उत्तर प्रदेश के निजी स्कूलों ने अपने शिक्षकों एवं कर्मचारियों के वेतन भुगतान हेतु सरकार से अंशदान की मांग की!

लखनऊ । उत्तर प्रदेश में लाॅक डाउन की अवधि में फीस को एक-एक माह लेने, ट्रांसपोर्ट फीस न लेने एवं आगामी शैक्षणिक सत्र 2020-2021 में फीस की दर में कोई बढ़ोत्तरी न करने के सरकार के आदेश के बाद निजी स्कूलों ने अपने विद्यालय के शिक्षकों एवं कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए सरकार से अंशदान देने की मांग की है। निजी स्कूलों के संगठन एसोसिएशन आफ प्राइवेट स्कूल्ज उत्तर प्रदेश  के अध्यक्ष अतुल कुमार ने कहा कि राज्य सरकार ने यह आदेश जारी किया है कि निजी स्कूल चाहे तो मासिक फीस ले सकते हैं। आदेश में यह कहा गया है कि स्कूल एक महीने से अधिक की फीस एक साथ नहीं ले सकते हैं। और इसके लिए वे किसी अभिभावक को बाध्य भी नहीं कर सकते। इसके साथ ही इस आदेश में यह भी लिखा हुआ है कि फीस जमा न होने की स्थिति में निजी स्कूल किसी बच्चे को आॅनलाइन क्लासेज से वंचित नहीं कर सकते हैं। वास्तव में इस तरह के आदेश से प्रदेश में निजी स्कूलों के शिक्षकों एवं कर्मचारियों के वेतन का भुगतान किया जाना संभव नहीं होगा। 
श्री अतुल कुमार ने बताया कि सरकार के इस आदेश के कारण अधिकांश अभिभावकों ने विद्यालय में फीस जमा नहीं की है। जो फीस आयी भी है वे इतनी कम हैं कि उससे शिक्षकों को वेतन देना तो दूर रहा, उससे स्कूल के संचालन के लिए जरूरी बुनियादी सुविधायंे भी प्राप्त नहीं की जा सकती है। यहाँ उल्लेखनीय है कि निजी विद्यालयों के आय का एकमात्र साधन फीस ही है, जिसके प्राप्त न होने पर निजी विद्यालय के शिक्षकों एवं कर्मचारियों को वेतन भुगतान नहीं किया जा सकता है। जिसके कारण प्रदेश के एक बहुत बड़े शिक्षक समुदाय के परिवारों को भुखमरी का सामना तक करना पड़ सकता है। 
श्री अतुल कुमार ने बताया कि इसी आदेश के द्वारा निजी स्कूलों को लाॅक डाउन अवधि की ट्रांसपोर्ट फीस लेने पर भी सरकार द्वारा रोक लगाई गई है, जो कि न्यायसंगत नहीं है। वास्तव में लाॅक डाउन की अवधि में केवल ईधन के रूप में खर्च की जाने वाली धनराशि की ही बचत हो रही है, जो कि फीस की लगभग 20 से 25 प्रतिशत ही होती है। ऐसे में अगर लाॅक डाउन अवधि का पूरा ट्रांसपोर्ट फीस माफ कर दिया गया तो स्कूल के ड्राइवरों एवं सहायकांे का भुगतान कैसे किया जायेगा। जबकि सरकार खुद ही कह चुकी है कि किसी भी कर्मचारी के वेतन को किसी भी स्थिति में रोका नहीं जायेगा। लेकिन ऐसी परिस्थिति में जब कि स्कूलों के पास पर्याप्त धनराशि ही नहीं होगा, स्कूल अपने ड्राइवरों एवं सहायक स्टाॅफ का वेतन कैसे देगे?
श्री अतुल कुमार ने यह भी कहा कि निजी स्कूलों के फीस लेने के सम्बन्ध में सरकार द्वारा जारी किया गया नया आदेश उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) एक्ट 2018 में दिये गये ¬प्रावधानों के अनुरूप नहीं है। वास्तव में कोई भी कार्यकारी आदेश अधिनियम में दिये गये प्रावधानांे के अन्तर्गत ही जारी किया जा सकता है। श्री अतुल कुमार ने कहा कि स्कूल ट्रांसपोर्ट शुल्क अधिनियम में वैकल्पिक शुल्क है। इसलिए इसे भी किसी प्रशासनिक आदेश से बदला नहीं जा सकता। वस्तुतः राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम में भी स्कूल फीस का कहीं उल्लेख नहीं है।


श्री अतुल कुमार ने कहा कि संगठन के सभी स्कूलांे को प्रदेश सरकार से पूरी उम्मीद है कि संकट की इस घड़ी में वे निजी स्कूलों के साथ भी न्याय करेंगे और लाॅक डाउन की अवधि का वेतन शिक्षक एवं कर्मचारियों को देने हेतु सरकारी अंशदान अवश्य उपलब्ध करायेंगे। 


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