उस अबोध अबला पे जुल्म मत करिये!

मातु पित छोड़ आई आपके लिये श्रीमान
उस अबोध अबला पे जुल्म मत करिये!


अर्धांगिनी बनी जो अनजान  आपकी
दिजिये छमा औ प्रेम, क्रोध मत करिये!


वारिये निहारिये लगाईये गले से उसे
मृगनयनी के दृग नीर से न भरिये!


यही वसुधा यही है जानकी रमा है यही
सावधान हो कर  व्यवहार आप करिये!


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