोप : बचाव एवं सावधानियाँ

 


 



 


टिड्डी प्रकोप : बचाव एवं सावधानियाँ


उत्तर प्रदेश के पश्चिमी सीमावर्ती राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब हरियाणा से होकर टिड्डी दलों के आक्रमण/ प्रकोप की स्थिति को देखते हुए प्रदेश सरकार ने सम्बन्धित जिलों को हाई एलर्ट करते हुए इनके नियंत्रण के निर्देश जारी किये हैं।


पहचान एवं स्वभाव


जीवन चक्र


टिड्डी के जीवन चक्र की तीन अवस्थाएं होती हैं :


1. अण्डा 2. शिशु टिड्डी 3. वयस्क टिड्डी


1-अण्डा : मादा टिड्डियां अपनी दुम जमीन में घुसाकर 6 इंच की गहराई पर अण्डे देती हैं। ये लगभग 10 सेमी. की गहराई पर नम मिट्टी वाली भूमि में झुण्डों में दिये जाते हैं। यूथचारी या समूहशील मादा टिड्डी दल 2-3 अण्डगुच्छे देते हैं जिनमें प्रत्येक में 60 से 80 अण्डे होते हैं। 10-12 दिन में अण्डे सेते हैं अर्थात् उनमें से शिशु टिड्डी निकलती है। जिस जगह अण्डे दिये गये हैं वहाँ सुराख दिखाई देते हैं जिसके मुंह पर सफेद झाग से नजर आते हैं। तापमान के अनुसार लगभग 12 से 14 दिन पश्चात् अण्डों से फाके निकलते हैं।


2. शिशु टिड्डी : अण्डों से निकलने के बाद पंखहीन सफेद शिशु टिड्डी दल वनस्पतियों, पेड़-पौधों की तलाश में जमीन की सतह पर चलने लगते हैंइसके तरन्त बाद वे काले रंग के हो जाते हैं और बाद में उनके शरीर की आकृति पीले रंग की विकसित होने लगती है। वयस्क होने के पहले शिशु टिड्डी दलों को पाँच उप अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है। काली आकृति के साथ उम्रदार टिड्डी चमकीले पीले रंग की हो जाती है। यूथ चारी या समूहशील टिड्डी 30 दिन के अन्दर वयस्क हो जाती है।


3. वयस्क टिड्डी दल : काली आकृति के साथ उम्रदार टिड्डी चमकीले पीले रंग की हो जाती है। यूथचारी या समूहशील टिड्डी 30 दिन में वयस्क हो जाती हैवयस्क टिड्डी दल परिपक्वता की स्थिति में तभी पहुँच पाते हैं जब उन्हें प्रजनन के लिए अनुकूल स्थितियाँ मिलती हैं। सामान्यतः अण्डे देने की प्रक्रिया मैथुन के बाद दो दिन के अन्दर आरम्भ होती है।


टिड्डी नियंत्रण के लिए टिड्डी दलों की खोज और उनकी पहचान से सम्बन्धित जानकारी समय पर मिलना आवश्चयक है। टिड्डियों के दल दिन के समय सूरज की चमकीली रोशनी में तेज उड़ाका झुण्डों के रूप में उड़ते रहते हैं। शाम के समय वे झाड़ियों व पेड़ों पर आराम करने के लिए नीचे उतर आते हैं और अगले दिन अपने बसेरों से उड़ना शुरू करने से पहले वहीं रात गुजारते हैं।


प्रदेश शासन द्वारा टिड्डी दलों के नियंत्रण हेतु दिये गये निर्देश -


 1. प्रदेश शासन द्वारा सम्बन्धित जिलों के जिलाधिकारियों को टिड्डी नियंत्रण हेतु आपदा प्रबन्धन अधिनियम-2005 के अन्तर्गत आवश्यकतानुसार व्यय करने के निर्देश जारी कर दिये गये हैं, तद्नुसार आवश्यकतानुसार टिड्डियों के नियंत्रण की कार्यवाही युद्ध स्तर पर की जाय।


2.प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों एवं केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन केन्द्रों से सहयोग लिया जाय।


3-प्रदेश एवं जिला मुख्यालय पर टिड्डी दल नियंत्रण हेतु नोडल अधिकारी, टास्क फार्स एवं कन्ट्रोल रूप स्थापित किया जाय।


4-टिड्डी दल के प्रकोप की सूचना ग्राम प्रधान, लेखपाल, कृषि विभाग के प्राविधिक सहायकों एवं ग्राम पंचातय अधिकारी के माध्यम से कृषकों तक तत्काल पहुंचाया जाय।


5. टिड्डी दल के प्रकोप की दशा में एक साथ इकट्ठा होकर ढोल, नगाड़ों, टीन के डिब्बों, थालियों आदि को बजाते हुए शोर मचायें । शोर से टिड्डी दल आस-पास के खेतों में आक्रमण नहीं कर पायेंगे।6- प्रभावित क्षेत्रों के लिए कृषि रक्षा रसायनों, स्प्रेयर्स एवं ट्रक्टर्स आदि को किराये पर लेकर विभागीय योजनाओं में प्रस्ताव भेजकर नियमानुसार अनुदान आदि की व्यवस्था की जाय ।


7-सर्वेक्षण टीम का गठन कर लिया जाय तथा लोकस्ट वार्निंग आर्गनाइजेशन के साथ वाट्सऐप ग्रूप के माध्यम से निरन्तर समन्वय बनाये रखा जाय।


8-जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाय तथा मॉक डिल के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाय।


9-टिड्डी दल प्रायः दिन डूबने के समय किसी न किसी पेड़/पौधे पर दिन निकलने तक आश्रय लेती हैं। सघन सर्वेक्षण द्वारा आश्रय के स्थान को चिन्हित किया जाय।


10. ट्रैक्टर माउण्टेड स्प्रेयर्स, ट्रैक्टर्स, अग्नि शमन विकभाग की गाड़ियों, पीपीई किट, मानव संसाधन आदि की सूची बना ली जाय तथा उनकी उपलब्धता सुनरिचित कर ली जाय


11. बे रक्षा रसायनों मैलाथियान 96 प्रतिशत ई.सी.. क्लोरपायरीफास 50 प्रतिशत ई.सी., क्लोरपायरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. तथा फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एस.सी. की उपलब्धता सुनिश्चित की जाय ।


12. संस्तुत रसायन के छिड़काव के लिए सबसे उपयुक्त समय रात्रि के 11.00 बजे से सुबह सूर्योदय तक होता है। अतः छिड़काव इसी अवधि के दौरान किये जाने की प्रभावी रणनीति जनपद स्तर पर बनाकर कार्यवाही की जाय।


13. अग्नि शमन विभाग की गाड़ियों/ट्रैक्टर माउण्टेड स्प्रेयर्स एवं अन्य विभागीय गाड़ियां आदि की व्यवस्था जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित कर किया जाय।


14. टिड्डी दल नियंत्रण में लगे भारत सरकार के लोकस्ट कण्ट्रोल आर्गनाइजेशन के कार्मिकों का यथासम्भव जनपद स्तर पर पूर्ण सहयोग प्रदान किया जाय।


15. प्रदेश स्तर पर कृषि निदेशालय में स्थापित नियंत्रण कक्ष फोन नं0 0522-2205867 पर सम्पर्क करें अथवा नोडल अधिकारी श्री विजय कुमार सिंह, उप कृषि निदेशक, मुख्यालय (कृषि रक्षा) (मोबाइल नम्बर- 9450020578) तथा श्री विनय सिंह, सहायक निदेशक (कृषि रक्षा) (मोबाइल : 9452487879) सह नोडल अधिकारी से सम्पर्क करें। इसके अतिरिक्त टिड्डी नियंत्रण आर्गनाइजेशन के निम्नलिखित अधिकारियों से सम्पर्क किया जा सकता है :


श्री राजेश मलिक, निदेशक (पीपी) एवं पीपीए 9910487438


श्री जे.पी. सिंह, संयुक्त निदेशक 9818836622


श्री संजय आर्य, संयुक्त निदेशक 9600099981


श्री के.एल. गुर्जर, उप निदेशक 8383805684 कृपया अधिक जानकारी हेतु नि:शुल्क दूरभाष 1800-180-1551 पर सम्पर्क करें


विशेष जानकारी हेतु कृषि विभाग के स्थानीय कर्मचारी/अधिकारी से सम्पर्क करें अथवा कृषि विभाग की वेबसाइट : http://upagripardarshi.gov.in देखें।



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